/sootr/media/media_files/2024/12/06/AM1tps2gVLiQXb4WowEZ.jpg)
सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 (Article 142) के तहत दलित पुरुष और गैर-दलित महिला की शादी और फिर इनके तलाक के केस में एक ऐतिहासिक फैसला दिया है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि विवाह के जरिए जाति नहीं बदली जा सकती। हालांकि, दलित पिता के बच्चों को अनुसूचित जाति प्रमाणपत्र प्राप्त करने का अधिकार रहेगा।
रानू साहू को करोड़ों रुपए देने वाले द्विवेदी को ED ने किया गिरफ्तार
बच्चों को अनुसूचित जाति का लाभ
मामले में 11 वर्षीय बेटे और 6 साल की बेटी को अनुसूचित जाति (SC) का प्रमाणपत्र मिलेगा। कोर्ट ने कहा कि यह प्रमाणपत्र बच्चों को सरकारी शिक्षा और रोजगार योजनाओं में लाभ सुनिश्चित करेगा।
बच्चों का पालन-पोषण पिछले छह वर्षों से रायपुर में उनकी गैर-दलित मां के साथ हो रहा था। सुप्रीम कोर्ट ने पिता को आदेश दिया कि वे छह महीनों के भीतर बच्चों के लिए SC प्रमाणपत्र प्राप्त करें। साथ ही, उनकी शिक्षा (पोस्ट-ग्रेजुएशन तक) और अन्य खर्चों की जिम्मेदारी उठाने का निर्देश दिया गया।
नक्सली हमले में 1 जवान शहीद,BSF-DRG की टीम नक्सलियों के एंबुश में फंसी
तलाक और संपत्ति का बंटवारा
पति ने पत्नी और बच्चों के लिए 42 लाख रुपए का एकमुश्त भुगतान किया। इसके अलावा रायपुर में स्थित अपनी जमीन पत्नी को सौंपने का भी आदेश दिया गया। कोर्ट ने पति को बच्चों की शिक्षा और अन्य आवश्यक खर्च उठाने का निर्देश देते हुए दोनों पक्षों के बीच दायर क्रॉस-एफआईआर को भी खारिज कर दिया।
बड़ी मैडम स्कूल में छलकाती थीं जाम, CM Camp में पहुंची शिकायत, सस्पेंड
बच्चों और पिता के रिश्तों में सुधार
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि बच्चों और उनके पिता के बीच संबंध सुधारने में मां सहयोग करे। छुट्टियों के दौरान बच्चों को पिता से मिलने की अनुमति दी जाए।
फर्जी अंकसूची के जरिए नौकरी हासिल करने वाली गिरफ्तार...पढ़िए पूरा केस
सुप्रीम कोर्ट का दृष्टिकोण
यह फैसला न केवल वैवाहिक विवाद को हल करता है, बल्कि बच्चों के अधिकार और उनके भविष्य को सुरक्षित रखने की एक महत्वपूर्ण मिसाल है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जन्म के आधार पर जाति तय होती है और विवाह जाति को प्रभावित नहीं कर सकता।
FAQ