महाराष्ट्र में औरंगजेब की कब्र हटाने को लेकर हाल ही में विवाद गहरा गया है। विभिन्न हिंदू संगठनों ने इस मुद्दे पर जोरदार प्रदर्शन किया, जिसके बाद स्थिति हिंसक हो गई। नागपुर में हुए पथराव में चार पुलिसकर्मी घायल हुए, और प्रदर्शनकारियों ने सड़क पर आगजनी और पथराव किया। इस मुद्दे ने राज्य में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है और इस पर मुख्यमंत्रियों और राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं आई हैं।
हिंदू संगठनों की मांग और शिवसेना की टिप्पणी
हिंदू संगठनों ने मांग की कि औरंगजेब की कब्र को तुरंत हटाया जाए, जबकि शिवसेना (यूबीटी) ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया में इन संगठनों की तुलना तालिबान से की। शिवसेना का कहना था कि ऐसे संगठनों का उद्देश्य राज्य के माहौल को खराब करना और राजनीति में लाभ उठाना है। इस टिप्पणी से सियासी तनाव और बढ़ गया है।
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मुस्लिम संगठनों का विरोध और हिंसा
हिंदू संगठनों के बाद, मुस्लिम संगठनों ने भी इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने प्रदर्शन के दौरान पथराव किया और कुछ वाहनों को आग के हवाले कर दिया। उनका कहना था कि हिंदू संगठनों द्वारा जलाए गए प्रतीकात्मक कब्र पर पवित्र कलमे लिखी थीं, और इसे जलाने से इस्लाम का अपमान हुआ है। हालांकि, पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में रखने की कोशिश की और धारा 144 लागू कर दी।
मुख्यमंत्री का बयान और सुरक्षा इंतजाम
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मुद्दे पर सख्त बयान दिया और कहा कि औरंगजेब की कब्र का महिमामंडन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि अगर कोई औरंगजेब की कब्र का समर्थन करता है, तो ऐसा नहीं होने दिया जाएगा। इसके साथ ही, उन्होंने इस बात का भी विरोध किया कि कब्र का संरक्षण किया जा रहा है क्योंकि इसे एएसआई द्वारा संरक्षित किया गया है।
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नागपुर में सुरक्षा कड़ी
नागपुर में हुए हिंसक प्रदर्शन को देखते हुए पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए। पुलिस कमिश्नर ने स्थिति को शांतिपूर्ण बताते हुए कहा कि जो भी हिंसा में शामिल होगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, प्रदर्शनकारियों को अफवाहों पर विश्वास न करने की सलाह दी गई है।