जस्टिस जीआर स्वामीनाथन: 56 पूर्व जस्टिस ने महाभियोग प्रस्ताव को बताया न्यायपालिका को धमकाने की कोशिश

जस्टिस स्वामीनाथन ने मदुरै के तिरुप्पारनकुंड्रम मंदिर के दीपक मामले में आदेश दिया था। उन्होंने ऐतिहासिक पत्थर स्तंभ पर दीप जलाने की अनुमति दी थी। इस पर राज्य सरकार ने कानून-व्यवस्था की चिंता जताई।

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Neel Tiwari
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NEW DELHI. मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस जीआर स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर 56 पूर्व न्यायाधीशों ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने शुक्रवार को संयुक्त बयान जारी किया। बयान में इसे न्यायपालिका को धमकाने का प्रयास बताया। इसमें कहा गया कि इससे लोकतंत्र और न्यायपालिका की स्वतंत्रता को खतरा है।

पूर्व सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों के पूर्व न्यायाधीशों ने कहा कि महाभियोग प्रस्ताव बिना ठोस कारणों के है। यह एक गंभीर संविधान संबंधी उपाय का उपयोग है। इससे न्यायाधीशों पर राजनीतिक या वैचारिक दबाव बनाने की कोशिश होती है। कानूनविदों ने आगाह किया कि ऐसे कदमों से न्यायपालिका की स्वतंत्रता को खतरा होगा। 

इससे लोकतंत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। यह आपत्ति जताई जा रही है कि महाभियोग का उद्देश्य न्यायिक ईमानदारी को सुरक्षित रखना है। इसका मकसद न्यायाधीशों पर राजनीतिक दबाव डालना नहीं है। मुद्दों को कानूनी और संवैधानिक दायरों में संबोधित किया जाना चाहिए। राजनीतिक दायरों में नहीं।

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क्या है मामला?

जस्टिस स्वामीनाथन ने मदुरै के तिरुप्पारनकुंड्रम मंदिर के दीपक मामले में आदेश दिया था। उन्होंने ऐतिहासिक पत्थर स्तंभ पर दीप जलाने की अनुमति दी थी। इस पर राज्य सरकार ने कानून-व्यवस्था की चिंता जताई। विवाद बढ़ने पर विपक्षी सांसदों ने महाभियोग प्रस्ताव पेश किया। आरोप लगाया गया कि निर्णय नैतिकता, निष्पक्षता या धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ था।

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पूर्व न्यायाधीशों का संदेश

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पूर्व न्यायाधीशों ने कहा कि न्यायाधीशों को संविधान और शपथ के प्रति जवाबदेह होना चाहिए। वे राजनीतिक दलों या मतदाताओं की अपेक्षाओं से मुक्त होना चाहिए। आलोचना केवल न्यायालयीन प्रक्रियाओं के माध्यम से होनी चाहिए। महाभियोग जैसे उपाय राजनीति का हथियार नहीं बनने चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि आज एक न्यायाधीश पर हमला हो रहा है, कल न्यायिक संस्थान निशाने पर होगा।

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संसद और न्यायपालिका आमने-सामने

इस मुद्दे ने संसद और न्यायपालिका के बीच संवैधानिक सीमा, स्वतंत्रता और राजनीतिक हस्तक्षेप जैसे मुद्दों पर व्यापक बहस छेड़ दी है। कुछ नेता महाभियोग प्रस्ताव को लोकतांत्रिक आलोचना कह रहे हैं। समर्थक इसे न्यायपालिका पर राजनीतिक दबाव की कोशिश मान रहे हैं। अब यह बहस राष्ट्रीय स्तर पर तेजी से जारी है। जहां न्यायपालिका की स्वतंत्रता, संविधान के मूल सिद्धांत सब चर्चाओं के केंद्र में हैं।

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इन जजों ने दिया जस्टिस स्वामीनाथन को समर्थन

1. जस्टिस आदर्श कुमार गोयल (पूर्व सुप्रीम कोर्ट)

2. जस्टिस हेमंत गुप्ता (पूर्व सुप्रीम कोर्ट)

3. जस्टिस अनिल देव सिंह (पूर्व मुख्य न्यायाधीश, राजस्थान हाईकोर्ट)

4. जस्टिस नरसिम्हा रेड्डी (पूर्व मुख्य न्यायाधीश, पटना हाईकोर्ट)

5. जस्टिस पीबी बजंथरी (पूर्व मुख्य न्यायाधीश, पटना हाईकोर्ट)

6. जस्टिस शुभ्र कमल मुखर्जी (पूर्व मुख्य न्यायाधीश, कर्नाटक हाईकोर्ट)

7. जस्टिस परमोड कोहली (पूर्व मुख्य न्यायाधीश, सिक्किम हाईकोर्ट एवं पूर्व चेयरमैन, CAT)

8. जस्टिस एसएम सोनी (पूर्व जज, गुजरात हाईकोर्ट एवं पूर्व लोकायुक्त, गुजरात)

9. जस्टिस विष्णु एस. कोकजे (पूर्व जज, मध्य प्रदेश एवं राजस्थान हाईकोर्ट)

