DUSU Election 2025 : जोसलिन चौधरी पर धर्मांतरण का सवाल, NSUI के टिकट वितरण पर विवाद

DUSU चुनाव 2025 में जोसलिन चौधरी की उम्मीदवारी के साथ एक नया विवाद उभरा है, जिसमें धर्मांतरण के आरोपों को लेकर चर्चा हो रही है। NSUI ने जोसलिन को अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाया है, जबकि ABVP ने इस मुद्दे को चुनावी लाभ के रूप में उठाया है।

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Jitendra Shrivastava
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Photograph: (THESOOTR)

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धर्मांतरण का आरोप: दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ DUSU चुनाव 2025 इस बार राजस्थान के लिए विशेष बन गया है, क्योंकि दिल्ली विश्वविद्यालय चुनाव में ABVP और NSUI के बीच जबरदस्त टक्कर देखने को मिल रही है। NSUI ने जोधपुर की जोसलिन नंदिता चौधरी को अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाया है, लेकिन उनके नाम को लेकर विवाद उठ खड़ा हुआ है।

जोसलिन का नाम परिवर्तन के आरोप

सोशल मीडिया पर जोसलिन की 12वीं की मार्क्सशीट वायरल हो रही है, जिसमें उनका नाम "जीतू चौधरी" था। दावा किया जा रहा है कि जोसलिन ने ईसाई धर्म अपनाकर अपना नाम बदलकर "जोसलिन नंदिता चौधरी" रख लिया। हालांकि, इस आरोप के ठोस सबूत अभी तक सामने नहीं आए हैं। जोसलिन के शैक्षिक प्रमाणपत्रों में उनका नाम जीतू चौधरी ही दर्ज है, और उनका दावा है कि नाम परिवर्तन का मुद्दा सिर्फ राजनीतिक मंशा के तहत उठाया जा रहा है।

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टिकट वितरण पर विवाद

NSUI द्वारा जोसलिन को अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाने पर भी विवाद बढ़ा है। लंबे समय से इस पद के लिए दावेदारी कर रहे नेताओं जैसे उमांशी लांबा और गोपाल चौधरी को दरकिनार किया गया। इस फैसले से NSUI में आंतरिक कलह उत्पन्न हो गया है, और उमांशी लांबा ने बागी तेवर अपनाते हुए चुनावी मैदान में उतरने का ऐलान किया है।

ABVP का बयान

ABVP ने जोसलिन के नाम परिवर्तन के मुद्दे को अपने पक्ष में भुनाने की पूरी कोशिश की है। पार्टी के नेताओं ने इस मुद्दे को उठाकर NSUI के आंतरिक विवाद का फायदा उठाने की योजना बनाई है। ABVP का कहना है कि धर्मांतरण के आरोप जोसलिन की उम्मीदवारी को सही नहीं ठहराते और यह चुनावी मैदान में ABVP को बढ़त दिला सकता है।

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DUSU Election 2025 का सियासी महत्व

राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव न होने के कारण, DUSU चुनाव को युवा नेताओं के लिए राजनीतिक शुरुआत का एक अहम मंच माना जा रहा है। इस बार, जोसलिन चौधरी, राहुल झांसला और उमांशी लांबा के बीच चुनावी संघर्ष तेज है। राजस्थान के कई बड़े नेताओं का इस चुनाव पर दबाव है, और यह चुनाव केवल छात्र राजनीति का अखाड़ा नहीं बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी अहम बन गया है।

NSUI और ABVP के बीच संघर्ष

NSUI और ABVP के बीच जबरदस्त संघर्ष हो रहा है, जहां ABVP ने NSUI के आंतरिक विवादों का फायदा उठाने की पूरी कोशिश की है। ABVP का उद्देश्य इस चुनाव को जितने का है, और पार्टी ने जोसलिन के धर्मांतरण के आरोपों को बढ़ावा देने का मौका नहीं छोड़ा।

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