असम के सिल्चर में एक और फर्जी डॉक्टर का खुलासा हुआ है। डॉक्टर ने लोगों को धोखाधड़ी की अब उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। आरोपी का नाम पुलोक मालाकार है इसने 50 से अधिक सिजेरियन ऑपरेशन और गायनोकोलॉजिकल सर्जरी की थी। पुलिस के मुताबिक आरोपी के पास से मिले दस्तावेज फर्जी थे और उसने अपने फर्जी मेडिकल प्रमाणपत्र बनाए थे।
पुलोक मालाकार की गिरफ्तारी
पुलोक मालाकार एक प्राइवेट अस्पताल में गायनेकोलॉजिस्ट के तौर पर काम कर रहा था। उसे उस समय गिरफ्तार किया गया जब वह ऑपरेशन थिएटर में सिजेरियन ऑपरेशन कर रहा था।
पुलिस ने बताया कि आरोपी के खिलाफ कई सूचनाएं पहले से प्राप्त हो चुकी थीं, और अब उसे पकड़ा गया है। उसकी गिरफ्तारी असम में फर्जी डॉक्टरों की बढ़ती समस्या को उजागर करती है।
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फर्जी डिग्रियों का पर्दाफाश
पुलोक मालाकार के पास से मिले दस्तावेजों की जांच के बाद पुलिस ने पाया कि उसकी सभी मेडिकल डिग्रियां और प्रमाणपत्र फर्जी थे। उसने लंबे समय तक इन फर्जी डिग्रियों के जरिए मरीजों का इलाज किया और सर्जरी की।
इस घटना ने यह साबित कर दिया कि कई लोग बिना किसी सही प्रमाणपत्र के मेडिकल प्रैक्टिस कर रहे हैं, जिससे मरीजों की जान जोखिम में पड़ती है।
असम में फर्जी डॉक्टरों का बढ़ता मामला
यह पहली बार नहीं है जब असम में किसी फर्जी डॉक्टर की गिरफ्तारी हुई हो। पिछले 6 महीने में यह 14वां फर्जी डॉक्टर है जिसे पुलिस ने गिरफ्तार किया है। इन घटनाओं ने असम में स्वास्थ्य क्षेत्र की विश्वसनीयता को सवालों के घेरे में डाल दिया है।
पुलिस को इसके बारे में पहले ही सूचना मिल चुकी थी और वह आरोपी की तलाश कर रही थी। अब उसे गिरफ्तार कर लिया गया है, लेकिन क्या यह एक मामला है या स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में एक बड़ा खतरा है?
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MP के डॉ. नरेंद्र जॉन केम मामला
फर्जी डॉक्टरों से संबंधित यह मामला अकेला नहीं है। हाल ही में मध्यप्रदेश के दमोह में डॉ. नरेंद्र जॉन केम (असल नाम नरेंद्र विक्रमादित्य यादव) का भी पर्दाफाश हुआ।
डॉ. जॉन केम ने बिना उचित मेडिकल प्रशिक्षण के कई ऑपरेशन किए थे, जिससे कई मरीजों की मौत हो गई। यह मामला और भी चौंकाने वाला था, क्योंकि डॉ. जॉन ने 15 ऑपरेशनों में से 7 मरीजों की मौत का जिम्मा लिया।
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बिना योग्यता के ऑपरेशन करना
डॉ. नरेंद्र जॉन केम के खिलाफ शिकायत मिली थी जब एक मरीज को हार्ट सर्जरी के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया। ऑपरेशन के दौरान कुछ गड़बड़ महसूस हुई और मरीज के परिजनों ने इसकी जांच की। बाद में पता चला कि डॉ. जॉन केम ने गलत ऑपरेशन किए थे और कई मरीजों की जान चली गई थी।
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डॉक्टर का छिपा हुआ अतीत
डॉ. जॉन केम का असली नाम नरेंद्र विक्रमादित्य यादव था, और वह अस्पताल में एक कुख्यात फर्जी डॉक्टर के रूप में काम कर रहा था। उसके खिलाफ कई मामले सामने आए थे, लेकिन किसी कारणवश उसे पहले नहीं पकड़ा गया। उसकी सर्जरी की विधि और मेडिकल पद्धतियां संदेहास्पद थीं, जिसके चलते उसे गिरफ्तार किया गया।
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