ED ने इंदौर के कैलाश गर्ग की 1.14 करोड़ की संपत्ति की अटैच, पहले 26 करोड़ की हो चुकी है

इंदौर के कैलाश गर्ग की तीन संपत्तियों को ईडी ने अटैच किया है। इन संपत्तियों का मूल्य 1.14 करोड़ रुपए है। इससे पहले भी 26 करोड़ रुपए की संपत्ति अटैच की जा चुकी है।

author-image
Sanjay Gupta
New Update
indore-kailash-garg-attach-property-ed
Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

INDORE. ईडी ने इंदौर के कैलाश गर्ग की तीन और संपत्तियों को अटैच किया है। उनकी कंपनी नारायण निर्यात इंडिया प्राइवेट लिमिटेड से जुड़ी इन संपत्तियों की कीमत 1.14 करोड़ रुपए है।

इसके पहले ईडी 26.53 करोड़ रुपए की संपत्ति अटैच कर चुका है। इसी मामले में ईडी ने 31 जनवरी 2024 को भूमाफिया चंपू उर्फ रितेश अजमेरा और गर्ग के घर पर छापे भी मारे थे।

बता दें कि कैलाश गर्ग ने यूको और अन्य बैंकों से 110 करोड़ रुपए का बैंक लोन लिया था। वह लोन चुकाने में डिफॉल्ट हो गए थे।

ईडी ने यह दी जानकारी

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के क्षेत्रीय कार्यालय ने बताया कि मेसर्स नारायण निर्यात इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के मामले में पीएमएलए, 2002 के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की गई है।

इंदौर में, मेसर्स अंबिका सॉल्वेक्स लिमिटेड और मेसर्स वर्धमान सॉल्वेंट एक्सट्रेक्शन इंडस्ट्रीज लिमिटेड से संबंधित 3 अचल संपत्तियां हैं। इन संपत्तियों की कीमत 1.14 करोड़ रुपए है। इन्हें अनंतिम रूप से कुर्क किया गया है।

ईडी ने पहले इस समूह के कई व्यक्तियों और संस्थाओं से संबंधित 26.53 करोड़ रुपए मूल्य की अचल संपत्तियों को कुर्क किया था।

ये खबर भी पढ़िए...मध्यप्रदेश: इंदौर में भूमाफिया चंपू अजमेरा, कैलाश गर्ग के 110 करोड़ बैंक लोन घोटाले पर जिला कोर्ट में इसलिए लगी याचिका

सीबीआई में दर्ज केस के आधार पर ईडी सक्रिय

इस मामले में सीबीआई, भोपाल ने आईपीसी, 1860 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की थी। इसके बाद, सीबीआई ने मेसर्स नारायण निर्यात इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और कई अन्य संबंधित संस्थाओं और व्यक्तियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था। इसी आधार पर ईडी सक्रिय हुई है। 

ईडी की जांच में यह हुआ खुलासा

ईडी की जांच में पता चला है कि मेसर्स अंबिका सॉल्वेक्स लिमिटेड ने एक कंपनी, नारायण निर्यात इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को नियंत्रित किया। इस कंपनी ने यूको बैंक के नेतृत्व वाले बैंकों के संघ से लोन लिया। यह लोन धोखाधड़ी से लिया गया था। लोन की राशि लगभग 110.50 करोड़ रुपए थी।

जांच में पाया गया कि वास्तव में कोई खरीद या निर्यात नहीं किया गया था। लोन की आय को बाद में व्यक्तिगत और कॉर्पोरेट लाभ के लिए डायवर्ट किया गया।

कंपनी की मप्र के साथ ही महाराष्ट्र में भी संपत्तियां हैं। इनमें 34 प्रॉपर्टी पहले अटैच की गई। इसमें इंदौर, जावरा, नीमच, महाराष्ट्र के अकोला की संपत्तियां शामिल हैं।

ये खबर भी पढ़िए...इंदौर न्यूज | कैलाश गर्ग के 110 करोड़ के लोन घोटाले में होगी संपत्तियों की नीलामी

सीबीआई ने 2020 में दर्ज की थी एफआईआर

इस मामले में यूको बैंक ने शिकायत की थी। इसके बाद, सीबीआई ने 5 नवंबर 2020 को जांच शुरू की। यह जांच बैंक लोन घोटाले से जुड़ी थी। इसमें मेसर्स नारायण निर्यात इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी, मंदसौर को आरोपी बनाया गया।

सुरेश गर्ग (निधन हो चुके), कैलाश गर्ग और दो अन्य अज्ञात लोक सेवक भी आरोपी हैं। सीबीआई ने 120 बी और 420 की धारा में एफआईआर दर्ज की थी।

