दिल्ली स्थित सरकारी आवास से नकद मिलने के आरोपों के बाद न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा एक बार फिर चर्चा में हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तीन-सदस्यीय जांच समिति की रिपोर्ट के बाद, भारत के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India) संजीव खन्ना ने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को पत्र लिखकर पूरी जानकारी दी है।
इस पत्र में समिति की रिपोर्ट के साथ-साथ जस्टिस वर्मा की प्रतिक्रिया को भी जोड़ा गया है। यह पत्र सुप्रीम कोर्ट की "इन-हाउस प्रोसीजर" (In-house Procedure) के तहत भेजा गया है।
जस्टिस वर्मा पर क्या लगे हैं आरोप?
- दिल्ली स्थित सरकारी आवास में कैश मिलने के बाद जस्टिस वर्मा पर गंभीर सवाल उठे।
- जांच समिति ने पुष्टि की है कि उनके आवास से नकदी मिली थी।
- समिति में पंजाब-हरियाणा, हिमाचल और कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शामिल थे।
- समिति ने दिल्ली पुलिस और दमकल अधिकारियों समेत 50 से अधिक लोगों के बयान दर्ज किए।
- 14 मार्च को उनके आवास में लगी आग के बाद यह जांच तेज हुई।
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जस्टिस वर्मा ने क्यों किया इस्तीफे से इनकार?
सूत्रों के मुताबिक, सीजेआई ने जस्टिस वर्मा को या तो इस्तीफा देने या स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने का सुझाव दिया था, लेकिन उन्होंने इसे सिरे से खारिज कर दिया। उनका कहना है कि वे निर्दोष हैं और सभी आरोप निराधार हैं।
महाभियोग की तैयारी?
इन हालातों में, यह अनुमान लगाया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट की सिफारिश के बाद केंद्र सरकार न्यायमूर्ति वर्मा पर महाभियोग (Impeachment) की प्रक्रिया शुरू कर सकती है। भारत के संविधान के तहत किसी न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया तभी शुरू होती है जब-
- संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पारित हो
- आरोपों की जांच उचित रूप से हो
- राष्ट्रपति की मंजूरी मिल जाए
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क्या है इन-हाउस प्रोसीजर?
इन-हाउस प्रोसीजर सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1997 में बनाई गई एक आंतरिक व्यवस्था है, जो उच्च न्यायपालिका में अनुशासन बनाए रखने के लिए लागू होती है।
- इसे 1999 में सुप्रीम कोर्ट की पूर्ण पीठ द्वारा मान्यता दी गई थी।
- इसके तहत एक समिति आरोपों की जांच कर रिपोर्ट देती है।
- यह प्रक्रिया पूरी तरह गोपनीय और संवैधानिक दायरे में होती है।
महाभियोग प्रस्ताव | जस्टिस यशवंत वर्मा | देश दुनिया न्यूजकैश कांड | CJI