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NEW DELHI. 2025 के क्रिसमस डे के दौरान ईसाई समुदाय के खिलाफ हमले बढ़ गए हैं। हिंसा, धमकियां और धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन हुआ है। अधिवक्ता दीपक बुंदेले ने राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग को पत्र लिखा है। पत्र में तत्काल जांच और कठोर कार्रवाई की मांग की गई है।
कहां-कहां हुआ हमला
मध्यप्रदेश(जबलपुर): चर्च में प्रार्थना सभा पर हमला हुआ और एक नेत्रहीन महिला पर शारीरिक हमला किया गया। इस घटना में बीजेपी से जुड़े नेताओं के नाम भी आए हैं।
ब्लाइंड छात्र-छात्राओं के धर्मांतरण का आरोप
एमपी के जबलपुर के गोरखपुर थाना इलाके में शनिवार को चर्च में ब्लाइंड छात्र-छात्राओं के धर्मांतरण का आरोप लगा। हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं ने मौके पर हंगामा किया। विवाद बढ़ने पर मारपीट की नौबत आ गई। पुलिस को सूचना मिलते ही सीएसपी टीम मौके पर पहुंची। पुलिस ने विवाद को शांत करने की कोशिश की।
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छत्तीसगढ़ (कांकेर): दफन विवाद के नाम पर दो चर्चों को जलाया गया और घरों को नुकसान पहुंचाया गया। इसके अलावा, ईसाई समुदाय को बंद करने की धमकी दी गई।
सीजी में हुआ ऐसा मामला
छत्तीसगढ़ के कांकेर में आदिवासी और ईसाई समुदाय के बीच तनाव बढ़ गया है। गुरुवार को अमाबेड़ा इलाके में ईसाई बने गांव के सरपंच के पिता का अंतिम संस्कार किया गया। इसके बाद आदिवासी समुदाय ने गांव में दफनाने का विरोध किया। उन्होंने शव को कब्र से बाहर निकालने की मांग की। हिंसा इतनी बढ़ी कि प्रशासन को इलाके में कर्फ्यू लगाना पड़ा।
केरल (पलक्कड़): कैरोल गाने वाले बच्चों के समूह पर हमला किया गया। इस घटना में आरएसएस कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया।
संगीत वाद्ययंत्रों को नुकसान पहुंचाया
केरल में हाल ही में हुए स्थानीय चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की कुछ सफलताओं से उत्साहित होकर RSS-BJP कार्यकर्ता अश्विन राज ने कथित तौर पर बच्चों पर हमला किया और उनके संगीत वाद्ययंत्रों को नुकसान पहुंचाया। पुलिस ने राज को गिरफ्तार कर लिया है।
यह घटना 21 दिसंबर की रात पलक्कड़ जिले के कलांदिथारा, पुडुस्सेरी में हुई, जहां RSS-BJP कार्यकर्ता ने बच्चों के क्रिसमस कैरल ग्रुप पर हमला किया। इसके बाद राज्य में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। द हिंदू ने इस घटना की रिपोर्ट प्रकाशित की।
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उत्तर प्रदेश: सांता कैप बेचने वालों और पहनने वालों पर हमले हुए। कई स्कूलों में क्रिसमस की छुट्टी रद्द की गई और सजावट को तोड़ा गया।
अन्य राज्य: राजस्थान, उत्तराखंड (हरिद्वार में इवेंट रद्द), दिल्ली और ओडिशा में समान घटनाएं देखी गईं।
हरिद्वार में हुआ हमला
धर्मनगरी हरिद्वार में गंगा तट से जुड़ी हर गतिविधि केवल आयोजन नहीं, बल्कि आस्था और परंपरा का विषय मानी जाती है। जब गंगा किनारे स्थित एक होटल में क्रिसमस से जुड़े कार्यक्रमों के प्रचार की खबर सामने आई, तो यह मामला सामान्य इवेंट मैनेजमेंट से बाहर जाकर धार्मिक पहचान और सांस्कृतिक मर्यादा की बहस में बदल गया। सोशल मीडिया पोस्ट से शुरू हुआ यह विवाद जल्द ही हिंदू संगठनों के तीखे विरोध तक पहुंच गया।
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हमलावरों का इरादा
इन हमलों के पीछे मुख्य रूप से हिंदुत्व संगठनों का हाथ बताया जा रहा है। ये संगठन जबरन धर्मांतरण के झूठे आरोपों के आधार पर हमले कर रहे हैं। प्रार्थना सभाओं, कैरोल और क्रिसमस सजावट को निशाना बनाना उनका मुख्य उद्देश्य है। इसके अलावा, कई मामलों में पुलिस ने निष्क्रियता दिखाई या हमलावरों का पक्ष लिया। इससे इन हमलों को और बढ़ावा मिला।
आवश्यक कार्रवाई
तत्काल और स्वतंत्र जांच इन सभी घटनाओं की स्वतंत्र और तत्काल जांच की जाए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
सुरक्षा और न्याय : प्रभावित ईसाई समुदाय को सुरक्षा प्रदान की जाए और उन्हें न्याय मिले।
राज्य सरकारों के निर्देश : राज्य सरकारों को धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करने के लिए स्पष्ट निर्देश जारी किए जाएं, ताकि इस प्रकार की घटनाओं को रोका जा सके।
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कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया की प्रतिक्रिया
कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (CBCI) ने इन घटनाओं की कड़ी निंदा की है। CBCI ने ईसाई समुदाय के लिए सुरक्षा की मांग की है। उन्होंने सरकार और स्थानीय प्रशासन से अधिक सक्रियता दिखाने और सुरक्षा प्रदान करने की अपील की है।
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समाज में धार्मिक सद्भावना का संकट
भारतीय संविधान: ये हमले भारतीय समाज की धार्मिक सद्भावना को खतरे में डाल रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप, विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच नफरत और असहमति बढ़ सकती है। ऐसी घटनाएं धार्मिक एकता और समानता के सिद्धांत को कमजोर कर सकती हैं।
अधिवक्ता दीपक बुंदेले ने लिखा पत्र
दीपक बुंदेले ने राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग को पत्र लिखा है। उन्होंने दिसंबर 2025 में ईसाई समुदाय पर बढ़ते हमलों की जांच की मांग की है। पत्र में धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन की भी बात की गई है। उन्होंने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की अपील की है। प्रभावितों को सुरक्षा देने और राज्य सरकारों को निर्देश देने की मांग की है।
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