महाराष्ट्र में GBS का कहर, 207 संक्रमित, 9 की मौत, जानें इसके लक्षण और इलाज

महाराष्ट्र में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। अब तक 207 लोग संक्रमित हो चुके हैं और 9 की मौत हो चुकी है। इस बीमारी से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र पुणे और पिंपरी चिंचवड़ हैं।  

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Jitendra Shrivastava
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guillain-barre-syndrome-cases-rise Photograph: (thesootr)

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महाराष्ट्र में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) तेजी से फैल रहा है। अब तक 207 मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें 9 लोगों की मौत हो गई है। शुक्रवार को दो नए मरीजों की पुष्टि हुई। GBS एक दुर्लभ लेकिन गंभीर न्यूरोलॉजिकल बीमारी है, जो शरीर के तंत्रिका तंत्र पर असर डालती है और लकवे जैसी स्थिति पैदा कर सकती है। राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग इस बीमारी की रोकथाम और इलाज को लेकर सतर्क हो गए हैं।  

महिला को लकवा होने के बाद मौत

महाराष्ट्र में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के मामले बढ़ते जा रहे हैं। शुक्रवार को दो और नए मामले सामने आने के बाद कुल संक्रमितों की संख्या 207 हो गई है। अब तक इस बीमारी से 9 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें से 4 की मौत GBS से और अन्य की संदिग्ध मरीज के तौर पर हुई है।  स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, 13 फरवरी को कोल्हापुर की एक 60 वर्षीय महिला की इस बीमारी से मृत्यु हो गई। महिला के शरीर के निचले हिस्से में लकवा हो गया था। उन्हें पहले चांगिड के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था और बाद में कर्नाटक ले जाया गया। 11 फरवरी को उन्हें कोल्हापुर वापस लाया गया, लेकिन दो दिन बाद उनकी मृत्यु हो गई।

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गुइलेन-बैरे सिंड्रोम क्या है? 

GBS एक दुर्लभ लेकिन गंभीर न्यूरोलॉजिकल बीमारी है, जो शरीर के पेरीफेरल नर्वस सिस्टम को प्रभावित करती है। इसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से तंत्रिकाओं पर हमला करने लगती है, जिससे मांसपेशियों में कमजोरी, झुनझुनी और लकवे जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है। अगर समय पर इलाज न मिले तो यह बीमारी घातक साबित हो सकती है।  

GBS के लक्षण... 

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम की शुरुआत आमतौर पर हाथों और पैरों में झुनझुनी और कमजोरी से होती है। यह तेजी से पूरे शरीर में फैल सकता है और व्यक्ति को लकवा तक हो सकता है। इसके प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं:  

  • हाथों, पैरों, टखनों या कलाई में झुनझुनी  

  • पैरों में कमजोरी और संतुलन की समस्या  

  • चलने या सीढ़ियां चढ़ने में कठिनाई  

  • बोलने, चबाने या निगलने में परेशानी  

  • आंखों की डबल विजन या आंखों को हिलाने में दिक्कत  

  • तेज मांसपेशियों में दर्द  

  • पेशाब और मल त्याग में समस्या  

  • सांस लेने में कठिनाई  

GBS से सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र

GBS के सबसे अधिक मामले पुणे और पिंपरी चिंचवड़ से सामने आए हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीम इन इलाकों में सतर्कता बरत रही है और अस्पतालों को भी हाई अलर्ट पर रखा गया है।  

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GBS का इलाज और बचाव: GBS का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन जल्दी इलाज मिलने से मरीज पूरी तरह ठीक हो सकता है।  

  • इम्यूनोग्लोबुलिन थेरेपी (Intravenous Immunoglobulin Therapy)  
  • प्लाज्मा एक्सचेंज थेरेपी (Plasmapheresis)  
  • फिजियोथेरेपी और रिहैबिलिटेशन  

सरकार की तैयारियां

महाराष्ट्र सरकार इस बीमारी की रोकथाम के लिए पूरी तरह सतर्क हो गई है। स्वास्थ्य विभाग ने अस्पतालों को हाई अलर्ट पर रखा है और मरीजों की जल्द पहचान और इलाज के निर्देश दिए हैं।  

FAQ- खबर से संबंधित प्रश्न

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) क्या है?
GBS एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल बीमारी है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से तंत्रिकाओं पर हमला करती है, जिससे मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और लकवा हो सकता है।
GBS का इलाज संभव है?
हां, अगर समय पर इलाज मिले तो मरीज पूरी तरह ठीक हो सकता है। इम्यूनोग्लोबुलिन थेरेपी और प्लाज्मा एक्सचेंज थेरेपी इसका मुख्य उपचार है।
GBS से बचाव के लिए क्या करना चाहिए?
किसी भी असामान्य न्यूरोलॉजिकल लक्षण जैसे झुनझुनी, कमजोरी या सांस लेने में दिक्कत महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

 

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