राहुल गांधी की नागरिकता पर विवाद : लखनऊ हाईकोर्ट ने केंद्र से 10 दिन में मांगा जवाब

लखनऊ हाईकोर्ट ने राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर केंद्र सरकार से 10 दिनों में जवाब मांगा। केंद्र को स्पष्ट जवाब देने का निर्देश, अगली सुनवाई 5 मई को।

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Jitendra Shrivastava
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THE SOOTR

RAHUL GANDHI Photograph: (THE SOOTR)

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर एक बार फिर विवाद उठ खड़ा हुआ है। भाजपा नेता विग्नेश शिशिर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दायर कर राहुल गांधी की नागरिकता को चुनौती दी है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है और इसलिए वह भारतीय नागरिक नहीं हैं, जिससे उनकी लोकसभा सदस्यता को रद्द किया जाना चाहिए। 
इस मामले में अब तक कई बार सुनवाई हो चुकी है और कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। इस याचिका में राहुल गांधी पर ब्रिटिश नागरिकता छिपाने का आरोप लगाया गया है, और इसे भारतीय नागरिकता कानून 1955 की धारा 9(2) का उल्लंघन मानते हुए उनकी नागरिकता रद्द करने की मांग की गई है।

लखनऊ हाईकोर्ट ने केंद्र से 10 दिन में मांगा जवाब

लखनऊ हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या राहुल गांधी ब्रिटिश नागरिक हैं या नहीं? कोर्ट ने यह सवाल उठाया और केंद्र सरकार से 10 दिनों के अंदर इसका स्पष्ट जवाब मांगा। कोर्ट का कहना था कि यह मामला राष्ट्रीय महत्व का है और इसमें कोई देरी नहीं होनी चाहिए। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार को इस मामले पर जल्द से जल्द कार्रवाई करनी चाहिए और अगर सरकार को जवाब देने में कोई कठिनाई हो, तो अतिरिक्त समय नहीं मिलेगा।

कोर्ट की यह टिप्पणी मामले के गंभीरता को दर्शाती है, क्योंकि नागरिकता के इस विवाद में कई कानूनी और राजनीतिक पहलू जुड़े हुए हैं। इसके अलावा, यह मामला संसद और भारतीय राजनीति के सबसे बड़े नेताओं में से एक राहुल गांधी के लिए एक नई चुनौती बन सकता है।

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भाजपा नेता विग्नेश शिशिर का आरोप

विग्नेश शिशिर ने अपनी याचिका में दावा किया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता होने के पुख्ता प्रमाण हैं। उनका कहना है कि ब्रिटेन की सरकार से प्राप्त गोपनीय दस्तावेजों और ईमेल्स के आधार पर राहुल गांधी के ब्रिटिश नागरिक होने का आरोप लगाया गया है। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता को छिपाने के कारण रायबरेली लोकसभा सीट से उनका चुनाव रद्द किया जाए, क्योंकि एक ब्रिटिश नागरिक भारतीय चुनाव में भाग नहीं ले सकता।

याचिकाकर्ता ने अदालत से यह भी अनुरोध किया कि वह इस मामले को गंभीरता से लेकर सुनवाई करें और राहुल गांधी की सदस्यता को रद्द करने के लिए कदम उठाए। विग्नेश शिशिर का दावा है कि उनके पास ब्रिटिश सरकार के दस्तावेज हैं जो राहुल गांधी की नागरिकता के बारे में स्पष्ट संकेत देते हैं, और उन्होंने इन दस्तावेजों को हाईकोर्ट में प्रस्तुत किया है।

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गृह मंत्रालय का ब्रिटेन सरकार से संपर्क

इस मामले में गृह मंत्रालय ने भी अपना पक्ष रखा है। मंत्रालय ने ब्रिटेन सरकार से पत्राचार किया है और उनसे राहुल गांधी की नागरिकता के बारे में जानकारी मांगी है। हालांकि, अभी तक ब्रिटेन सरकार से कोई जवाब नहीं आया है। गृह मंत्रालय ने अदालत से और समय मांगा है ताकि वह ब्रिटेन से आवश्यक दस्तावेज प्राप्त कर सके और इस मामले में आगे की कार्रवाई की जा सके।

वहीं, कुछ गोपनीय साक्ष्य भी केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंपे गए हैं, जो राहुल गांधी की नागरिकता पर सवाल उठाते हैं। इन साक्ष्यों को लेकर जांच का दायरा बढ़ाया जा सकता है, और यदि यह सबूत सही साबित होते हैं, तो यह मामला और जटिल हो सकता है।

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राहुल गांधी का पक्ष और प्रतिक्रिया

राहुल गांधी की ओर से इस मामले में कोई वकील पेश नहीं हुआ था, और राहुल की ओर से अब तक कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, यह संभावना जताई जा रही है कि राहुल गांधी इस मामले को कानूनी तरीके से लड़ने के लिए अदालत में अपना पक्ष प्रस्तुत करेंगे। 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस प्रकार की याचिका को खारिज कर दिया था, जब आरोप लगाया गया था कि राहुल गांधी ब्रिटिश नागरिक हैं। 
राहुल गांधी के पक्ष में यह तर्क दिया जा सकता है कि उनका नाम कभी ब्रिटिश नागरिकता के दस्तावेजों में नहीं आया है और उन्हें ब्रिटिश नागरिकता नहीं मिली है। इसके अलावा, उनका यह भी कहना हो सकता है कि यदि किसी फॉर्म में उनका नाम ब्रिटिश नागरिक के रूप में लिखा गया है, तो यह महज एक गलती हो सकती है।

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राहुल गांधी के राजनीतिक भविष्य के लिए चुनौती

अगर अदालत में यह साबित होता है कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है, तो भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 के तहत कार्रवाई की जा सकती है। इसके तहत राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द की जा सकती है और उन्हें चुनाव लड़ने से अयोग्य ठहराया जा सकता है। इसके अलावा, इस मामले से जुड़ी कानूनी कार्रवाई में उन्हें जुर्माना या सजा भी हो सकती है।

यदि अदालत ने उनके खिलाफ फैसला सुनाया और उनकी नागरिकता रद्द कर दी, तो राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता भी समाप्त हो सकती है। इस प्रकार, यह मामला राहुल गांधी के राजनीतिक भविष्य के लिए भी एक बड़ी चुनौती बन सकता है।

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