इस एफआईआर में कहा गया कि बैंक लोन लिया गया। फिर इस लोन को गर्ग परिवार द्वारा अपनी सिस्टर कंसर्न कंपनी में शिफ्ट कर दिया गया। यह बैंक लोन का फंड सिस्टर कंसर्न कंपनियों नारायण ट्रेडिंग कंपनी, रामकृष्णा साल्वेक्स, पदमावती ट्रेडिंग, मंदसौर सेल्स कॉर्पोरेशन में शिफ्ट हुआ। बैंक ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया कि इन कंपनियों के डायरेक्टर, लोन लेने वाली कंपनी से ही लिंक थे।

ये खबर भी पढ़िए...ED ने 110 करोड़ के बैंक लोन घोटाले में कैलाश गर्ग की 26 करोड़ की संपत्ति अटैच की, इसी में चंपू, गर्ग पर छापा मार चुका ईडी

इन तीन बैंकों का 106.50 करोड़ रुपया डूबा

  • यूनियन बैंक एमजी रोड रीगल चिराहा ने 38.44 करोड़ का लोन दिया। इसमें से 33.44 करोड़ डूब गए।
  • यूको बैंक न्यू पलासिया ने 34.28 करोड़ रुपए का लोन दिया और यह पूरा डूब गया।
  • पंजाब नेशनल बैंक, मनोरमागंज ने 33.84 करोड़ रुपए का लोन दिया। इसमें से 33.44 करोड़ रुपए डूब गए।

गर्ग के खेल में चंपू की भी रही ऐसी भागीदारी

सेटेलाइट हिल कॉलोनी 2007 में ही टीएंडसीपी में पास हुई थी। इसके साथ ही इसमें खरीदी-बिक्री भी शुरू हो गई थी। चंपू और योगिता अजमेरा को गर्ग ने कंपनी डायरेक्टर बनाया था।

बाद में चंपू को प्लॉट की सौदेबाजी के अधिकार दिए गए थे। चंपू ने जमकर प्लॉट बेचे थे। वहीं प्लॉट की बिक्री के बाद साल 2011-12 के दौरान गर्ग ने सेटेलाइट हिल की जमीन व अन्य संपत्तियों को गिरवी रखकर बैंक लोन ले लिया।

इस पूरे खेल में चंपू और गर्ग एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं। साथ ही, बीच में बैंक वाले और 71 प्लॉट धारक उलझ गए।

ये खबर भी पढ़िए...MP News: भूमाफिया चंपू, कैलाश गर्ग की सेटेलाइट की जमीन सहित अन्य प्रॉपर्टी डेब्ट्स रिकवरी जबलपुर ने की कुर्क

सेटेलाइट की इन जमीनों पर लिया गया बैंक लोन

मेसर्स नारायण निर्यात इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने 110.50 करोड़ के लोन की सुरक्षा के लिए एवलांच रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड की ओर से संचालक कैलाश गर्ग के जरिए सेटेलाइट हिल्स कॉलोनी की कुछ जमीन गिरवी रख दी है।

ये जमीन के सर्वे नंबर 111, 112, 114/1/1, 114/2, 123, 124, 125, 130/3, 130/4, 138, 138/1, 140/1, 140/2, 215/1/1, 215/1/2, 215/1/3 और 215/1/4 हैं। जबकि इन जमीनों पर पूर्व में ही भूखंडों के रूप में विभाजित कर विक्रय कर दिया गया। प्लॉट की बिक्री का यह काम चंपू अजमेरा ने किया।

चंपू और योगिता रहे थे कंपनी में डायरेक्टर

सेटेलाइट कॉलोनी एवलांच कंपनी जो 2008 में चुघ ने बनाई और लांच की थी। इसके बाद चुघ हट गए और कैलाश गर्ग व सुरेश गर्ग आ गए। बाद में प्रेमलता गर्ग और भगवानदास होटलानी डायरेक्टर बने।

गर्ग ने यूको बैंक, पंजाब नेशनल बैंक से 110 करोड़ का लोन लिया। कंपनी ने 10 अप्रैल 2008 को प्रस्ताव पास कर चंपू को डेवलपर्स बनाते हुए सौदे करने की पॉवर ऑफ अटॉर्नी दे दी।

वहीं नारायण एंड अंबिका साल्वेक्स इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी बनी जिसमें कॉलोनियों के डेवलपर्स का काम लिया। इस कंपनी में चंपू और योगिता दोनों डायरेक्टर बने, और यह साल 2009-10 तक डायरेक्टर बने।

कॉलोनी के सौदे और बिक्री चंपू ने की। इस मामले में कैलाश गर्ग प्लॉट के विवाद पर यह कहता है कि मैंने वह जमीन गिरवी नहीं रखी जो चंपू ने बेची, मैंने दूसरी जमीन गिरवी रखकर बैंक से लोन लिया था।

वहीं चंपू कहता है कि प्लॉट की जमीन गर्ग ने बैंक में गिरवी रख लोन ले चुका है, मैं अब प्लॉट, राशि नहीं दे सकता हूं।

मध्यप्रदेश इंदौर न्यूज MP News चंपू अजमेरा इंदौर में भूमाफिया ईडी प्रवर्तन निदेशालय यूको बैंक कैलाश गर्ग
Advertisment