International Womens Day: क्या है महिला दिवस और क्यों पड़ी इसकी जरूरत

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस क्यों मनाया जाता है, कब मनाया जाता है ? ये जश्न है या विरोध का प्रतीक है? ये प्रश्न आपके मन में उपज रहे होंगे। आइए आज आपको बताते हैं कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की शुरुआत कैसे हुई और इसकी कहानी क्या है...

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Jitendra Shrivastava
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BHOPAL. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस ( International Womens Day ) को खास बनाने की शुरुआत 116 साल पहले 1908 में तब हुई, जब करीब पंद्रह हजार महिलाओं ने न्यूयॉर्क शहर में एक परेड निकाली। इन महिलाओं की मांग थी कि उनके काम के घंटे कम हों। तनख्वाह अच्छी मिले और महिलाओं को वोट डालने का हक भी मिले जो उस समय नहीं था। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस या महिला दिवस, कामगारों के आंदोलन से निकला था, बाद में संयुक्त राष्ट्र ने भी इसे हर साल जश्न के तौर पर मनाने की मान्यता दी।

1910 में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की बुनियाद 

अमेरिका की सोशलिस्ट पार्टी ने एक साल बाद पहला राष्ट्रीय महिला दिवस  मनाने का एलान किया। इसे अंतरराष्ट्रीय बनाने की सोच सबसे पहले क्लारा जेटकिन नामक महिला के जहन में आया था। क्लारा एक वामपंथी कार्यकर्ता थीं। वो महिलाओं के हक के लिए आवाज उठाती थीं। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का सुझाव, 1910 में डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में कामकाजी महिलाओं के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में दिया था।

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17 देशों से 100 महिलाएं हुई थीं शामिल

महिलाओं के इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में 17 देशों से 100 महिलाएं शामिल होने आई थीं और वो एकमत से क्लारा के इस सुझाव पर सहमत हो गईं। इसके बाद पहला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विटजरलैंड में मनाया गया। इसका शताब्दी समारोह 2011 में मनाया गया। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस तो 1917 में जाकर तय हुआ था, जब रूस की महिलाओं ने 'रोटी और अमन' की मांग करते हुए जार की हुकूमत के खिलाफ हड़ताल की थी। इसके बाद जार निकोलस द्वितीय को अपना तख्त छोड़ना पड़ा था। उसके बाद बनी अस्थायी सरकार ने महिलाओं को वोट डालने का अधिकार दिया था। 

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को ही क्यों?

जब क्लारा जेटकिन ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का सुझाव दिया था, तो उनके जहन में कोई खास तारीख नहीं थी। यूरोप में महिलाओं ने 8 मार्च को पीस एक्टिविस्ट्स को सपोर्ट करने के लिए रैलियां निकाली थीं। इस वजह से 8 मार्च 1917 को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की शुरुआत हुई। बाद में 1975 में संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को मान्यता दे दी। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को औपचारिक मान्यता 1975 में मिली, जब संयुक्त राष्ट्र ने भी ये जश्न मनाना शुरू कर दिया। संयुक्त राष्ट्र ने इसकी पहली थीम 1996 में चुनी थी, जिसका नाम 'गुजरे हुए वक्त का जश्न और भविष्य की योजना बनाना' था। आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस, समाज में, सियासत में, और आर्थिक क्षेत्र में महिलाओं की तरक्की का जश्न मनाने का दिन बन चुका है।

इस दिन जामुनी रंग के कपड़े क्यों पहनते हैं?

जामुनी रंग को इसे 'इंसाफ और सम्मान' का प्रतीक माना जाता है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की पहचान अक्सर जामुनी रंग से होती है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की वेबसाइट के मुताबिक, जामुनी, हरा और सफेद अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रंग हैं। वेबसाइट में यह भी बताया गया है कि 'जामुनी रंग इंसाफ और सम्मान का प्रतीक है। हालांकि, इस रंग से जुड़ी परिकल्पना को लेकर विवाद भी है। महिला अधिकार कार्यकर्ता कहते हैं कि महिला दिवस से ताल्लुक रखने वाले इन रंगों की शुरुआत 1908 में ब्रिटेन में महिलाओं के सामाजिक और राजनीतिक संघ (WSPU) से हुई थी।

कैसे मनाते हैं महिला दिवस 

कई देशों में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर राष्ट्रीय अवकाश रहता है। इन देशों में रूस भी शामिल है, जहां आठ मार्च के आस-पास के तीन चार दिनों में फूलों की बिक्री दोगुनी हो जाती है। चीन में राष्ट्रीय परिषद के सुझाव पर बहुत सी महिलाओं को आठ मार्च को आधे दिन की छुट्टी दे दी जाती है। इटली में महिलाओं को आठ मार्च को मिमोसा फूल देकर अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। माना ये जाता है कि इसकी शुरुआत दूसरे विश्व युद्ध के बाद रोम से हुई थी। अमेरिका में मार्च महिलाओं की तारीख का महीना होता है। हर साल राष्ट्रपति की तरफ से एक घोषणा जारी की जाती है, जिसमें अमेरिका महिलाओं की उपलब्धियों का बखान किया जाता है।

आखिर क्यों पड़ गई महिला दिवस की जरूरत

पिछले दो साल में अफगानिस्तान, ईरान, यूक्रेन और अमेरिका जैसे कई देशों में महिलाएं अपने-अपने देशों में युद्ध, हिंसा और नीतिगत बदलावों के बीच अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ती रही हैं। अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता में वापसी ने मानव अधिकारों के मामले में तरक्की को बाधित कर दिया है, क्योंकि महिलाओं और लड़कियों को उच्च शिक्षा हासिल करने से रोक दिया गया है। उनके घर से बाहर ज्यादातर काम करने पर और किसी पुरुष संरक्षक के बगैर लंबी दूरी का सफर करने पर पाबंदी लगा दी गई है। तालिबान ने महिलाओं को हुक्म जारी किया है कि वो घर से बाहर या दूसरे लोगों के सामने अपना पूरा चेहरा ढंककर रखें।

भारत में कब और क्यों मनाते हैं महिला दिवस

लोगों को महिला दिवस को लेकर भ्रम है कि वह 8 मार्च को होता है, लेकिन 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस होता है। भारत में महिला दिवस को फरवरी में मनाया जाता है। राष्ट्रीय महिला दिवस को 13 फरवरी को मनाने की एक खास वजह है। यह वजह जुड़ी है भारत की प्रमुख महिला स्वतंत्रता सेनानी और भारत कोकिला सरोजिनी नायडू से और सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 को हुआ था। सरोजिनी नायडू से राष्ट्रीय महिला दिवस का गहरा नाता है। सरोजिनी नायडू भारत की प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी व कवयित्री हैं। उन्हें भारत कोकिला यानी नाइटिंगेल ऑफ इंडिया भी कहा जाता है। इतना ही नहीं वह आजाद भारत की पहली महिला राज्यपाल भी रही हैं। ब्रिटिश सरकार के खिलाफ देश को आजादी दिलाने के लिए हुए स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण है। वह हर महिला के लिए प्रेरणा है।

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