किसानों को ज्यादा बिजली दी तो अधिकारियों की कटेगी सैलरी, बारिश की मार के बाद अब नया संकट

मध्यप्रदेश में बेमौसम बारिश से बर्बादी झेल रहे किसानों पर बिजली विभाग का नया संकट। 10 घंटे से ज्यादा बिजली देने पर विभाग के कर्मचारियों की सैलरी कटेगी। सीएम की राहत के बावजूद यह आदेश किसानों के लिए दोहरी मार साबित होगा।

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Sanjay Dhiman
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new role by electricity department

Photograph: (the sootr)

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BHOPAL.मध्यप्रदेश के किसानों को इस साल बेमौसम बारिश के कारण फसलों का भारी नुकसान हुआ है। उनकी आर्थिक हालत पहले ही खराब हो चुकी है। अब बिजली विभाग के नए आदेश ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। इस आदेश के अनुसार, किसानों को एक दिन में 10 घंटे से ज्यादा बिजली नहीं दी जाएगी। अगर किसी कर्मचारी ने इस नियम का उल्लंघन किया, तो उसकी सैलरी काट ली जाएगी।

यह नया आदेश उन किसानों के लिए और भी बड़ी चुनौती बन गया है जिन्होंने बेमौसम बारिश से बर्बादी झेली हैं। अब वे सिंचाई के लिए बिजली की कमी का सामना कर रहे हैं। अगर उन्हें पर्याप्त बिजली नहीं मिलती, तो उनके खेत सूख सकते हैं। उनकी अगली फसल की उम्मीद भी खत्म हो सकती है।

यह आदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के चीफ जनरल मैनेजर एके जैन द्वारा जारी किया गया है। इसकी कॉपी भोपाल, ग्वालियर और अन्य 12 जिलों के महाप्रबंधकों को भेजी गई है। 

देखें आदेश... 

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जेई से लेकर जीएम तक पर गिरेगी गाज

बिजली विभाग के इस आदेश में सख्ती की हदें पार कर दी गई हैं। यह आदेश केवल ऑपरेटरों तक सीमित नहीं है। निचले स्तर के कर्मचारियों से लेकर वरिष्ठ अधिकारियों तक पर आदेश में कार्रवाई का प्रावधान है। 

ऑपरेटर पर कार्रवाई: यदि किसी कृषि फीडर पर 10 घंटे से अधिक बिजली दी जाती है, तो संबंधित ऑपरेटर की एक दिन की सैलरी काटी जाएगी।

जूनियर इंजीनियर (J.E.) पर कार्रवाई: यदि कंट्रोल रूम द्वारा किसी कृषि फीडर पर लगातार 2 दिन तक 10 घंटे से अधिक बिजली आपूर्ति की जाती है, तो संबंधित जूनियर इंजीनियर (J.E.) का एक दिन का वेतन काटा जाएगा।

एक्जीक्यूटिव इंजीनियर पर कार्रवाई: लगातार 5 दिन तक ऐसा होने पर एक्जीक्यूटिव इंजीनियर की 1 दिन की सैलरी काटी जाएगी।

उपमहाप्रबंधक (DGM)/महाप्रबंधक (GM) पर कार्रवाई: यदि 7 दिन तक प्रतिदिन 10 घंटे से अधिक आपूर्ति पाई जाती है, तो उपमहाप्रबंधक (DGM) या महाप्रबंधक (GM) का एक दिन का वेतन काटा जाएगा। 

यह आदेश स्पष्ट रूप से कर्मचारियों पर दबाव बनाने की कोशिश है। ऐसी स्थिति में किसानों को 10 घंटे से अधिक बिजली नहीं मिल पाएगी। भले ही उनकी जमीन सूख रही हो, मौसम खराब हो या कोई तकनीकी कारण हो।

सीएम ने की थी ये घोषणा

एक ओर जहां बिजली विभाग के फरमान से किसान चिंतित है, तो दूसरी और मुख्यमंत्री ने राहत की घोषणा की है। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने एक नवंबर को घोषणा की थी कि कृषि, औद्योगिक, और घरेलू उपभोक्ताओं के बकाया बिलों पर सरचार्ज में छूट दी जाएगी।

हालांकि, बिजली विभाग के इस नए आदेश ने किसानों के बीच संदेह और नाराजगी बढ़ा दी है। कांग्रेस ने इस आदेश को भाजपा सरकार का दोगलापन बताया है। पार्टी का कहना है कि एक ओर मुख्यमंत्री राहत देने का वादा कर रहे हैं और दूसरी ओर बिजली विभाग किसानों को परेशान कर रहा है।

नेता प्रतिपक्ष ने सरकार को घेरा

कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने एक्स (X) पर ट्वीट कर इस मामले पर सरकार को घेरा है। नेता प्रतिपक्ष सिंघार ने कहा कि प्रदेश के किसानों को बिजली नहीं मिल रही है। सरकार का नया आदेश बिजली कर्मचारियों के साथ अन्याय है। कर्मचारी सरकार के नियमों के अनुसार काम करते हैं, लेकिन सरकार अब किसानों और कर्मचारी दोनों को परेशान कर रही है। उन्होंने सवाल किया कि क्या प्रदेश में बिजली की कमी है, इसलिए यह आदेश निकाला गया है? भाजपा सरकार दिल्ली में मेट्रो चलाना चाहती है, लेकिन मध्यप्रदेश की जनता को बिजली नहीं देना चाहती। 

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रबी की फसल: क्यों 10 घंटे पर्याप्त नहीं?

बेमौसम बारिश के कारण मध्य प्रदेश के कई इलाकों में धान, सोयाबीन और अन्य खरीफ फसलों को नुकसान हुआ है। अब किसानों के लिए रबी की फसल (जैसे गेहूं, चना आदि) ही उनकी अगली आय का मुख्य स्रोत बन चुकी है।

रबी की फसल के लिए किसानों को खेतों की नियमित सिंचाई करना बहुत जरूरी है। लेकिन, कई ग्रामीण इलाकों में बिजली की आपूर्ति नियमित नहीं होती और वोल्टेज भी बहुत कम आता है। ऐसे में, केवल 10 घंटे की बिजली आपूर्ति किसानों के लिए पर्याप्त नहीं होती। 

बिजली विभाग का नया नियम अगर यह सख्त नियम लागू हो जाता है तो किसानों के लिए समस्या बढ़ जाएगी। उनकी फसलें सूख सकती हैं और इससे कृषि उत्पादन पर बुरा असर पड़ेगा। 

आदेश पुराना,किसानों से सीधा वास्ता नहीं: सीजीएम

हालांकि, दस घंटे से अधिक बिजली आपूर्ति पर वेतन कटौती संबंधी उक्त आदेश पांच साल पुराना है। जिसे मंगलवार को पुन: जारी किया गया। आदेश जारीकर्ता सीजीएम एके जैन ने बताया कि आदेश 2020 का है। इसमें सिर्फ दस घंटे की अवधि बाद के अगले 15 मिनट की गणना को लेकर जो भ्रांति रही है। उसे ही नए आदेश में दूर करने का प्रयास किया गया है। यह किसी भी व्यवस्था को नियंत्रित तरीके से लागू करने के लिए विभागीय प्रक्रिया है। इसका किसानों से कोई सीधा वास्ता नहीं है। उन्होंने कहा कि यूं भी बिजली की कमी नहींं इसकी आपूर्ति निर्बाध जारी है

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