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Photograph: (the sootr)
जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का मंगलवार को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में निधन हो गया। वह लंबे समय से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे और आज दोपहर 1:20 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। मलिक के निधन से भारत की राजनीति में एक महत्वपूर्ण खालीपन पैदा हो गया है, क्योंकि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान कई अहम घटनाओं और निर्णयों का हिस्सा बने थे।
सत्यपाल मलिक का जीवन परिचय
सत्यपाल मलिक का जन्म 24 जुलाई 1946 को हुआ था। वे एक प्रमुख भारतीय राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने भारतीय राजनीति में कई महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मलिक ने अपने करियर की शुरुआत उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य के रूप में की थी और बाद में वे राज्यसभा और लोकसभा के सदस्य भी रहे। इसके अतिरिक्त, उन्होंने बिहार राज्य के राज्यपाल के रूप में भी कार्य किया। वे 2018 से 2019 तक जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल रहे और इस दौरान 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया।
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जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में योगदान
सत्यपाल मलिक ने 23 अगस्त 2018 से 30 अक्टूबर 2019 तक जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल के रूप में कार्य किया। उनके कार्यकाल के दौरान ही 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाया गया। यह निर्णय भारतीय राजनीति में एक ऐतिहासिक कदम था, जिसने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त कर दिया। इस कदम के बाद, जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया। यह कदम भारतीय सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक परिवर्तन था और मलिक के नेतृत्व में यह संभव हुआ।
गोवा और मेघालय में भी रहे राज्यपाल
सत्यपाल मलिक ने जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल बनने से पहले गोवा और मेघालय राज्य के राज्यपाल के रूप में भी कार्य किया। उनके कार्यकाल में दोनों राज्यों में कई महत्वपूर्ण राजनीतिक और प्रशासनिक बदलाव हुए थे, जिन्होंने राज्य की जनता को लाभ पहुंचाया।
पूर्व राज्यपाल के निधन और उनकी जीवन यात्रा IN SHORT मेंसत्यपाल मलिक का निधन: जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का निधन 5 अगस्त 2025 को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में हुआ। वे लंबे समय से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे। आर्टिकल 370 को हटाने का ऐतिहासिक निर्णय: मलिक के कार्यकाल के दौरान, 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया, जिससे जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त हुआ। राज्यपाल के रूप में कार्य: सत्यपाल मलिक ने जम्मू और कश्मीर के अलावा गोवा और मेघालय के राज्यपाल के रूप में भी कार्य किया और इन राज्यों में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए। राजनीतिक यात्रा: मलिक ने 1974 से 1991 तक विभिन्न राजनीतिक पदों पर कार्य किया, जिसमें उत्तर प्रदेश विधान सभा, राज्यसभा और लोकसभा सदस्य के रूप में भी उन्होंने अपनी भूमिका निभाई। भारतीय राजनीति में योगदान: सत्यपाल मलिक का योगदान भारतीय राजनीति के लिए महत्वपूर्ण रहा है, विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर के मामले में उनके फैसले को लंबे समय तक याद किया जाएगा। |
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आखिरी पोस्ट में लिखा "हालत गंभीर है मैं रहूं न रहूं"
जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक अपने निर्णय, बयानों और सोशल मीडिया पोस्ट के लिए भी काफी चर्चित रहे है। दो महीने पहले अस्पताल से उन्होंने आखिरी पोस्ट में उन्होंने बताया था कि हालत गंभीर है, मैं रहूं न रहू। इस पोस्ट में उन्होंने अपने राजनैतिक जीवन, जम्मू कश्मीर के राज्यपाल रहते घटित हुई कई घटनाओं का जिक्र भी किया था। स्वर्गीय मलिक द्वारा यह पोस्ट 7 जून 2025 को की गई थी।
नमस्कार साथियों।
— Satyapal Malik (@SatyapalMalik6) June 7, 2025
मैं पिछले लगभग एक महीने के करीब से हस्पताल में भर्ती हूं और किड़नी की समस्या से जूझ रहा हूं।
परसों सुबह से मैं ठीक था लेकिन आज फिर से मुझे ICU में शिफ्ट करना पड़ा। मेरी हालत बहुत गंभीर होती जा रही है।
मैं रहूं या ना रहूं इसलिए अपने देशवासियों को सच्चाई बताना…
150 करोड की रिश्वत ठुकराने का दावा
अपनी अंतिम पोस्ट में पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बताया था कि राज्यपाल रहते हुए उन्हें एकबार 150 करोड़ रुपए की रिश्वत की पेशकश की गई थी, लेकिन उन्होंने अपने राजनीतिक गुरु स्व. चाैधरी चरण सिंह का अनुशरण करते हुए इस पेशकश को ठुकरा दिया था। उन्होंने अपनी पोस्ट में किसान आंदोलन को याद करते हुए भी लिखा था कि जब मैं गवर्नर था उस समय भी किसान आंदोलन चल रहा था, इस आंदोलन में उन्होंने बिना किसी राजनीतिक लाभ-हानि के किसानों की मांग उठाने का काम किया था।
सरकार के फैसलों पर उठाए कई बार सवाल
भाजपा के वरिष्ठ सदस्य और चार राज्यों के राज्यपाल रहे स्व. सत्यपाल मलिक अपने बेबाक बयानों और कार्यशैली के कारण काफी चर्चाओं में रहे। उन्होंने पुलवामा हमले को लेकर केंद्र सरकार पर पुलवामा हमले की निष्पक्ष जांच न करने का आरोप लगाया था, इसी प्रकार दिल्ली में महिला पहलवानों के आंदोलन में भी उन्होंने खुलकर हिस्सा लेकर भाजपा सांसद और सरकार पर सवाल खडे़ कर दिए थे। अपने खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर भी उन्होंने अपनी इस पोस्ट में सरकार पर सीबीआई का डर दिखाने का आरोप लगाया था।
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