क्या है शराब पॉलिसी, जो केजरीवाल सरकार के लिए नासूर बनी

विवादित शराब नीति की गाज सीएम केजरीवाल से पहले दिल्ली के आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया, पार्टी सांसद संजय सिंह, तेलंगाना के मुख्यमंत्री की बेटी के. कविता के अलावा कई शराब कारोबारी व सरकार के कुछ अधिकारियों की गिरफ्तारी के रूप में गिर चुकी है।

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Dr Rameshwar Dayal
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NEW DELHI. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ( CM Arvind Kejriwal ) फिलहाल गिरफ्तार हैं। केजरीवाल ने दिल्ली और देश की राजनीति को भ्रष्टाचार ( curreption ) से मुक्त करने का वादा किया था, लेकिन वह अब इसी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए हैं। दिल्ली सरकार की बनाई और लागू की गई शराब नीति ( liquor policy ) केजरीवाल सरकार के लिए नासूर बन गई है। ईडी का आरोप है कि इसे लागू कर सरकार ने करोड़ों रुपए का हेरफेर किया। आपको बताते हैं कि यह आबकारी या शराब नीति क्या है और दिल्ली वालों ने उस दौरान कैसे मजे लूटे और मुंह का स्वाद बेहद ‘कड़वा’ किया। 

सभी दुकानों को प्राइवेट किया गया

ऐसा नहीं है कि विवादित शराब नीति की गाज सीधे अरविंद केजरीवाल पर ही गिरी है। इससे पहले सरकार के आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया, पार्टी सांसद संजय सिंह, तेलंगाना के मुख्यमंत्री की बेटी के कविता के अलावा कई शराब कारोबारी व सरकार के कुछ अधिकारी गिरफ्तार व जांच एजेंसियों के टारगेट पर आ चुके हैं। दिल्ली मे जो शराब नीति लागू थी, उसमें सरकार व प्राइवेट कंपनियों की अलग-अलग भागीदारी थी। सरकार ने 17 नवंबर 2021 को नई शराब नीति लागू की। बड़ी बात यह थी इस पॉलिसी के तहत शराब की सभी दुकानों को प्राइवेट कर दिया गया। सरकार ने तर्क दिया था कि इससे 3,500 करोड़ रुपये का फायदा होगा। लेकिन सरकार इस दावे को कभी प्रूफ नहीं कर पाई।

शराब की एक बोतल पर दूसरी फ्री

इस नीति के लागू होते ही दिल्ली में शराब की दुकानों की बाढ़ आ गई। ऐसी-ऐसी जगहों पर शराब की दुकानें खोल दी गई, जिनको लेकर स्थानीय लोगों ने रोष जताया, लेकिन कुछ न हुआ। गांवों, झुग्गी बस्तियों, जेजे कॉलोनी तक में दुकानें खुल गईं। हाल यह था कि एक ही मार्केट में पांच दुकानें खुली हुई नजर आईं। शराब को ज्यादा बेचने के लिए इसके कारोबारियों ने एक बोतल पर दूसरी बोतल फ्री देना शुरू कर दिया। उसके बाद तो जहां देखो, वहां युवा, बुजुर्ग तक शराब पीते दिखाई दिए। उस दौरान लोगों ने आरोप लगाया कि शराब का स्वाद बदल दिया गया है और वह नुकसान पहुंचा रहा है। लेकिन कहीं भी कोई सुनवाई नहीं हुई।

चीफ सेक्रेटरी ने ही सवाल खड़े कर दिए

विशेष बात यह थी कि सरकार के सबसे बड़े नौकरशाह चीफ सेक्रेटरी नरेश कुमार ने ही इस पॉलिसी पर सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने 8 जुलाई 2022 उपराज्यपाल वीके सक्सेना को एक रिपोर्ट सौंपी, जिसमें आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया समेत, शराब कारोबारियों व आप के बड़े नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। एलजी ने सीबीआई जांच के लिए रिपोर्ट आगे कर दी। सीबीआई ने उसी साल 17 अगस्त को केस दर्ज किया, जिसमें मोटे लेनदेन की हेराफेरी की बात की जानकारी दी गई। आरोप लगे कि इस नीति को लाभ पहुंचाने के लिए मोटी मनी लॉन्ड्रिंग हुई और अनेक शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए उनके मनमाफिक शराब नीति बनाई गई।

राजस्व घटा, अचानक वापस ली गई शराब पॉलिसी

खास बात यह रही कि उपराज्यपाल ने जब शराब पॉलिसी की जांच सीबीआई को दी तो उसके कुछ दिन बाद ही सरकार ने शराब पॉलिसी वापस ले ली। आरोप लगे कि जब सरकार दावा कर रही है कि इस नीति से सरकार को मोटा राजस्व मिल रहा है तो फिर इसे वापस क्यों लिया गया। वैसे सच बात तो यह थी कि सरकार का इस मद में राजस्व बुरी तरह घट गया। इसका गणित समझें कि पहले जहां 750 एमएल की एक शराब की बोतल की कीमत अगर 530 रुपए है तो उस पर शराब कारोबारी को 33.35 रुपए का मुनाफा होता था और सरकार को टैक्स आदि के तौर पर 329.89 रुपए की कमाई होती थी। नई नीति में शराब की बोतल का दाम 530 रुपए से बढ़ाकर 560 रुपए कर दिया गया और शराब कारोबारी का मुनाफा 363.27 रुपए हो गया। जबकि सरकार का राजस्व 329.89 रुपए से घटकर मात्र 3.78 पैसे रह गया। यानी उसके राजस्व में गंभीर कमी आ गई।

गंभीर आरोप और गिरफ्तारियां

इसके बाद तो आरोपों का पिटारा खुल गया और सरकार कटघरे में आ गई। लेकिन आप सरकार और नेता आरोप लगाते रहे कि बीजेपी झुठे आरोप लगा रही है। इस दौरान सीबीआई और ईडी की जांच के बाद राजस्व मंत्री मनीष सिसोदिया, कारोबारी विजय नायर, अभिषेक बोइनपल्ली और आम आदमी पार्टी के दबंग राज्यसभा सांसद संजय सिंह गिरफ्तार कर लिए गए। इनके वकीलों ने लाखों रुपये खर्च कर इनकी जमानत का प्रयास किया, लेकिन इन्हें पूरे तौर पर राहत नहीं मिली है। इस बीच तेलंगाना की बीआरएस पार्टी की नेता और केसीआर की बेटी के कविता को भी गिरफ्तार कर लिया था। इतनी गिरफ्तारी के बाद जांच एजेंसियों ने केजरीवाल की गिरफ्तारी के लिए पुख्ता सबूत जुटा लिए।

शराब पॉलिसी व घोटाला एक नजर में

17 नवंबर 2021: दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति शुरू की। दावा कि सरकार को मोटा राजस्व मिलेगा। 

1 जुलाई 2021: नीति में भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद उपराज्यपाल ने चीफ सेक्रेटरी नरेश कुमार ने एक रिपोर्ट राजनिवास को सौंपी।

22 जुलाई 2022: चीफ सेक्रेटरी की रिपोर्ट के आधार पर उपराज्यपाल ने भ्रष्टाचार के आरोपों की सीबीआई से जांच कराने की मंजूरी दी।

28 जुलाई 2022: विवाद बढ़ता देख दिल्ली सरकार ने आबकारी नीति को स्थगित किया। इस नीति के दौरान एक बोतल पर दूसरी बोतल फ्री में भी मिलती थी।

17 अगस्त 2022: जांच के बाद सीबीआई ने 16 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की और आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया को मुख्य आरोपी बनाया गया ।

6 सितंबर 2022: सीबीआई के बाद ईडी ने भी विवादित शराब नीति की जांच शुरू की। जिसके बाद 35 से अधिक जगहों पर छापेमारी की गई।

27 सितंबर 2022: शराब घोटाले में पहली गिरफ्तारी हुई। आम आदमी पार्टी के सोशल मीडिया इंचार्ज विजय नायर को सीबीआई ने गिरफ्तार किया।

17 अक्टूबर 2022: सीबीआई ने मनीष सिसोदिया को पहली बार पूछताछ के लिए बुलाया।

30 नवंबर 2022: ईडी की एक रिपोर्ट के जरिए पहली बार इस केस में तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी के कविता का नाम सामने आया।

2 फरवरी 2023: ईडी ने आबकारी नीति मामले में चार्जशीट दाखिल की। पहली बार इस मामले में सीएम अरविंद केजरीवाल का नाम भी आया।

26 फरवरी 2023: सीबीआई ने सरकार के मंत्री मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया।

4 अक्टूबर 2023: आप नेता संजय सिंह को भी ईडी ने गिरफ्तार कर लिया।

2 नवंबर 2023: आबकारी नीति केस में ईडी ने सीएम अरविंद केजरीवाल को को पहला समन जारी हुआ। समन लगातार भेजे जाते रहे।

16 मार्च 2024: दक्षिण भारत की नेता नेता के कविता को हिरासत में लिया गया।

17 मार्च 2024: मुख्यमंत्री केजरीवाल को नौवां समन भेजा गया था।

21 मार्च 2024: लंबी पूछताछ के बाद ईडी ने केजरीवाल को उनके निवास पर गिरफ्तार कर लिया।

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