जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव 2024 में 12 छोटे राजनीतिक दलों ने बिना पैसा खर्च किए चुनाव लड़ा। निर्वाचन विभाग की हालिया ऑडिट रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 35 छोटे दलों में से 17 ने चुनाव लड़ा, लेकिन 12 ने अपनी बैलेंस शीट में न तो कोई खर्च और न ही चंदा दिखाया। इन दलों की गतिविधियों पर सवाल उठ रहे हैं। इस लेख में हम इन दलों के चुनाव प्रचार, खर्च और चंदे की जानकारी पर ध्यान देंगे।
12 सियासी दलों का राज, बिना खर्च कैसे लड़ा चुनाव
जम्मू-कश्मीर में 12 छोटे राजनीतिक दलों ने विधानसभा चुनाव में एक भी पैसा खर्च नहीं किया। इन दलों के चुनाव प्रचार पर न तो कोई बड़ा खर्च हुआ और न ही किसी तरह का चंदा इन दलों को मिला। इन दलों ने न तो बड़ी रैलियां आयोजित कीं, न ही पोस्टर, बैनर या वाहनों से प्रचार किया।
इन दलों की बैलेंस शीट में सभी खर्च शून्य दर्शाए गए हैं, और उनका दावा है कि न तो किसी संस्था से और न ही व्यक्तिगत रूप से किसी ने इनकी मदद की। इन दलों के मुताबिक, उनके पास कोई वित्तीय संसाधन नहीं थे, जिसके चलते चुनाव में उनका कोई खर्चा नहीं हुआ।
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निर्वाचन आयोग का कहना, सार्वजनिक करो खर्च
निर्वाचन विभाग का स्पष्ट निर्देश है कि चुनाव लडऩे वाले सभी राजनीतिक दलों को अपनी आय और खर्च का विवरण सार्वजनिक करना चाहिए। जो दल ऐसा नहीं करते, उनकी मान्यता रद्द हो सकती है। ऐसे में ये 12 दलों के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है, क्योंकि उन्हें अपने खर्चों और आय को प्रमाणित करने की जरूरत है।
5 दलों का चंदा और खर्च
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव लड़ने वाले कुछ दलों ने अपनी बैलेंस शीट में चंदे के रूप में मोटी रकम हासिल करने की जानकारी दी है। इनमें से सबसे प्रमुख है डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी), जिसका नेतृत्व पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद कर रहे हैं। इस पार्टी ने 23 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारे और चुनाव प्रचार पर 34,32,500 रुपए खर्च किए। इसके अलावा, पार्टी ने चंदे के रूप में 6,32,300 रुपए भी प्राप्त किए।
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अन्य दलों का चंदा
इसके अलावा, जम्मू-कश्मीर नेशनल पीपुल्स फ्रंट, अपनी पार्टी, डोगरा स्वाभिमान दल, और जम्मू-कश्मीर डेमोक्रेटिक फ्रंट जैसे दलों ने भी चंदे के रूप में राशि प्राप्त की। इन दलों ने क्रमशः 12,66,00, 12,18,600, 2,15,995 और 1,12,000 रुपए चंदा प्राप्त किया।
17 दलों का चुनावी असर
जम्मू-कश्मीर में 17 छोटे राजनीतिक दलों का कुल वोट शेयर 24 प्रतिशत रहा। इन दलों का चुनावी प्रभाव उन सीटों पर साफ नजर आया, जहां जीत-हार का अंतर काफी कम था। उदाहरण के लिए त्राल में 460, किश्तवाड़ में 521, हंदवाड़ा में 662, पट्टन में 603, इंदवाल में 643, बांदीपोरा में 811 और देवसर में 840 वोट के अंतर से हार-जीत तय हुई।
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बैलेंस शीट का महत्व
निर्वाचन विभाग ने हाल ही में बैलेंस शीट को सार्वजनिक किया है। इसमें सभी राजनीतिक दलों की आय और खर्च का ब्योरा शामिल है। यह जानकारी आम जनता के लिए उपलब्ध है ताकि वे किसी भी दल के वित्तीय प्रबंधन को समझ सकें। बैलेंस शीट में सभी दलों के खर्चों का विवरण दिया गया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि किस दल ने कितना पैसा खर्च किया और उन्हें कितनी राशि चंदे के रूप में मिली।
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निष्कर्ष : चुनाव आयोग के लिए बना बड़ा मुद्दा
जम्मू-कश्मीर में चुनावी खर्च और चंदे के ब्योरे का सार्वजनिक होना छोटे राजनीतिक दलों के लिए एक बड़ा मुद्दा बन गया है। 12 ऐसे दलों ने बिना किसी खर्च के चुनाव लड़ा, जिससे उनकी रणनीतियों और सियासी इरादों पर सवाल उठते हैं। वहीं, पांच दलों ने भारी चंदा प्राप्त किया और चुनावी खर्चों का सही हिसाब दिया। अब निर्वाचन विभाग के पास इन दलों की मान्यता जारी रखने या न रखने का बड़ा मुद्दा होगा।
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