एक्सरसाइज की आड़ में जिस्म दिखा रहीं महिलाएं- मौलवी के बेतुके बोल

मौलवी एपी अबूबकर ने 'एमईसी 7' कसरत पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि इससे महिलाओं का शील भंग हो रहा है और यह इस्लामी शिक्षाओं के खिलाफ है। जो समाज और धार्मिक मूल्यों को नुकसान पहुंचा रहा है।

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Sandeep Kumar
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एक प्रमुख मौलवी एपी अबूबकर मुसलियार ने राज्य में चल रही 'मल्टी-एक्सरसाइज कॉम्बिनेशन 7' (एमईसी 7) कसरत पर गंभीर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि सार्वजनिक स्थानों पर पुरुषों और महिलाओं का एक साथ कसरत करना इस्लामी शिक्षाओं के खिलाफ है और इससे महिलाओं का शील भंग हो रहा है। उनका आरोप है कि इस प्रकार की कसरत महिलाओं को 'हराम' के रास्ते पर ले जा रही है, जो इस्लामी मूल्यों के विपरीत है। दरअसल ये पूरा विवादित बयान केरल के मौलवी ने दिया है।

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महिलाओं का शील भंग होने का आरोप

मौलवी अबूबकर ने कहा कि कसरत के नाम पर महिलाओं को पुरुषों के सामने अपना शरीर दिखाना इस्लाम के खिलाफ है। उनका कहना था कि इस प्रकार के कार्यक्रमों के द्वारा महिलाओं के शील और सम्मान को नुकसान पहुँच रहा है, जो समाज के लिए खतरे की घंटी है।

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इस्लामिक कानूनों के उल्लंघन का आरोप

अबूबकर ने कहा कि अतीत में महिलाएं इस्लामी कानूनों का पालन करती थीं, जिसमें पुरुषों से मिलने और बातचीत करने के लिए खास शर्तें थीं। अब इस प्रकार की प्रथाएं समाप्त हो रही हैं और इससे समाज में नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

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सामाजिक और धार्मिक मूल्यों का नुकसान

मौलवी ने कहा कि 'एमईसी 7' जैसे कसरत कार्यक्रमों के माध्यम से पुरुषों और महिलाओं को बिना किसी पाबंदी के एक साथ देखा जा रहा है, जो इस्लामी शिक्षाओं और सामाजिक मूल्यों के खिलाफ है। उन्होंने चेतावनी दी कि यह कार्यक्रम समाज में धार्मिक और नैतिक मूल्यों का क्षरण कर रहे हैं।

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मुशवारा का विरोध

अबूबकर के बयान का समर्थन करते हुए समस्त मुशावरा कांतपुरम गुट ने भी इस प्रकार के कार्यक्रमों को अस्वीकार्य बताया था। मुशवारा ने कहा कि महिलाओं का पुरुषों के सामने कसरत करना इस्लाम के नियमों के खिलाफ है और इसे रोकने की आवश्यकता है।

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