1882 के महाकुंभ में खर्च हुए थे 20 हजार 228 रुपए

प्रयागराज महाकुंभ के शुरू होने कुछ ही दिन शेष रह गए है। सबसे बड़े आध्यात्मिक और धार्मिक आयोजन को लेकर तैयारी में जोरों शोरों की गई है। इस महाकुंभ से उत्तर प्रदेश को दो लाख करोड़ रुपए तक की आर्थिक लाभ मिलने का अनुमान है।

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Vikram Jain
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prayagraj kumbh mela Budget 2025

prayagraj kumbh mela Budget 2025। Photograph: (the sootr)

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Maha Kumbh 2025: 13 जनवरी 2025 से शुरू हो रहे प्रयागराज महाकुंभ के लिए पूरी संगम नगरी सज चुकी है। महाकुंभ के आयोजन को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ने जोरदार तैयारी की है। 142 साल पहले साल यानी 1882 में सिर्फ 20 हजार रुपए में महाकुंभ का आयोजन हुआ था। अब 142 सालों में महाकुंभ के आयोजन और बजट में बड़ा अंतर आया है। महाकुंभ 2025  का अनुमानित बजट 6 हजार 382 करोड़ रुपए है। इस महाकुंभ में करीब 45 करोड़ श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है, जिससे यह दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समागम बन जाएगा। इस मेले से उत्तर प्रदेश में दो लाख करोड़ रुपए तक की आर्थिक वृद्धि की उम्मीद जताई जा रही है। इस आयोजन के लिए सरकार ने भारी निवेश किया है, और घाटों से लेकर यातायात तक की व्यवस्था सुधार के लिए कई कदम उठाए गए हैं।

धार्मिक और आर्थिक दृष्टिकोण से बड़ा आयोजन

यह महाकुंभ धार्मिक और अध्यात्म के साथ ही आर्थिक दृष्टिकोण के भी बहुत खास है। रिपोर्ट के मुताबिक महाकुंभ 2025 के विशाल आयोजन का अनुमानित बजट 6 हजार 382 करोड़ रुपए है, जिसमें से 5 हजार 600 करोड़ रुपए पहले ही आवंटित हो चुका है। यह बजट इवेंट मैनेजमेंट और इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयारी में खर्च किया गया है।

45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद

इसस पहले साल 2019 के महाकुंभ के आयोजन में सरकार ने 3 हजार 700 करोड़ रुपए खर्च किए थे। इस आयोजन ने आर्थिक विकास में 1.2 लाख करोड़ रुपए का योगदान दिया था। यूपी की योगी सरकार के आर्थिक सलाहकार केवी राजू ने दावा किया है कि इस भव्य महाकुंभ में 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। इतनी बड़ी श्रद्धालुओं के आने से उत्तर प्रदेश की आर्थिक विकास में दो लाख करोड़ रुपए तक की वृद्धि होने का अनुमान है। इस आयोजन से प्रदेश की आर्थिक स्थिति में महत्वपूर्ण बदलाव आने की उम्मीद है।

1882 में खर्च हुए थे 20 हजार 228 रुपए

रिपोर्ट के मुताबिक साल 1882 में आयोजित महाकुंभ में 20 हजार 228 रुपए खर्च हुए थे। इस महाकुंभ से तत्कालीन सरकार को 49 हजार 840 रुपए का टैक्स मिला था। इस महाकुंभ से 29 हजार 612 रुपए का आर्थिक लाभ हुआ था। इसके बाद श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ और महंगाई के साथ-साथ महाकुंभ का बजट भी बढ़ता चला गया।

90 हजार रुपए में हुआ 1906 का कुंभ

1906 के कुंभ में 90 हजार रुपए (वर्तमान में 13.5 करोड़ रुपए) खर्च हुए थे। इस कुंभ में करीब 25 लाख लोग शामिल हुए थे। इस दौरान देश की आबादी 24 करोड़ थी। इसके बाद महाकुंभ 1918 में 30 लाख लोग शामिल हुए। उस समय की देश की आबादी 25 करोड़ 20 लाख थी। इस समय प्रशासन ने आयोजन के लिए 1 लाख 37 लाख रुपए (आज 16.44 करोड़ रुपए) आवंटित किए थे। दस्तावेजों में ब्रिटिश सरकार के द्वारा किए गए प्रबंधों का पूरा ब्यौरा दिया गया है।

महाकुंभ की तैयारियां जोरों पर

अधिकारियों ने बताया के महाकुंभ को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। श्रद्धालुओं की सुविधाओं में व्यापक विस्तार किया गया। श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो इसका ध्यान रखा गया है। इसके लिए सरकार और प्रशासन ने मिलकर कई टीमें तैयार की है। संगम के 12 किलोमीटर क्षेत्र में स्नान घाट तैयार किए जा रहे हैं। स्वच्छता और सुरक्षा को लेकर तैयारी जारी है।

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महाकुंभ के घाटों की नई सूरत

लगभग 4,000 हेक्टेयर में फैले इस महाकुंभ में कई विशेष तैयारियां की गई हैं। महाकुंभ के लिए खास तौर पर 12 किलोमीटर के क्षेत्र में घाटों का निर्माण किया गया है, जिसमें प्रमुख घाटों को नए सिरे से विकसित किया गया है। इन घाटों पर विभिन्न प्रतीक चिह्न (डमरु, त्रिशूल आदि) लगाए जा रहे हैं, ताकि श्रद्धालुओं को घाटों की पहचान में आसानी हो। प्रशासन के अधिकारियों के अनुसार गंगा नदी के तट पर काली घाट, छतनाग घाट और यमुना नदी के तट पर मोरी घाट और महेवा घाट बनाया गया है।

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यातायात व्यवस्था और डिजिटल प्लेटफॉर्म

महाकुंभ के दौरान यातायात व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए प्रशासन ने डिजिटल प्लेटफॉर्म का सहारा लिया है। इसके जरिए श्रद्धालुओं को सुविधा और सुरक्षा प्रदान की जाएगी, ताकि उन्हें किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।

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अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

महाकुंभ के आयोजन से उत्तर प्रदेश में दो लाख करोड़ रुपये तक की आर्थिक वृद्धि होने का अनुमान है। महाकुंभ 2019 के आयोजन से भी राज्य को 3,700 करोड़ रुपये का खर्च आया था, लेकिन 2025 के महाकुंभ से इससे भी अधिक आर्थिक लाभ मिलने की उम्मीद है।

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