रामदास अठावले का विवादित बयान: न्यायपालिका को संसद का सम्मान करना चाहिए

केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने सुप्रीम कोर्ट को सम्मान देने की बात कही, लेकिन यह भी कहा कि न्यायपालिका को संसद के सर्वोच्च होने का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि न्यायपालिका का काम कानून के अनुसार निर्णय देना है।

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Jitendra Shrivastava
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THE SOOTR

ramdas-athawale Photograph: (THE SOOTR)

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केंद्रीय मंत्री और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (RPI) के नेता रामदास अठावले ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के बारे में बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि संसद सर्वोच्च है और कानून बनाना केवल संसद का कार्य है। उन्होंने यह भी कहा कि न्यायपालिका का काम कानून के अनुसार निर्णय देना है, और सुप्रीम कोर्ट को भी संसद का सम्मान करना चाहिए।

अठावले का यह बयान उस समय आया जब बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने एक विवादास्पद बयान दिया था, जिसमें उन्होंने मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को गृह युद्ध के लिए जिम्मेदार ठहराया था। इसके बाद, अठावले ने यह स्पष्ट किया कि जबकि सुप्रीम कोर्ट का सम्मान किया जाना चाहिए, लेकिन न्यायपालिका को यह समझना चाहिए कि संसद सर्वोच्च है और संसद द्वारा बनाए गए कानूनों पर टिप्पणी करना हर मामले में उचित नहीं होता।

रामदास अठावले का बयान और राजनीति में उठे सवाल

रामदास अठावले के बयान से यह स्पष्ट होता है कि वह न्यायपालिका के प्रति अपने सम्मान का इज़हार करते हुए, संसद की शक्ति को भी महत्व देते हैं। उनका कहना था कि यदि सुप्रीम कोर्ट कानून बनाने लगे, तो संसद की भूमिका कम हो जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट ही कानून बनाएगा, तो संसद भवन को बंद कर देना चाहिए, जो उनके बयान को और अधिक विवादास्पद बना गया।

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संसद और न्यायपालिका के बीच संतुलन

भारत में संसद और न्यायपालिका के बीच संतुलन बनाए रखना बेहद महत्वपूर्ण है। एक ओर जहां संसद का काम कानून बनाना है, वहीं न्यायपालिका का दायित्व उन कानूनों का पालन और उनका सही तरीके से निर्णय करना है। यदि किसी स्थिति में न्यायपालिका संसद के अधिकारों में हस्तक्षेप करती है, तो यह संवैधानिक विवाद का कारण बन सकता है। रामदास अठावले का यह बयान इस संतुलन को बनाए रखने की ओर इशारा करता है।

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विपक्ष की प्रतिक्रिया और कार्यवाही की मांग

निशिकांत दुबे के बयान को लेकर विपक्षी दलों ने उनकी तत्काल बर्खास्तगी की मांग की है। झारखंड के मंत्री इरफान अंसारी ने कहा कि दुबे को लोकसभा से बर्खास्त किया जाना चाहिए, जबकि कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि यह बयान हिंदू-मुसलमान के बीच दरार पैदा करने के उद्देश्य से दिया गया था। 
विपक्ष का कहना है कि इस तरह के बयान सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाते हैं और भारतीय लोकतंत्र की बुनियाद को कमजोर करते हैं। इस पर सरकार का कहना है कि बीजेपी पार्टी इस तरह के बयानों से खुद को अलग करती है और न्यायपालिका का सम्मान करती है।

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बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे का विवादित बयान

निशिकांत दुबे के बयान ने राजनीतिक हलकों में तूफान मचा दिया था। उन्होंने कहा था, “इस देश में हो रहे गृह युद्धों के लिए मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना जिम्मेदार हैं।” उनके इस बयान को लेकर विपक्षी पार्टियों ने तीव्र विरोध किया और कार्रवाई की मांग की। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि दुबे हिंदू-मुसलमान के बीच विभाजन करने की कोशिश कर रहे हैं और उनकी यह टिप्पणी समाज में द्वेष पैदा कर रही है। 

इसके बावजूद, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने दुबे के बयान से पार्टी को अलग कर लिया। उन्होंने कहा कि यह बयान दुबे का व्यक्तिगत विचार है और इसका पार्टी से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि बीजेपी न्यायपालिका का सम्मान करती है और कभी भी उस पर कोई गलत टिप्पणी नहीं करेगी।

 

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