10. जस्टिस अंबादास जोशी (पूर्व जज, बॉम्बे हाईकोर्ट एवं पूर्व लोकायुक्त, गोवा)

11. जस्टिस आर. सुब्रमणियन (पूर्व जज, मद्रास हाईकोर्ट)

12. जस्टिस शिवग्नानम (पूर्व जज, मद्रास हाईकोर्ट)

13. जस्टिस टी. सुदंथिरम (पूर्व जज, मद्रास हाईकोर्ट)

14. जस्टिस एसएन धिंगरा (पूर्व जज, दिल्ली हाईकोर्ट)

15. जस्टिस आरके गौबा (पूर्व जज, दिल्ली हाईकोर्ट)

16. जस्टिस विनोद गोयल (पूर्व जज, दिल्ली हाईकोर्ट)

17. जस्टिस जेआरसी चोपड़ा (पूर्व जज, दिल्ली हाईकोर्ट)

18. जस्टिस विद्या भूषण गुप्ता (पूर्व जज, दिल्ली हाईकोर्ट)

19. जस्टिस रमेश कुमार मेराठिया (पूर्व जज, झारखंड हाईकोर्ट)

20. जस्टिस नवल किशोर अग्रवाल (पूर्व जज, झारखंड हाईकोर्ट)

21. जस्टिस करमचंद पुरी (पूर्व जज, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट)

22. जस्टिस जसबीर सिंह (पूर्व जज, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट)

23. जस्टिस एचएस भल्ला (पूर्व जज, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट)

24. जस्टिस एसएन अग्रवाल (पूर्व जज, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट)

25. जस्टिस दर्शन सिंह (पूर्व जज, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट)

26. जस्टिस आरएस राठौड़ (पूर्व जज, राजस्थान हाईकोर्ट एवं पूर्व सदस्य, NGT)

27. जस्टिस प्रशांत कुमार अग्रवाल (पूर्व जज, राजस्थान हाईकोर्ट)

28. जस्टिस राकेश सक्सेना (पूर्व जज, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट)

29. जस्टिस केके त्रिवेदी (पूर्व जज, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट)

30. जस्टिस एचपी सिंह (पूर्व जज, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट)

31. जस्टिस डीके पालीवाल (पूर्व जज, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट)

32. जस्टिस सुशील कुमार गुप्ता (पूर्व जज, मध्यप्रदेश हाईकोर्ट)

33. जस्टिस डॉ. शिव शंकर राव (पूर्व जज, तेलंगाना हाईकोर्ट)

34. जस्टिस कमलेश्वर नाथ (पूर्व जज, इलाहाबाद हाईकोर्ट)

35. जस्टिस डीके सेठ (पूर्व जज, इलाहाबाद एवं कोलकाता हाईकोर्ट)

36. जस्टिस राजेश कुमार (पूर्व जज, इलाहाबाद हाईकोर्ट)

37. जस्टिस सुरेंद्र विक्रम सिंह राठौर (पूर्व जज, इलाहाबाद हाईकोर्ट)

38. जस्टिस विजय लक्ष्मी (पूर्व जज, इलाहाबाद हाईकोर्ट)

39. जस्टिस एसके त्रिपाठी (पूर्व जज, इलाहाबाद हाईकोर्ट)

40. जस्टिस डीके अरोरा (पूर्व जज, इलाहाबाद हाईकोर्ट)

41. जस्टिस राजेंद्र बदामीकर (पूर्व जज, कर्नाटक हाईकोर्ट)

42. जस्टिस श्रीनिवास हरीश कुमार (पूर्व जज, कर्नाटक हाईकोर्ट)

43. जस्टिस एवी चंद्रशेखर (पूर्व जज, कर्नाटक हाईकोर्ट)

44. जस्टिस पी. कृष्ण भट्ट (पूर्व जज, कर्नाटक हाईकोर्ट)

45. जस्टिस विनीत कोठारी (पूर्व जज, गुजरात हाईकोर्ट)

46. जस्टिस रवीकुमार रमेश्वरदयाल त्रिपाठी (पूर्व जज, गुजरात हाईकोर्ट)

47. जस्टिस केए पुझ (पूर्व जज, गुजरात हाईकोर्ट)

48. जस्टिस पीएन रविंद्रन (पूर्व जज, केरल हाईकोर्ट)

49. जस्टिस एमआर हरिहरन नायर (पूर्व जज, केरल हाईकोर्ट)

50. जस्टिस वी. चितंबरश (पूर्व जज, केरल हाईकोर्ट)

51. जस्टिस एवी रामकृष्णन (पूर्व जज, केरल हाईकोर्ट)

52. जस्टिस एनके बालाकृष्णन (पूर्व जज, केरल हाईकोर्ट)

53. जस्टिस सुभाष चंद्र (पूर्व जज, इलाहाबाद एवं उत्तराखंड हाईकोर्ट)

54. जस्टिस लोकपाल सिंह (पूर्व जज, उत्तराखंड हाईकोर्ट)

55. जस्टिस विवेक शर्मा (पूर्व जज, उत्तराखंड हाईकोर्ट)

56. जस्टिस राजीव लोचन (पूर्व जज, इलाहाबाद हाईकोर्ट)

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