कर्नाटक में हाल ही में कांग्रेस सरकार ने चुनावी वादों के तहत "पांच गारंटी" योजना की घोषणा की थी, जिसमें महिलाओं को मुफ्त बस सेवा, बिजली, भत्ते और बेरोजगारों को सहायता दी जाने का वादा किया गया था। इन मुफ्त योजनाओं के लिए पैसा जुटाने का दबाव सरकार पर था, और अब कर्नाटक सरकार ने कुछ जरूरी वस्तुओं के दाम बढ़ा दिए हैं। ये बढ़ोतरी राज्य सरकार के वित्तीय संकट को पूरा करने का एक तरीका बन चुकी है।
दूध के दाम बढ़ाए
कर्नाटक सरकार ने गुरुवार को दूध के दामों में 4 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की घोषणा की। यह वृद्धि 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी, और पिछले तीन वर्षों में यह तीसरी बढ़ोतरी होगी। इससे पहले, 2023 में 3 रुपये और 2024 में 2 रुपये की बढ़ोतरी हो चुकी थी। इस बढ़ोतरी का मुख्य कारण किसानों को लाभ पहुंचाना बताया जा रहा है, लेकिन यह आम जनता पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ डाल रहा है।
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मेट्रो किराया और बिजली के रेट में बढ़ोतरी
बेंगलुरु मेट्रो के किराए में 50% की बढ़ोतरी की गई है, जिससे शहरी यात्रियों पर अतिरिक्त बोझ पड़ा है। इसके अलावा, बिजली के दामों में 14.5% की वृद्धि की गई है, जिसने घरेलू और व्यावसायिक उपभोक्ताओं को प्रभावित किया है। यह बढ़ोतरी कर्नाटक सरकार की योजनाओं को पूरा करने के लिए जरूरी माना जा रहा है, लेकिन इससे राज्यवासियों की वित्तीय स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
संपत्ति और वाहन रजिस्ट्रेशन शुल्क बढ़ाए
कर्नाटक सरकार ने संपत्ति पंजीकरण शुल्क में 600% और संपत्ति गाइडेंस वैल्यू में 30% की बढ़ोतरी की है। इसके साथ ही, वाहन पंजीकरण शुल्क में भी 10% की वृद्धि की गई है। इस प्रकार, संपत्ति और वाहन खरीदने वालों पर भी अतिरिक्त खर्च का दबाव बढ़ेगा।
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सरकारी सेवाओं और शिक्षा शुल्क में बढ़ोतरी
सरकारी अस्पतालों में सेवा शुल्क में 5% की वृद्धि की गई है, जबकि राज्य द्वारा संचालित कॉलेजों की फीस में 10% का इजाफा किया गया है। इस बढ़ोतरी का असर शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर भी पड़ेगा, जिससे गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए इन सेवाओं का खर्च और बढ़ सकता है।
इलेक्ट्रिक वाहनों पर कर में वृद्धि
इलेक्ट्रिक वाहनों पर 10% का कर बढ़ा दिया गया है, जिससे पर्यावरण-अनुकूल विकल्पों के लिए भी महंगाई का सामना करना पड़ेगा। यह कदम कर्नाटक सरकार के वित्तीय संकट को पूरा करने के लिए जरूरी था, लेकिन इससे पर्यावरणीय जागरूकता को नुकसान हो सकता है।