/sootr/media/media_files/2025/09/01/trump-bharmin-2025-09-01-14-08-28.jpg)
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने हाल ही में कहा कि भारत के ब्राह्मण समुदाय (Brahmin community) रूस से तेल आयात करके "भारतीय जनता की कीमत पर मुनाफाखोरी कर रहे हैं"। उनके इस बयान के बाद भारत में तीखी प्रतिक्रिया हुई और सोशल मीडिया पर उनकी आलोचना शुरू हो गई।
क्यों अमेरिका को रूस-भारत तेल व्यापार (Russia-India oil trade) से समस्या है?
रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद भारत ने रूस से सस्ता तेल खरीदकर अपनी ऊर्जा लागत कम की। भारत के लिए यह कदम आर्थिक दृष्टि से सही था, लेकिन अमेरिका को भारत की यह स्वतंत्र नीति पसंद नहीं आ रही। यही वजह है कि पीटर नवारो जैसे सलाहकार अब जाति के मुद्दे को राजनीतिक बहाने के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं।
भारतीय नेताओं और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल ने नवारो को करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि नवारो के विचार 19वीं सदी के औपनिवेशिक व्यंग्य की याद दिलाते हैं। शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भी कहा कि नवारो का बयान हास्यास्पद और बचकाना है।
कलाकार और विश्लेषक क्या कहते हैं?
अभिनेता रणवीर शूरी और राष्ट्रीय सुरक्षा विश्लेषक दिव्य कुमार सोती ने भी कड़ा विरोध दर्ज कराते हुए कहा कि भारत को बदनाम करने के लिए बार-बार ब्राह्मणों को ही निशाना बनाया जाता है। पत्रकार पद्मजा जोशी ने इसे नस्लवादी सोच का उदाहरण बताया।
रूस-भारत तेल आयात (Russia oil import to India) का सच
भारत का रूस से तेल आयात 2021 में 1% से कम था, लेकिन 2024-25 में यह बढ़कर लगभग 35% हो गया। इससे रिलायंस, नायरा एनर्जी और सरकारी कंपनियों को लाभ हुआ और पेट्रोल-डीजल की कीमतें भी स्थिर रहीं। स्पष्ट है कि इससे आम जनता को नुकसान नहीं हुआ बल्कि फायदा ही हुआ।
पीटर नवारो के बयान पर प्रतिक्रियाएंसंजीव सान्याल: औपनिवेशिक सोच का उदाहरण। प्रियंका चतुर्वेदी: नवारो का पतन बुढ़ापे की चरम सीमा है। रणवीर शूरी: ब्राह्मणों के खिलाफ नफरत अब अंतरराष्ट्रीय बनाने की कोशिश। पद्मजा जोशी: नस्लवाद की बू आती है। |
अमेरिकी बेचैनी की असली वजह
पीएम मोदी हाल ही में शंघाई सहयोग संगठन समिट (SCO) की बैठक में चीन और रूस के नेताओं से मिले। भविष्य की विश्व-राजनीति में भारत की बढ़ती भूमिका अमेरिका के लिए चुनौती का संकेत देती है। नवारो का बयान दरअसल उसी भू-राजनीतिक बेचैनी की झलक है।
निष्कर्ष
नवारो का यह बयान तथ्यात्मक रूप से गलत और भ्रामक है। भारत का रूस से तेल आयात न केवल वैध है बल्कि इससे पेट्रोलियम कीमतें नियंत्रण में रहीं। "ब्राह्मण मुनाफाखोरी" वाला आरोप सामाजिक विभाजन पैदा करने का प्रयास है, जो भारत की मजबूत लोकतांत्रिक संरचना को तोड़ नहीं सकता।
FAQ
thesootr links
- मध्यप्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- राजस्थान की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक
- जॉब्स और एजुकेशन की खबरें पढ़ने के लिए क्लिक करें
- निशुल्क वैवाहिक विज्ञापन और क्लासिफाइड देखने के लिए क्लिक करें
अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢🔃🤝💬👩👦👨👩👧👧