तमिलनाडु में जस्टिस स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग की तैयारी, थिरुपरनकुंद्रम में मंदिर–दरगाह विवाद से शुरू हुआ बवाल

तमिलनाडु के थिरुपरनकुंद्रम में मंदिर-दरगाह विवाद के बाद जस्टिस स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू हो गई है। यह धार्मिक विवाद राज्य की राजनीति और न्यायपालिका के बीच तनाव का कारण बन गया है।

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Neel Tiwari
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Photograph: (the sootr)

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तमिलनाडु की राजनीति में इन दिनों एक गंभीर विवाद उभर रहा है। थिरुपरनकुंद्रम के प्राचीन मंदिर के दीपोत्सव को लेकर जस्टिस जीआर स्वामीनाथन के आदेश ने राज्य में धार्मिक और न्यायिक विवाद को जन्म दिया है। मंदिर के पास स्थित एक मुस्लिम धार्मिक स्थल के कारण यह आदेश विवादों में घिर गया।

मुस्लिम संगठनों ने इसे धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला बताया। हिंदू संगठनों ने इसे सदियों पुरानी परंपरा का हिस्सा करार दिया। इस विवाद ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है।

डीएमके का आरोप: आदेश एकतरफा

विपक्षी दल डीएमके ने इस आदेश को एकतरफा व तनावपूर्ण बताता है। पार्टी ने जस्टिस स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करने का ऐलान किया है। उनका कहना है कि यह आदेश राज्य की धार्मिक एकता को कमजोर कर सकता है।

डीएमके ने अपने सांसदों से इस प्रस्ताव का समर्थन करने का निर्देश भी दिया है। वहीं, हिंदू संगठनों ने डीएमके पर आरोप लगाया है कि वे धार्मिक परंपराओं को दबाने के लिए राजनीति कर रहे हैं। यह विवाद अब राज्य की राजनीति में नया तनाव लेकर आया है।

यह दिया था जस्टिस स्वामीनाथन ने आदेश

न्यायमूर्ति जीआर स्वामीनाथन की बेंच ने अरुदमिगु सुब्रमनिया स्वामी मंदिर प्रबंधन को दीपम जलाने के निर्देश दिए थे। यह आदेश एक याचिका पर दिया गया था, जिसमें कहा गया था कि सामान्य स्थानों के अलावा मंदिर के दीप स्थंभ पर भी प्रमुख त्यौहार पर कार्तिगई दीपम जलाना सुनिश्चित किया जाए।

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि प्रशासन और पुलिस इस आदेश के पालन की जिम्मेदारी निभाएंगे। उन्होंने कहा था कि दीपस्थंभ पर कार्तिगई दीपम जलाने से पास के धार्मिक स्थल के अधिकारों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

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महाभियोग क्या है और कैसे चलता है?

महाभियोग भारतीय संविधान की एक जटिल प्रक्रिया है। जिसके तहत सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालय के जजों को हटाया जा सकता है। यह प्रक्रिया तभी शुरू होती है जब न्यायाधीशों के खिलाफ गंभीर आरोप साबित होते हैं। महाभियोग की प्रक्रिया में संसद में विशेष प्रस्ताव पेश किया जाता है। इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट की जांच समिति आरोपों की जांच करती है। अगर आरोप साबित हो जाते हैं, तो राष्ट्रपति जज को पद से हटा सकते हैं।

राजनीतिक असर और समाज पर प्रभाव

यह विवाद केवल धार्मिक आदेश तक सीमित नहीं है। यह न्यायपालिका और राजनीति के बीच एक गंभीर टकराव का संकेत भी है। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि मामला अगर और बढ़ता है तो यह सुप्रीम कोर्ट तक जा सकता है।तमिलनाडु में इस विवाद के कारण धार्मिक तनाव बढ़ गया है और प्रशासन भी अलर्ट मोड पर है। पुलिस ने इलाके में शांति बनाए रखने के लिए विशेष निगरानी बढ़ा दी है।

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जजों पर महाभियोग की प्रक्रियाएं

भारत में अब तक सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्यायाधीशों पर महाभियोग की प्रक्रिया पांच बार शुरू की गई है। ये विभिन्न कारणों से हुई हैं जैसे सरकारी धन का दुरुपयोग, वित्तीय अनियमितता, और जातिगत भावनाएं आहत करने के आरोप। इनमें से अधिकतर मामलों में महाभियोग प्रस्ताव पास नहीं हो सके और न्यायाधीशों ने इस्तीफा दे दिया।

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