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Photograph: (the sootr)
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जीवन पर आधारित एक फिल्म चर्चा में है, जिसका नाम है "अजय: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ ए योगी"। यह फिल्म शांतनु गुप्ता की किताब "द मॉन्क हू बिकेम चीफ मिनिस्टर" पर आधारित है, जिसे यूपी सरकार ने समर्थन दिया है।
फिल्म की रिलीज में देरी हो रही है, और इसका कारण केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) को ठहराया जा रहा है, क्योंकि उसने फिल्म के प्रमाणन में बहुत समय लिया। फिल्म निर्माता ने 5 जून 2025 को प्रमाणन के लिए आवेदन दिया था, लेकिन एक महीने तक कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट का रुख किया। जहां बॉम्बे हाईकोर्ट ने फिल्म देखने के बाद कोई निर्णय की बात कही है। इस मामले की अगली सुनवाई 25 अगस्त को निर्धारित की गई है।
कोर्ट ने कहा खुद देखेगा फिल्म
बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि वह फिल्म को खुद देखेगा और उसके बाद कोई निर्णय लेगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रमाणन प्रक्रिया को जल्दी पूरा किया जाना चाहिए, क्योंकि फिल्म पर कोई भी और कार्रवाई करना अनावश्यक था। कोर्ट का मानना था कि सीबीएफसी ने तय समय सीमा के भीतर निर्णय नहीं लिया था और इसके कारण फिल्म निर्माता को परेशानी का सामना करना पड़ा।
फिल्म निर्माता ने कहा कि सीबीएफसी की देरी "अनुचित" और "अस्पष्ट" है, जो पूरी प्रक्रिया को प्रभावित कर रही है। इसके अलावा सीबीएफसी के फैसले में यह आरोप लगाया गया कि फिल्म सार्वजनिक मानकों के खिलाफ जा सकती है और यह कुछ विवादास्पद मुद्दों पर आधारित हो सकती है, जैसे कि मुख्यमंत्री आदित्यनाथ की राजनीतिक स्थिति और उनके द्वारा उठाए गए फैसले।
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सेंसर बोर्ड ने फिल्म को प्रमाणित करने से किया इनकार
सेंसर बोर्ड ने फिल्म को प्रमाणित करने से इनकार करते हुए कहा कि यह फिल्म समाज के मूल्यों के खिलाफ जा सकती है। बोर्ड ने यह भी कहा कि फिल्म में कुछ ऐसे संवाद और दृश्य हैं जो किसी धर्म, जाति या समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक हो सकते हैं। इसके अलावा, फिल्म के शीर्षक पर भी आपत्ति जताई गई थी। बोर्ड ने इसे भड़काऊ मानते हुए कहा कि इससे समाज में असहमति उत्पन्न हो सकती है।
फिल्म निर्माता ने इसके खिलाफ उच्च न्यायालय में पुनः याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने बोर्ड की कार्रवाई को गलत बताया और इसे अपने मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताया। कोर्ट ने इस मामले पर और विचार करते हुए फिल्म को देखने का निर्णय लिया।
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कोर्ट ने कहा, आपत्तियां स्पष्ट करे सेंसर बोर्ड
हाई कोर्ट का कहना था कि अगर सीबीएफसी के संशोधन पैनल ने फिल्म को प्रमाणित करने से इनकार किया है, तो उसे अपनी आपत्तियों को स्पष्ट करना चाहिए था। फिल्म निर्माता ने कोर्ट से यह भी अनुरोध किया कि उन्हें फिल्म के कुछ हिस्सों को संशोधित करने का अवसर दिया जाए, ताकि फिल्म को रिलीज़ किया जा सके।
सेंसर बोर्ड द्वारा दिए गए फैसले में, कुछ विवादास्पद हिस्सों को हटाने के निर्देश दिए गए थे, जिन्हें फिल्म से हटा भी दिया गया था, लेकिन इसके बाद भी बोर्ड ने फिल्म को प्रमाणित करने से इंकार कर दिया गया। फिल्म निर्माता ने कहा कि यह निर्णय अनावश्यक है, इसने उनके अधिकारों का उल्लंघन किया है।
फिल्म को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं
फिल्म को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कुछ लोग इसे योगी आदित्यनाथ के जीवन के सकारात्मक पहलुओं को दिखाने वाली प्रेरक फिल्म मानते हैं, जबकि अन्य इसे राजनीतिक रूप से प्रेरित मानते हैं। फिल्म के बारे में विभिन्न समीक्षकों का कहना है कि यह एक मजबूत राजनीतिक संदेश देती है, लेकिन इसकी संवेदनशीलता पर सवाल उठाए जा सकते हैं।
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