हिसार के आजाद नगर में रहने वाले दो युवा किसान भाइयों, नवीन और प्रवीन सिंधु ने कमरे में ऐरोफोनिक तकनीक (Aeroponic technology) से केसर की खेती की शुरुआत की। ऐरोफोनिक पद्धति एक आधुनिक खेती तकनीक है, जिसमें मिट्टी की बजाय हवा और पानी के जरिए पौधों को पोषक तत्व दिए जाते हैं। इस पद्धति का इस्तेमाल करके इन दोनों भाइयों ने यह साबित किया कि गर्म क्षेत्रों में भी केसर (saffron) की खेती की जा सकती है।
दोनों भाइयों ने पहले इंटरनेट और यूट्यूब से इस खेती के बारे में जानकारी प्राप्त की और फिर इसे अपनाया। आज, इनका तैयार किया हुआ 100% शुद्ध केसर देश-विदेश में सप्लाई हो रहा है, और ये किसान भाई अपनी मेहनत और समझदारी से खेती के क्षेत्र में एक मिसाल कायम कर रहे हैं।
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ऐरोफोनिक पद्धति से केसर की खेती
केसर की खेती कुल 6 स्टेज (stages) में होती है। इसमें छठे चरण में केसर के पौधों में फूल आते हैं, और वही फूल शुद्ध केसर का रूप लेते हैं। इस प्रक्रिया में विशेष तापमान (temperature) और नमी (humidity) बनाए रखना बहुत जरूरी होता है, ताकि पौधों को सही पोषण मिल सके।
- तापमान (Temperature): 10 से 24 डिग्री सेल्सियस
- ह्यूमिडिटी (Humidity): 65% से 85%
एक बार की फसल से 3 किलो तक शुद्ध केसर तैयार हो जाती है, जो बाजार में साढ़े पांच लाख रुपये प्रति किलो तक बिकती है।
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केसर के उत्पादों की कीमत और सप्लाई
नवीन और प्रवीन का तैयार किया गया केसर कनाडा, अमेरिका, बांग्लादेश और भारत के विभिन्न राज्यों में सप्लाई होता है। उनके उत्पादों की पहचान इस बात से होती है कि जब असली केसर को पानी में डाला जाता है, तो इसका रंग धीरे-धीरे पीला हो जाता है और इसका स्वाद कड़वा होता है। इसका व्यापार भी तेजी से बढ़ रहा है। एक किलो केसर की कीमत 20,000 रुपए (केसर पट्टी) और 2,500 रुपए से 3,000 रुपए प्रति किलो (केसर फूल) है।
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प्रशिक्षण और किसानों के लिए अवसर
नवीन और प्रवीन ने अब तक 100 से अधिक युवाओं को इस तकनीक की मुफ्त ट्रेनिंग दी है, ताकि वे भी इस खेती को अपनाकर अच्छे पैसे कमा सकें। दोनों भाइयों का कहना है कि यदि युवा किसान इस तकनीक को अपनाते हैं, तो वे साल में ₹10 से ₹20 लाख तक कमा सकते हैं।