50 फीसदी टैरिफ के बाद अब एच 1 बी वीजा खत्म करने की तैयारी में ट्रंप!, जानें भारत पर कितना होगा असर

ट्रंप सरकार के 50 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने के बाद H-1B वीजा को लेकर दबाव बढ़ रहा है। रिपब्लिकन नेता एच-1 बी वीजा व्यवस्था समाप्त करने की मांग कर रहे हैं, जिससे भारतीय आईटी क्षेत्र और अमेरिकी कंपनियों को नुकसान हो सकता है।

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Sanjay Dhiman
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भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने के बाद अब ट्रंप प्रशासन भारतीय आईटी पेशेवरों के लिए नई मुश्किलें खड़ी करने जा रहा है। अमेरिका के कई बड़े नेता ट्रंप प्रशासन से एच-1बी वीजा की समीक्षा करने और इसे खत्म करने की मांग कर रहे हैं।

इस मामले का तूल पकड़ने से सबसे अधिक प्रभावित भारतीय पेशेवर होंगे, साथ ही अमेरिकी आईटी कंपनियों को भी नुकसान होने की आशंका है। अमेरिकी रिपब्लिकन पार्टी के कुछ नेता एच-1बी वीजा व्यवस्था को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं।

एच-1बी वीजा क्या है? (What is the H-1B Visa?)

एच-1बी वीजा (H-1B Visa) एक विशेष प्रकार का अमेरिकी वीजा है, जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने की अनुमति देता है, खासकर उन पेशेवरों को जो उच्च-स्तरीय कौशल और शिक्षा में प्रशिक्षित होते हैं। यह वीजा अमेरिकी कंपनियों को अपनी कार्यशक्ति में बढ़ोतरी लाने और उन क्षेत्रों में विशेष कौशल की आवश्यकता पूरी करने में मदद करता है, जो अमेरिकी नागरिकों के पास उपलब्ध नहीं होते। 

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ट्रंप सरकार के फैसले और H-1B वीजा

हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय आयात पर 50% शुल्क लगाने की घोषणा की। इससे भारत और अमेरिका के रिश्तों में तनाव देखा जा रहा है। ट्रंप प्रशासन ने अब एच-1बी वीजा कार्यक्रम को "खराब" बताते हुए इसे खत्म करने की योजना बनाई है।

वाणिज्य सचिव होवार्ड लुटनिक ने कहा है कि एच-1बी वीजा प्रणाली को बदलने के लिए वे कार्रवाई करेंगे, साथ ही ग्रीन कार्ड प्रोग्राम में भी बदलाव किया जाएगा। एच 1 बी वीजा समाप्त होने पर सबसे अधिक प्रभाव भारतीय लोगों पर पडे़गा।

H-1B वीजा का प्रभाव भारतीय आईटी क्षेत्र पर 

भारत, जो एक प्रमुख आईटी सेवा प्रदाता देश है, एच-1बी वीजा का सबसे बड़ा उपयोग करने वाला देश रहा है। पिछले वर्षों में अमेरिका द्वारा जारी किए गए एच-1बी वीजा का 73-78% हिस्सा भारतीयों को मिला है।

यदि ट्रंप सरकार एच-1बी वीजा को समाप्त करती है, तो भारतीय आईटी कंपनियों और पेशेवरों के लिए यह एक बड़ा झटका हो सकता है, क्योंकि यह भारतीय आईटी क्षेत्र के लिए एक प्रमुख रास्ता रहा है अमेरिकी बाजार में प्रवेश करने का। 

हजारों भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स से जुडे़ इस मामले को ऐसे समझें 

एच-1बी वीज़ा में अमेरिका के प्रस्तावित बदलावों का भारतीयों के लिए क्या मतलब  है?

  1. ट्रंप प्रशासन ने भारत पर 50% शुल्क लगाने के बाद भारतीय आईटी पेशेवरों के लिए नई मुश्किलें खड़ी करने की योजना बनाई है।
  2. अमेरिकी के कई बड़े नेता एच-1बी वीजा की समीक्षा और इसे समाप्त करने की मांग कर रहे हैं।
  3. एच-1बी वीजा पर दबाव बढ़ने से भारतीय पेशेवरों के साथ अमेरिकी आईटी कंपनियों को भी नुकसान होने की संभावना है।
  4. रिपब्लिकन पार्टी के कुछ नेता एच-1बी वीजा व्यवस्था को खत्म करने की मांग कर रहे हैं।
  5. इस मुद्दे का तूल पकड़ने से भारतीय पेशेवरों और अमेरिकी कंपनियों के बीच असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

अमेरिकी कंपनियों पर भी होगा असर 

अमेरिकी कंपनियों के लिए एच-1बी वीजा बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उन्हें अत्यधिक कुशल विदेशी पेशेवरों को नियुक्त करने की सुविधा देता है। भारतीय आईटी कंपनियां, जो अमेरिकी कंपनियों के लिए काम करती हैं, इस वीजा पर निर्भर हैं। अगर यह वीजा प्रणाली समाप्त होती है तो अमेरिकी कंपनियों को अपने मैन पावर को बनाए रखने के लिए अन्य विकल्प तलाशने होंगे, जिससे उनकी लागत बढ़ सकती है और कार्य की गुणवत्ता पर असर पड़ सकता है।

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ग्रीन कार्ड प्रोग्राम में भी बदलाव के संकेत

ग्रीन कार्ड, जो स्थायी निवास की अनुमति देता है, भारतीय पेशेवरों के लिए एक और महत्वपूर्ण विषय है। ट्रंप प्रशासन ने ग्रीन कार्ड प्रोग्राम में भी बदलाव की योजना बनाई है। वर्तमान में, भारतीयों को ग्रीन कार्ड प्राप्त करने में वर्षों का समय लगता है, और ट्रंप प्रशासन द्वारा इसे और कठिन बनाने का असर भारतीय पेशेवरों पर पड़ेगा।

H-1B वीजा के खिलाफ उठी मांग

ट्रंप प्रशासन के साथ-साथ रिपब्लिकन पार्टी के कुछ बड़े नेता और समर्थक एच-1बी वीजा व्यवस्था को खत्म करने की मांग कर रहे हैं। फ्लोरिडा के गवर्नर रॉन डीसैंटिस ने कहा है कि जब अमेरिकी नागरिकों को नौकरियों से निकाला जा रहा है, तो एच-1बी वीजा धारकों का कार्यकाल बढ़ाना सही नहीं है। वे मानते हैं कि इससे केवल कुछ कंपनियों और भारत को लाभ हो रहा है, जबकि अमेरिकी नागरिकों को नौकरी से हाथ धोना पड़ता है।

एच-1बी वीजा और भारत-अमेरिका रिश्ते

भारत सरकार ने हमेशा इस मुद्दे पर जोर दिया है कि एच-1बी वीजा दोनों देशों के लिए फायदेमंद है। भारतीय विदेश मंत्रालय का मानना है कि दोनों देशों के बीच कुशल पेशेवरों को काम करने की आजादी देना एक अहम पहलू है। अमेरिका के आंकड़े बताते हैं कि 2022-23 में कुल 2,65,777 एच-1बी वीजा जारी किए गए, जिनमें से 78% (2,07,306) भारतीयों को दिए गए थे।

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