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Photograph: (the sootr)
JABALPUR.जबलपुर में 6 दिसंबर को शौर्य यात्रा प्रस्तावित थी। यह यात्रा बजरंग दल द्वारा निकाली जानी थी। प्रशासन ने इस शौर्य यात्रा पर रोक लगा दी है। इस रोक से शहर का माहौल गरमा गया है। एसडीएम ने इस यात्रा को अनुमति नहीं दी है। उन्होंने गोहलपुर-मिलोनीगंज मार्ग को संवेदनशील बताया।
प्रशासन ने कानून-व्यवस्था बिगड़ने का हवाला दिया है। उनका कहना है कि यह मार्ग जुलूस के लिए सुरक्षित नहीं है। प्रशासन के इस फैसले पर हिंदू संगठन भड़क उठे हैं। हिंदू उत्सव समिति ने विरोध जताया है। संस्कृति बचाओ मंच ने भी नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने इसे धार्मिक यात्रा में अनावश्यक हस्तक्षेप कहा है। संगठनों ने प्रशासन से तत्काल अनुमति देने की माँग की है।
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प्रशासन ने रोकी शौर्य यात्रा
जबलपुर को संस्कारधानी भी कहते हैं। यह शहर फिर सुर्खियों में आ गया है। इस बार धार्मिक यात्राओं पर रोक लगी है। बजरंग दल की शौर्य यात्रा प्रस्तावित थी। यात्रा के लिए गोहलपुर से मिलोनीगंज का मार्ग चुना गया।
एसडीएम पंकज मिश्रा ने अनुमति नहीं दी। थाना प्रभारियों ने भी इस पर सहमति दी। उन्होंने मार्ग को संवेदनशील बताया। इसे अल्पसंख्यक समुदाय वाला क्षेत्र माना गया है।
प्रशासन का तर्क है कि यहां जुलूस निकालना ठीक नहीं। यह कानून-व्यवस्था के लिए उच्च जोखिम है। इसलिए यात्रा को प्रतिबंधित क्षेत्र से अनुमति नहीं मिली। इस फैसले से हिंदू संगठन अचंभित हैं। वे सवाल उठा रहे हैं। क्या अब अपने ही शहर में यात्राएँ निकालना असंभव है? यह प्रश्न शहर में चर्चा का विषय बन गया है।
'दूसरे जुलूस भी नहीं निकलेंगे'
शौर्य यात्रा पर विवाद बढ़ गया है। अब अन्य हिंदू संगठन भी साथ आ गए हैं। बजरंग दल के समर्थक नाराज हैं। कई स्थानीय लोगों ने भी विरोध जताया है। वे प्रशासन के कदम को एकतरफा बता रहे हैं।
संगठनों का कहना है कि यह चिंता की बात है। भारत में धार्मिक यात्रा न निकाल पाना गलत है। एक निश्चित मार्ग से भी यात्रा नहीं निकल रही। वे आरोप लगा रहे हैं कि यह ठीक नहीं। लिखित आदेश से यात्रा को रोका गया है। उनका सवाल है, आम हिंदू की धार्मिक स्वतंत्रता का क्या होगा?
हिंदू संगठनों ने स्पष्ट चेतावनी दी है। "अगर हम उस क्षेत्र से यात्रा नहीं निकाल सकते तो फिर हमारे इलाकों से भी जुलूस नहीं निकलेगा।" इसकी सारी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी। इस बयानबाजी से शहर का माहौल गरमा गया है।
भोपाल तक पहुंची मामले की गूंज
संस्कृति बचाओ मंच के अध्यक्ष ने विरोध किया। वह हिंदू उत्सव समिति भोपाल अध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी ने खुलकर विरोध जताया है। उन्होंने प्रशासन की कार्रवाई को गलत बताया। तिवारी ने राम मंदिर निर्माण की बात कही। यह 500 वर्षों के संघर्ष के बाद हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में ध्वजारोहण किया था। ऐसे समय यात्रा रोकना ठीक नहीं। उन्होंने कहा कि यह जन-भावनाओं के विपरीत है। उन्होंने मोहन यादव सरकार का जिक्र किया। मध्य प्रदेश में सनातनी सरकार है। स्थानीय अधिकारी का निर्णय ठीक नहीं है। यह सरकार की छवि को नुकसान पहुंचाएगा। तिवारी ने मुख्यमंत्री मोहन यादव से हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने तत्काल अनुमति दिलाने को कहा है।
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शहर में बढ़ी हलचल
पूरा मामला अब प्रशासनिक निर्णय और संभावित राजनीतिक दखल का इंतज़ार कर रहा है। लोग प्रशासनिक निर्णय का इंतजार कर रहे हैं। राजनीतिक दखल की भी संभावना है। बजरंग दल और अन्य संगठन अड़े हैं।
संगठनों का कहना है कि यह वर्षों पुरानी परंपरा है। इसे बिना ठोस कारण रोका नहीं जा सकता। प्रशासन ने क़ानून-व्यवस्था का हवाला दिया है। सामाजिक संगठनों ने इस फैसले का विरोध किया। उनका दावा है, यह धार्मिक स्वतंत्रता पर चोट है। अब शहर की नजर इसी पर टिकी है। क्या यात्रा को अनुमति मिलेगी या विवाद बढ़ेगा?
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