/sootr/media/media_files/2025/11/04/fraud-rural-urban-areas-2025-11-04-16-50-03.jpg)
Photograph: (thesootr)
DELHI. आजकल शहरीकरण और डिजिटल युग ने रिश्तों को नया ट्विस्ट दिया है। सोशल मीडिया अब रिश्तों को सिर्फ मजे और रोमांस का जरिया बना चुका है। शादी अब सिर्फ एक समझौता लगने लगी है। इस सोच से fraud और बेवफाई बढ़ रही है। पारंपरिक रिश्ते अब बहुत चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
इस रिपोर्ट से हुआ खुलासा
किन्से इंस्टीट्यूट (Kinsey Institute) की 2025 रिपोर्ट ने धोखेबाजी का खुलासा किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 42% पुरुष और 39% महिलाएं धोखा देती हैं। यह धोखा प्रेमी, पार्टनर, दोस्त या करीबी से होता है। इसका उद्देश्य किसी न किसी लाभ को प्राप्त करना है।
यह धोखा शारीरिक, आर्थिक, भावनात्मक या जरूरत के कारण होता है। मेट्रो शहरों में यह दर 50% तक पहुंच गई है। यह रिश्तों में कड़वाहट भी बढ़ा रहा है।
ये भी पढ़ें...NSA मामले में झूठा हलफनामा देकर हाईकोर्ट को गुमराह करने वाले शहडोल कलेक्टर पर गिरी गाज
शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ा अंतर
इंडियन रिलेशनशिप ट्रेंड्स रिपोर्ट 2025 में यह पाया गया। शहरी क्षेत्रों में 48% पुरुष और 43% महिलाएं धोखेबाजी मानती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में यह दर 35% पुरुष और 30% महिलाओं तक है। आंकड़ों से धोखा देने की दर में अंतर साफ है।
ये भी पढ़ें...किसानों को ज्यादा बिजली दी तो अधिकारियों की कटेगी सैलरी, बारिश की मार के बाद अब नया संकट
इन राज्यों में धोखे कारण
- दिल्ली: आर्थिक आत्मनिर्भरता, आधुनिकता, सोशल मीडिया, डेटिंग ऐप्स, व्यस्तता।
- महाराष्ट्र: शहरी-ग्रामीण विभाजन, सफलता में रिश्तों की कुर्बानी, व्यस्तता।
- कर्नाटक: वर्चुअल रिश्ते, काम का दबाव, भावनात्मक असंतोष, संवाद की कमी।
- तमिलनाडु: पारंपरिक और आधुनिकता में टकराव, भावनात्मक असंतोष, स्वतंत्रता की खोज।
- उत्तर प्रदेश: पारंपरिक मूल्यों में दरार, सामाजिक बंधन कमजोर, महिला आत्मनिर्भरता।
- राजस्थान: परंपरा और आधुनिकता का संघर्ष, सोशल मीडिया।
देश में धोखे के कारण
- भावनात्मक असंतोष और संवाद की कमी: रिश्तों में अपूर्णता और संवाद की घातक कमी।
- सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म का प्रभाव: रिश्तों में दूरी और आभासी जुड़ाव का बढ़ना।
- आर्थिक आत्मनिर्भरता और स्वतंत्रता: महिला-पुरुष दोनों की स्वतंत्रता और निर्णय लेने की क्षमता।
- व्यस्त जीवनशैली और समय की कमी: काम और निजी जीवन के बीच संतुलन की कमी।
/sootr/media/agency_attachments/dJb27ZM6lvzNPboAXq48.png)
Follow Us