कैसे होता है लोकसभा स्पीकर का चुनाव, क्यों जरूरी है यह पद ?

इस बार लोकसभा स्पीकर का चुनाव निर्विरोध नहीं होगा। ऐसे में सदन में लोकसभा स्पीकर के लिए वोटिंग होगी। भाजपा के ओम बिरला और कांग्रेस के के. सुरेश आमने-सामने हैं...

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Shreya Nakade
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लोकसभा स्पीकर का चुनाव
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कल (26 जून) सुबह 11 बजे लोकसभा में पहली बार लोकसभा स्पीकर के लिए चुनाव ( lok sabha speaker election ) होगा। आजाद भारत में यह पहला मौका होगा जब लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव वोटिंग से होगा।

अब तक यह परंपरा रही है कि विपक्ष सत्ता पक्ष द्वारा प्रस्तावित नाम पर अपनी सहमति दे देता है। जबकि डिप्टी स्पीकर के लिए सत्ता पक्ष विपक्ष के प्रत्याशी को स्वीकार लेती है।

17वीं लोकसभा में यह पद खाली रहा था। इस बार इंडिया ब्लॉक की तरफ से कांग्रेस पार्टी ने डिप्टी स्पीकर पद न मिलने पर स्पीकर का चुनाव लड़ने की बात कही थी। ऐसे में जानते हैं ये चुनाव कैसे होगा-  

सर्वसम्मति होने पर नहीं होता चुनाव

लोकसभा के स्पीकर पद के लिए अगर सत्ता पक्ष के उम्मीदवार के अलावा विपक्ष कोई उम्मीदवार नहीं उतारता तो बिना किसी विरोध के सत्ता पक्ष द्वारा प्रस्तावित उम्मीदवार लोकसभा अध्यक्ष बन जाता है।

आजाद भारत के इतिहास में अभी तक सभी लोकसभा स्पीकर बिना विरोध के चुने गए है। 18वीं लोकसभा में पहली बार विपक्षी कांग्रेस ने अपने सांसद के सुरेश को लोकसभा स्पीकर प्रत्याशी बनाया है। 

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स्पीकर के लिए कैसे होता है चुनाव ?

भारत के संविधान के अनुच्छेद 93 ( article 93 ) के अनुसार लोकसभा स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का चुनाव किया जाता है। सभी संसद सदस्यों में से किसी को भी सभापति और उप-सभापति पद के लिए नामांकित किया जा सकता है।

इस बार लोकसभा स्पीकर का चुनाव निर्विरोध नहीं होगा। ऐसे में सदन में लोकसभा स्पीकर के लिए वोटिंग होगी। लोकसभा अध्यक्ष चुनाव के दिन जिस उम्मीदवार को आधे से ज्यादा वोट मिलेंगे वह स्पीकर नियुक्त हो जाएगा।

देखा जाए तो एनडीए के पास लोकसभा में बहुमत है। ऐसे में ओम बिरला का लोकसभा स्पीकर बनना लगभग तय है। 

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सदन के कामकाज की जानकारी जरूरी

सदन के सांसदों में से ही कोई एक लोकसभा का अध्यक्ष बनता है। इसके लिए किसी और योग्यता की जरुरत नहीं होती। हालांकि जो व्यक्ति स्पीकर चुना जाता है उसे सदन की कार्यवाही की जानकारी होनी चाहिए। 

स्पीकर को सदन के नियमों, देश के संविधान और कानून का सामान्य जानकारी होनी चाहिए। 

लोकसभा स्पीकर पद क्यों जरूरी ?

लोकसभा में स्पीकर के पद का काफी महत्व होता है। स्पीकर सदन की कार्यवाही चलाने के अलावा अन्य जिम्मेदारियां भी निभाते हैं। स्पीकर की मुख्य भूमिकाएं इस प्रकार हैं- 

  • लोकसभा स्पीकर संसदीय बैठकों का मुद्दा तय करते हैं।
  • सदन में सदस्यों के बीच विवाद होने पर स्पीकर नियमानुसार कार्रवाई करते हैं।
  • लोकसभा अध्यक्ष सदन से सांसदों को अनुचित आचरण के चलते निलंबित कर सकते हैं।
  • लोकसभा स्पीकर किसी मुद्दे पर अपनी राय या बिल पर वोटिंग नहीं कर सकते।
  • हालांकि जब किसी प्रस्ताव के पक्ष में बराबर वोट पड़ते हैं, तब स्पीकर के मत को निर्णायक माना जाता है।
  • लोकसभा स्पीकर कई समितियों का गठन भी करते हैं। 

विपक्ष ने क्यों उतारा अपना उम्मीदवार

विपक्ष की ओर से लोकसभा स्पीकर के लिए अपना उम्मीदवार उतारा गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि उनकी एनडीए के साथ डिप्टी स्पीकर पद दिए जाने पर सहमति नहीं बन पाई। 17वीं लोकसभा में यह पद खाली था।

राहुल गांधी ने पहले ही साफ कहा था कि अगर उन्हें डिप्टी स्पीकर का पद नहीं मिलता है तो उनकी पार्टी स्पीकर के चुनाव के लिए अपना उम्मीदवार उतारेगी।

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एनडीए ने विपक्ष को क्यों नहीं दिया डिप्टी स्पीकर पद

एनडीए की तरफ से कहा गया है कि डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को दिया जाना परंपरा है, नियम नहीं। दरअसल एनडीए ये पद अपने सहयोगी दलों को देना चाहती है।

इस बार बीजेपी के पास लोकसभा में बहुमत नहीं है। ऐसे में गठबंधन के साथी टीडीपी और जेडीयू की ओर से लोकसभा स्पीकर पद की मांग की गई थी। बीजेपी ने स्पीकर पद को अपने पास रखा।

ऐसे में पार्टी डिप्टी स्पीकर पद अपने सहयोगियों को देना चाहेगी। इसी कारण उनकी विपक्ष को डिप्टी स्पीकर पद देने पर सहमति नहीं बन पाई है। 

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