PSC ऑफिस के प्यून की 2ND रैंक..जिस दफ्तर में थे चपरासी,अब उसी में अफसर

CGPSC Result Shailendra Kumar Bandhe का कहना है कि कुछ लोग उन्हें ताना मारते थे। लोग चपरासी बनने पर उनका मजाक उड़ाते थे। वह पहले प्रयास में प्री और दूसरे प्रयास में मेन्स क्लियर नहीं कर सके थे।

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Marut raj
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CGPSC Result Shailendra Kumar Bandhe : छत्तीसगढ़ राज्य सेवा आयोग यानी सीजीपीएससी ( CGPSC ) के रिजल्ट में एक ऐसा नाम भी शामिल है, जो PSC ऑफिस में प्यून थे और अब अफसर बन गए हैं। इसके पहले इन्होंने इंजीनियरिंग में भी सफलता हासिल की। सफलता की यह कहानी है शैलेंद्र कुमार बांधे की। वे राजधानी रायपुर में सीजीपीएससी ऑफिस में पिछले सात महीनों से प्यून हैं। उन्होंने अपने छत्तीसगढ़ सिविल सेवा परीक्षा पांचवें प्रयास में पास कर ही ली।

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मैकेनिकल इंजीनियरिंग में की बीटेक की पढ़ाई

Shailendra Kumar Bandhe के अनुसार उन्होंने रायपुर में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और फिर राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान ( एनआईटी ) रायपुर में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया। उन्होंने बताया कि उन्हें एनआईटी रायपुर में अपने एक सुपर सीनियर हिमाचल साहू से प्रेरणा मिली, जिन्होंने CGPSC-2015 परीक्षा में प्रथम रैंक हासिल की थी। इसके बाद उन्होंने प्राइवेट जॉब करने की जगह सिविल सर्विस की तैयारी को चुना। 

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पहले में प्री, दूसरे में मेन्स क्लियर नहीं कर सके

Shailendra Kumar Bandhe का कहना है कि पहले प्रयास में वह प्रारंभिक परीक्षा नहीं निकाल सके। दूसरे प्रयास में प्री निकला तो मेन्स अटक गया। तीसरे और चौथे प्रयास में वह इंटरव्यू तक पहुंच सके। इसके बाद पांचवें प्रयास में वह सफल हो सके। 29 वर्षीय बांधे का सहायक आयुक्त (राज्य कर) के पद के लिए हुआ है।

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लोग मजाक उड़ाते थे प्यून बनने पर 

Shailendra Kumar Bandhe का कहना है कि प्यून के तौर पर काम करने में उन्हें असहजता महसूस नहीं हुई, क्योंकि कोई भी नौकरी बड़ी या छोटी नहीं होती। हर पद की अपनी गरिमा होती है। हालांकि, उनका कहना है कि कुछ लोग उन्हें ताना मारते थे। लोग चपरासीगिरी करने के लिए मजाक उड़ाते थे। Shailendra Kumar Bandhe का कहना है कि  उनके परिवार और ऑफिस ने हमेशा उनका साथ दिया और प्रोत्साहित किया। उनके पिता संतराम बांधे एक किसान हैं।

बांधे का कहना है CGPSC की तैयारी में लगातार एक के बाद एक साल बीतने के दौरान मुझे चपरासी की नौकरी चुननी पड़ी, क्योंकि परिवार की मदद करने के लिए इसकी जरूरत थी। बांधे मूल रूप से बिलासपुर जिले के बिटकुली गांव के एक किसान परिवार से हैं। उनका परिवार अब रायपुर में बस गया है।

 

FAQ

शैलेंद्र कुमार बांधे ने सिविल सेवा की तैयारी कब और क्यों शुरू की ?
शैलेंद्र कुमार बांधे ने रायपुर के एनआईटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद सिविल सेवा की तैयारी शुरू की। उन्हें अपने सुपर सीनियर हिमाचल साहू से प्रेरणा मिली, जिन्होंने CGPSC-2015 में टॉप किया था। उन्होंने प्राइवेट जॉब की बजाय सिविल सेवा की तैयारी को प्राथमिकता दी।
शैलेंद्र की सिविल सेवा परीक्षा की यात्रा कैसी रही ?
शैलेंद्र ने पांच प्रयास किए। पहले प्रयास में वे प्रारंभिक परीक्षा नहीं निकाल सके। दूसरे प्रयास में प्री निकला, लेकिन मेन्स में असफल रहे। तीसरे और चौथे प्रयास में वे इंटरव्यू तक पहुंचे। आखिरकार, पांचवें प्रयास में उन्होंने सफलता पाई और उन्हें सहायक आयुक्त (राज्य कर) के पद के लिए चुना गया।
शैलेंद्र ने प्यून की नौकरी क्यों की, और इस पर उनका क्या अनुभव रहा ?
शैलेंद्र ने परिवार की आर्थिक मदद करने के लिए CGPSC ऑफिस में प्यून की नौकरी चुनी। उन्हें इस नौकरी में कोई असहजता महसूस नहीं हुई, क्योंकि वे मानते हैं कि हर पद की अपनी गरिमा होती है। हालांकि, कुछ लोग उनका मजाक उड़ाते थे, लेकिन उनके परिवार और ऑफिस के सहयोग से उन्होंने सिविल सेवा में सफलता हासिल की।

 

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