कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट : क्या होगा पेट्रोल-डीजल के रेट पर असर, जानिए?

कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से पेट्रोल और डीज़ल की कीमतों पर असर हो सकता है। जानिए अमेरिका-ईरान वार्ता और रूस-यूक्रेन युद्ध विराम का इस पर क्या प्रभाव पड़ा। इससे भारत जैसे तेल आयातक देशों की अर्थव्यवस्था पर भी प्रभाव पड़ सकता है।

author-image
Jitendra Shrivastava
New Update
THE SOOTR

crude-oil-prices-fall Photograph: (THE SOOTR)

Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

कच्चे तेल की कीमतों में हाल ही में गिरावट आई है, जो वैश्विक बाजार के लिए एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। इसका असर न केवल ऊर्जा बाजारों पर पड़ा है, बल्कि इससे भारत जैसे तेल आयातक देशों की अर्थव्यवस्था पर भी प्रभाव पड़ा है। कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के मुख्य कारणों में अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु वार्ता की प्रगति और रूस-यूक्रेन के बीच संघर्ष में कुछ समय के लिए युद्ध विराम शामिल हैं।

कच्चे तेल की कीमत 63.70 डॉलर प्रति बैरल 

सोमवार को एशिया में कच्चे तेल की कीमतों में 1 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई। ब्रेंट क्रूड वायदा (Brent Crude Futures) में 1.50 प्रतिशत की गिरावट आई, जिससे इसकी कीमत 66.94 डॉलर प्रति बैरल (per barrel) हो गई। इसके अलावा, यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड (US West Texas Intermediate Crude) में भी 1.52 प्रतिशत की गिरावट आई, जिसके बाद यह 63.70 डॉलर प्रति बैरल (per barrel) पर आ गया।

इस गिरावट के पीछे प्रमुख कारण अमेरिकी और ईरान के बीच परमाणु वार्ता की प्रगति है, जिससे आपूर्ति संकट में कमी आई है। वहीं, रूस और यूक्रेन के बीच कुछ समय के लिए युद्ध विराम का निर्णय भी कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का एक कारण बन रहा है।

ये खबरें भी पढ़ें...

राहुल गांधी के बयान पर BJP का पलटवार: हेमंत सोरेन और प्रियंका की जीत पर उठाए सवाल

रामदास अठावले का विवादित बयान: न्यायपालिका को संसद का सम्मान करना चाहिए

क्या ये अमेरिका-ईरान परमाणु वार्ता का है असर

अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु वार्ता में सकारात्मक प्रगति के कारण वैश्विक आपूर्ति संकट में सुधार देखा जा रहा है। दोनों देशों के अधिकारियों के अनुसार, इस वार्ता में अच्छी प्रगति हुई है और अब दोनों पक्ष एक सहमति पर पहुंचने के करीब हैं। यदि यह समझौता पूरा होता है, तो इससे कच्चे तेल की आपूर्ति में सुधार होगा, जो वैश्विक कीमतों पर दबाव डाल सकता है।
वार्ता के बाद, ईरान से कच्चे तेल की आपूर्ति में वृद्धि हो सकती है, जो वैश्विक आपूर्ति संकट को कम करने में मदद कर सकती है। इससे कच्चे तेल की कीमतों में और गिरावट आ सकती है।

रूस-यूक्रेन शांति समझौता

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध का असर भी कच्चे तेल की कीमतों पर पड़ा था। लेकिन, हाल ही में दोनों देशों ने एक शांति समझौते की ओर कदम बढ़ाए हैं। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने नागरिक बुनियादी ढांचे पर हमलों को 30 दिनों के लिए निलंबित करने का प्रस्ताव दिया है। हालांकि, राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की का कहना है कि युद्ध विराम का उल्लंघन हुआ है, लेकिन फिर भी यह निर्णय वैश्विक तेल आपूर्ति को प्रभावित कर सकता है।
युद्ध विराम से तेल उत्पादन और आपूर्ति में कोई रुकावट नहीं आई है, जिससे कच्चे तेल की कीमतों पर असर पड़ सकता है।

ये खबरें भी पढ़ें...

द वायर ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को क्यों लिखा पक्षपाती हमलावर कुत्ता...

ईसाई धर्म के सबसे बड़े धर्मगुरू पोप फ्रांसिस का निधन, कौन होगा नया पोप?

भारत में कच्चे तेल की कीमतों का असर

भारत कच्चे तेल का 85 प्रतिशत से अधिक आयात करता है, और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से देश को लाभ हो सकता है। हालांकि, यह गिरावट पेट्रोल और डीज़ल की कीमतों पर सीधा असर नहीं डालती, क्योंकि भारत में ईंधन की कीमतों का निर्धारण कई कारकों पर आधारित होता है, जिनमें टैक्स, रिफाइनरी लागत और सरकारी नीतियां शामिल हैं।

भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतें केंद्रीय और राज्य सरकारों द्वारा निर्धारित करों पर निर्भर करती हैं। इसलिए, जब कच्चे तेल की कीमतें गिरती हैं, तो इसका सीधा असर पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर नहीं पड़ता, लेकिन लंबी अवधि में इसका असर हो सकता है, खासकर अगर अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतें स्थिर बनी रहें।

वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत 

वैश्विक स्तर पर, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से कई देशों की ऊर्जा लागत में कमी हो सकती है। इससे मुद्रास्फीति दर को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत है। हालांकि, देशों के भीतर ऊर्जा की कीमतें स्थानीय करों और नीतियों के अनुसार भिन्न हो सकती हैं।

निवेशकों की चिंताएं

हालांकि कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आई है, निवेशकों को चिंता है कि अमेरिकी-चीन व्यापार युद्ध से वैश्विक स्तर पर तेल की मांग में कमी आ सकती है। इसके अलावा, ओपेक (OPEC) द्वारा उत्पादन को बढ़ाने के फैसले से भी बाजार में अधिक आपूर्ति हो सकती है, जिससे मंदी बढ़ सकती है।
कच्चा तेल | crude oil | रूस-यूक्रेन युद्ध | देश दुनिया न्यूज

देश दुनिया न्यूज रूस-यूक्रेन युद्ध पेट्रोल-डीजल crude oil कच्चा तेल