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bjp-rahul-gandhi Photograph: (THE SOOTR)
भारत में चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता को लेकर अक्सर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप होते रहते हैं। इसी संदर्भ में, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अमेरिका के बोस्टन विश्वविद्यालय में भारतीय चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग "कंप्रोमाइज्ड" है और इस संस्थान के कार्यों में "कुछ तो गलत" है। राहुल ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का उदाहरण दिया, जिसमें उनके मुताबिक दो घंटे में 65 लाख वोट जुड़ गए, जो उन्होंने "फिजिकली इंपॉसिबल" करार दिया।
बीजेपी का पलटवार: राहुल गांधी देशद्रोही हैं
बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने राहुल गांधी के इन आरोपों का कड़ा जवाब दिया। उनका कहना था कि राहुल गांधी विदेश में बैठकर भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं, जबकि वह खुद जमानत पर हैं और उनके ऊपर गंभीर आरोप हैं। पात्रा ने कहा कि राहुल गांधी जिस थाली में खाते हैं, वहीं थाली में छेद करते हैं, और इसी कारण उन्हें देशद्रोही माना जाता है।
संबित पात्रा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेता ने अपनी पार्टी के फायदे के लिए चुनाव आयोग पर हमला किया और भारतीय लोकतंत्र की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की।
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हेमंत सोरेन और प्रियंका गांधी पर भी आरोप
बीजेपी ने यह सवाल भी उठाया कि क्या हेमंत सोरेन और प्रियंका गांधी ने चुनाव आयोग से समझौता कर चुनाव जीते थे। पात्रा ने कहा कि जब झारखंड में हेमंत सोरेन चुनाव जीतने के बाद आरोपों से घिरे थे, क्या तब चुनाव आयोग ने उनसे समझौता किया था? इसी तरह प्रियंका गांधी की वायनाड से जीत को लेकर भी सवाल उठाए गए।
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क्या भारतीय लोकतंत्र पर सवाल उठाना सही है?
राहुल गांधी के आरोपों पर न केवल बीजेपी बल्कि कई राजनीतिक और लोकतांत्रिक विश्लेषकों ने भी अपनी चिंता व्यक्त की है। क्या एक राष्ट्रीय नेता को विदेश में बैठकर भारत की संवैधानिक संस्थाओं पर इस प्रकार के आरोप लगाना चाहिए? यह सवाल न केवल उनके इरादों को लेकर बल्कि भारत की छवि को लेकर भी गंभीर है।
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राहुल गांधी के बयान और उनकी वैश्विक यात्रा
राहुल गांधी का यह कोई पहला मौका नहीं है जब उन्होंने विदेश में भारतीय लोकतंत्र और संस्थाओं पर सवाल उठाए हैं। इससे पहले भी वह कई बार विदेश में भारतीय लोकतंत्र की आलोचना कर चुके हैं। हालांकि, उनके इन बयानों को भारत में उनके विरोधी हमेशा गंभीर रूप से लेते हैं और इसे राष्ट्रीय प्रतिष्ठा के खिलाफ मानते हैं।
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चुनाव आयोग की स्थिति
चुनाव आयोग के संदर्भ में राहुल गांधी द्वारा उठाए गए आरोपों के जवाब में आयोग ने पहले भी कई बार यह स्पष्ट किया है कि आयोग पूरी तरह से स्वतंत्र है और उसकी कार्यप्रणाली किसी भी दबाव से मुक्त है। चुनाव आयोग का कहना है कि वह निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और किसी भी राजनीतिक दबाव को स्वीकार नहीं करता।
बीजेपी का तर्क: राहुल गांधी को खुद को साबित करे
बीजेपी ने राहुल गांधी को चुनौती दी है कि वह पहले अपनी पार्टी के नेताओं द्वारा किए गए भ्रष्टाचार के आरोपों का जवाब दें और फिर लोकतांत्रिक संस्थाओं पर सवाल उठाएं। बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने राहुल गांधी को यह याद दिलाया कि वह बेल पर हैं और उनके खिलाफ गंभीर आरोप हैं। उनका कहना था कि राहुल गांधी की तरह विदेशों में जाकर देश की संस्थाओं को बदनाम करना, देश की जनता को विश्वास में नहीं लाता। देश दुनिया न्यूज
राहुल गांधी के विदेश बयानों से उठे विवाद...
