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Photograph: (thesootr)
JABALPUR.मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने शहडोल कलेक्टर केदार सिंह पर 2 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। अदालत ने पाया कि कलेक्टर ने NSA के तहत एक निर्दोष व्यक्ति पर कार्रवाई की थी। कार्रवाई को सही ठहराने के लिए झूठा हलफनामा दाखिल कर कोर्ट को गुमराह किया था। जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस अवनीन्द्र कुमार सिंह की डिवीजन बेंच ने इसे गंभीर प्रशासनिक लापरवाही माना। कोर्ट ने कहा कि इस तरह की हरकत न्याय व्यवस्था की अवमानना है।
गलत नाम पर NSA लगाना पड़ा भारी
मामला शहडोल जिले के ब्यौहारी तहसील के ग्राम समन निवासी हीरामणि बैस की याचिका से जुड़ा है। याचिकाकर्ता ने बताया कि उनके बेटे सुशांत बैस को प्रशासन ने NSA के तहत हिरासत में ले लिया था। वहीं SP की सिफारिश नीरजकांत द्विवेदी नामक व्यक्ति के खिलाफ थी। इस गंभीर गलती के चलते सुशांत की स्वतंत्रता और मौलिक अधिकारों का हनन हुआ।
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कलेक्टर ने सच्चाई छुपाई: हाईकोर्ट
24 सितंबर को जबलपुर हाईकोर्ट के निर्देश पर कलेक्टर डॉ. केदार सिंह और एसपी रामजी श्रीवास्तव को व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होना पड़ा। सुनवाई के दौरान अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) एस.एस. शुक्ला ने कहा कि यह गलती कलेक्टर कार्यालय के बाबू से टाइपिंग में हुई थी। लेकिन, हाईकोर्ट इस दलील से सहमत नहीं हुआ। कोर्ट ने पाया कि कलेक्टर ने अपने हलफनामे में अपराध क्रमांक 44/22 का उल्लेख किया, जबकि वह मामला पहले ही समाप्त हो चुका था। इसके अलावा, जिन लोगों के बयान हलफनामे के साथ पेश किए गए थे, वे पुराने और अप्रासंगिक थे।
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किसी की स्वतंत्रता के साथ खिलवाड़ अस्वीकार्य
याचिकाकर्ता के वकील ब्रह्मेन्द्र प्रसाद पाठक ने बताया कि सुशांत की फरवरी में शादी हुई थी। सितंबर में NSA के तहत गिरफ्तारी के समय उसकी पत्नी गर्भवती थी। मार्च में बेटी के जन्म के बावजूद सुशांत उसे देख नहीं सका। इस मानवीय पहलू पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि किसी निर्दोष व्यक्ति की स्वतंत्रता छीनना न केवल अवैध है बल्कि अमानवीय भी है।
जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस एके सिंह की बेंच ने कलेक्टर डॉ. केदार सिंह को दोषी ठहराया। उन्हें झूठा हलफनामा दाखिल करने पर 2 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया। यह राशि उन्हें व्यक्तिगत खाते से जमा करनी होगी। हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किया है।
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