ब्राह्मणों को विलेन बना रहे ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो, रूस से तेल आयात पर अमेरिका की बौखलाहट

डोनाल्ड ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने दावा किया कि ब्राह्मण रूस से तेल आयात से मुनाफा कमा रहे हैं। भारत-अमेरिका रिश्तों पर बयान ने बहस छेड़ दी है।

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Dablu Kumar
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने हाल ही में कहा कि भारत के ब्राह्मण समुदाय (Brahmin community) रूस से तेल आयात करके "भारतीय जनता की कीमत पर मुनाफाखोरी कर रहे हैं"। उनके इस बयान के बाद भारत में तीखी प्रतिक्रिया हुई और सोशल मीडिया पर उनकी आलोचना शुरू हो गई।

क्यों अमेरिका को रूस-भारत तेल व्यापार (Russia-India oil trade) से समस्या है?

रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद भारत ने रूस से सस्ता तेल खरीदकर अपनी ऊर्जा लागत कम की। भारत के लिए यह कदम आर्थिक दृष्टि से सही था, लेकिन अमेरिका को भारत की यह स्वतंत्र नीति पसंद नहीं आ रही। यही वजह है कि पीटर नवारो जैसे सलाहकार अब जाति के मुद्दे को राजनीतिक बहाने के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं।

भारतीय नेताओं और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल ने नवारो को करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि नवारो के विचार 19वीं सदी के औपनिवेशिक व्यंग्य की याद दिलाते हैं। शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भी कहा कि नवारो का बयान हास्यास्पद और बचकाना है।

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कलाकार और विश्लेषक क्या कहते हैं?

अभिनेता रणवीर शूरी और राष्ट्रीय सुरक्षा विश्लेषक दिव्य कुमार सोती ने भी कड़ा विरोध दर्ज कराते हुए कहा कि भारत को बदनाम करने के लिए बार-बार ब्राह्मणों को ही निशाना बनाया जाता है। पत्रकार पद्मजा जोशी ने इसे नस्लवादी सोच का उदाहरण बताया।

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रूस-भारत तेल आयात (Russia oil import to India) का सच

भारत का रूस से तेल आयात 2021 में 1% से कम था, लेकिन 2024-25 में यह बढ़कर लगभग 35% हो गया। इससे रिलायंस, नायरा एनर्जी और सरकारी कंपनियों को लाभ हुआ और पेट्रोल-डीजल की कीमतें भी स्थिर रहीं। स्पष्ट है कि इससे आम जनता को नुकसान नहीं हुआ बल्कि फायदा ही हुआ।

पीटर नवारो के बयान पर प्रतिक्रियाएं

संजीव सान्याल: औपनिवेशिक सोच का उदाहरण।

प्रियंका चतुर्वेदी: नवारो का पतन बुढ़ापे की चरम सीमा है।

रणवीर शूरी: ब्राह्मणों के खिलाफ नफरत अब अंतरराष्ट्रीय बनाने की कोशिश।

पद्मजा जोशी: नस्लवाद की बू आती है।

अमेरिकी बेचैनी की असली वजह

पीएम मोदी हाल ही में शंघाई सहयोग संगठन समिट (SCO) की बैठक में चीन और रूस के नेताओं से मिले। भविष्य की विश्व-राजनीति में भारत की बढ़ती भूमिका अमेरिका के लिए चुनौती का संकेत देती है। नवारो का बयान दरअसल उसी भू-राजनीतिक बेचैनी की झलक है।

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निष्कर्ष

नवारो का यह बयान तथ्यात्मक रूप से गलत और भ्रामक है। भारत का रूस से तेल आयात न केवल वैध है बल्कि इससे पेट्रोलियम कीमतें नियंत्रण में रहीं। "ब्राह्मण मुनाफाखोरी" वाला आरोप सामाजिक विभाजन पैदा करने का प्रयास है, जो भारत की मजबूत लोकतांत्रिक संरचना को तोड़ नहीं सकता।

FAQ

पीटर नवारो (Peter Navarro) ने ब्राह्मण (Brahmin) को लेकर क्या कहा?
नवारो ने कहा कि भारत में ब्राह्मण रूस से तेल आयात करके भारतीय जनता की कीमत पर मुनाफा कमा रहे हैं। इस बयान को भारत में जातिवादी और भड़काऊ माना गया।
रूस से तेल आयात (Russia oil import) से भारत को क्या फायदा हुआ?
भारत ने रूस से सस्ते दाम पर कच्चा तेल खरीदा। इसका फायदा यह हुआ कि पेट्रोल व डीजल की कीमतें स्थिर रहीं और ऊर्जा लागत पर नियंत्रण संभव हुआ।
क्या ब्राह्मण (Brahmin) ही तेल व्यापार से मुनाफा कमा रहे हैं?
नहीं, ऐसा कोई तथ्य नहीं है। तेल व्यापार से लाभ निजी कंपनियों (जैसे रिलायंस) और सरकारी कंपनियों को होता है। मुनाफा किसी एक समुदाय तक सीमित नहीं है।

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