कांग्रेस नेता राहुल गांधी अक्सर अपने विदेश दौरे पर दिए गए बयानों को लेकर चर्चा में रहते हैं। इनमें से कई बयान भारत की राजनीति और संस्थाओं पर सवाल उठाते हुए दिखते हैं। इन बयानों ने न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी विवादों को जन्म दिया है। हम यहां उन 10 प्रमुख मौकों के बारे में बात करेंगे जब राहुल गांधी के विदेश में दिए गए बयान ने विवाद खड़ा किया।
- 1. बोस्टन में चुनाव आयोग पर हमला
- राहुल गांधी ने बोस्टन विश्वविद्यालय में भारतीय चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग "कंप्रोमाइज्ड" है और इसके सिस्टम में कुछ "बहुत गलत" है। उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का उदाहरण देते हुए कहा कि दो घंटे में 65 लाख वोट जुड़ना "फिजिकली इंपॉसिबल" था। चुनाव आयोग ने इस आरोप को नकारते हुए कहा था कि यह आरोप बेबुनियाद हैं।
- 2. भारत के लोकतंत्र को 'ब्रोकेन' कहा
- राहुल गांधी ने 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद अमेरिका के नेशनल प्रेस क्लब में भारत के लोकतंत्र को "ब्रोकेन" (टूटे हुए) करार दिया। उनका कहना था कि पिछले 10 सालों में भारत का लोकतंत्र टूट चुका था और अब वह लड़ रहा है। यह बयान भारतीय लोकतंत्र पर सीधा हमला था, और विपक्ष के नेता के तौर पर यह उनके बयान की विश्वसनीयता को प्रभावित करता है।
- 3. ब्रसेल्स में भारतीय संस्थाओं पर सवाल
- सितंबर 2023 में राहुल गांधी ने ब्रसेल्स में भारतीय संस्थाओं पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि भारत में "फुल-स्केल अटैक" हो रहा है और संस्थाओं की निष्पक्षता पर संदेह जताया। राहुल गांधी ने भारतीय लोकतंत्र को लेकर भी नकारात्मक बातें कहीं, जिससे भारत की छवि को नुकसान हुआ।
- 4. भारत की संस्थाओं को 'परजीवी' कहा
- मई 2022 में राहुल गांधी ने लंदन में "आइडियाज फॉर इंडिया" सम्मेलन में भारतीय संस्थाओं को "परजीवी" करार दिया और आरोप लगाया कि 'डीप स्टेट' (CBI, ED) भारत को चबा रहा है। उनका यह बयान भारत की स्थिर और मजबूत संस्थाओं पर हमला था, जिसने विवाद पैदा किया।
- 5. प्रधानमंत्री मोदी को 'देशभक्त नहीं' बताया
- अगस्त 2018 में राहुल गांधी ने यूके और जर्मनी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'देशभक्त नहीं' बताया। उनका आरोप था कि मोदी जनता के गुस्से का इस्तेमाल देश को नुकसान पहुंचाने में कर रहे हैं। यह बयान पूरी तरह से विवादास्पद था, क्योंकि उन्होंने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के चुने हुए प्रधानमंत्री पर गंभीर आरोप लगाए।
- 6. नोटबंदी को लेकर तंज किया
- मार्च 2018 में मलेशिया में राहुल गांधी ने नोटबंदी पर तंज किया। उन्होंने कहा कि अगर वह प्रधानमंत्री होते तो नोटबंदी को "कूड़ेदान में फेंक देते"। यह बयान भारत के आर्थिक फैसलों का मजाक उड़ाने जैसा था, जो देश की अंतरराष्ट्रीय छवि के लिए नकारात्मक हो सकता था।
- 7. भारत में 'डर और नफरत' का माहौल बताया
- राहुल गांधी ने 2018 में सिंगापुर में कहा कि भारत में "डर और नफरत" का माहौल बन गया है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत की बहुलता की विचारधारा खतरे में है। उनका यह बयान भारत की लोकतांत्रिक छवि को नुकसान पहुंचाने वाला था और यह भारतीय राजनीति पर सवाल खड़ा करता था।
- 8. सरकार पर नफरत फैलाने का आरोप
- जनवरी 2018 में बहरीन में राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह बेरोजगारी से निपटने में नाकाम रही है और नफरत फैलाने में व्यस्त है। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि सरकार ने विभिन्न समुदायों के बीच नफरत फैलाई है। यह बयान भारत में सामाजिक सौहार्द को प्रभावित कर सकता था।
- 9. प्रधानमंत्री मोदी सरकार पर आरोप
- सितंबर 2017 में अमेरिका के बर्कले में राहुल गांधी ने कहा कि मोदी सरकार केवल टॉप 100 कंपनियों के लिए काम कर रही है। इस बयान ने भारत के विकास की नीतियों पर सवाल उठाया और अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत के नीति निर्णयों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया।
- 10. भारत में सहनशीलता की कमी का आरोप
- 2017 में राहुल गांधी ने अमेरिका में कहा कि अब भारत वह देश नहीं रहा जहां हर कोई कुछ भी कह सकता है। उन्होंने कहा कि भारत में सहनशीलता खत्म हो गई है। यह बयान भारतीय समाज की विविधता और लोकतांत्रिक स्वभाव पर सवाल उठाता था।