सच्चे प्यार को कानून नियंत्रित करना सही नहीं, आपराधिक कार्रवाई रद्द

मामले में याचियों पर आरोप था कि उन्होंने लड़कियों को बहला-फुसलाकर शादी कर ली। उसके बाद माता-पिता ने उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करा दी। याचियों की ओर से उसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई।

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Pooja Kumari
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BHOPAL. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है। बता दें कि कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट का कहना है कि एक कपल के बीच सच्चा प्यार हो तो कानून की कठोरता या राज्य की कार्रवाई के जरिए उन्हें नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। ये आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी की पीठ ने उन्नाव के याची सहित तीन लड़कों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई को रद्द करते हुए दिया है।

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कोर्ट ने मामले पर क्या कहा 

मामले में याचियों पर आरोप था कि उन्होंने लड़कियों को बहला-फुसलाकर शादी कर ली। उसके बाद माता-पिता ने उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करा दी। याचियों की ओर से उसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। इस पर कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में माता-पिता की ओर से लड़के के खिलाफ दर्ज कराई गई प्राथमिकी उनके वैवाहिक रिश्ते में जहर घोलने जैसा है। 

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कोर्ट ने किया आपराधिक कार्रवाई को रद्द 

कार्ट का कहना है कि कभी-कभी ऐसे किशोर कपल के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई को सही ठहराना पड़ता है, जो शादी करते हैं और शांतिपूवर्क जीवन जीते हैं। साथ ही कानून के प्रति सम्मान बनाए रखते हैं। जबकि, ऐसे मामलों में मानवीयता और व्यवहारिकता का भी ध्यान देने की जरूरत है। इस पर कोर्ट ने लड़कियों के बयान को देखते हुए कहा कि वे अपने साथी के साथ रहना चाहती हैं। उन्हें बच्चे का भी आशीर्वाद प्राप्त है। ऐसे में कार्रवाई जारी रखना सही नहीं है। लिहाजा, कोर्ट ने आपराधिक कार्रवाई को रद्द कर दिया।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट