BHOPAL. चुनाव ( Election ) चाहे वो पंचायत से लेकर लोकसभा ( Lok Sabha ) का हो, प्रत्याशी जीतने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा देते हैं। लाखों-करोड़ों रुपया पानी की तरह बहा दिया जाता है, फिर भी कुछ लोग चुनाव नहीं जीत पाते हैं। हर किसी की किस्मत सूरत के मुकेश कुमार दलाल जैसी नहीं होती कि पर्चा भरा नहीं और बिना लड़े ही चुनाव जीत गए। सूरत लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी मुकेश कुमार दलाल ( Mukesh Kumar Dalal ) के सामने चुनौती दे रहे तमाम प्रत्याशियों ने अपना नाम वापस ले लिया। इससे मुकेश कुमार निर्विरोध चुनाव जीत गए हैं।
बीजेपी के पहले उम्मीदवार बने मुकेश
बीजेपी के मुकेश दलाल पिछले 12 साल में निर्विरोध लोकसभा चुनाव जीतने वाले पहले उम्मीदवार बन गए हैं। वह शायद बीजेपी के पहले उम्मीदवार हैं जिन्होंने संसदीय चुनाव में निर्विरोध जीत हासिल की है। सात चरणों में चल रहे लोकसभा चुनाव में यह भारतीय जनता पार्टी की पहली जीत है। कांग्रेस ने नीलेश कुंभानी को सूरत लोकसभा सीट से अपना प्रत्याशी बनाया था। उनकी उम्मीदवारी एक दिन पहले खारिज कर दी गई थी, क्योंकि जिला रिटर्निंग अधिकारी ने प्रथम दृष्टया प्रस्तावकों के हस्ताक्षर में विसंगतियां पाई थीं।
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सभी उम्मीदवारों ने नाम वापस लिया
सूरत लोकसभा सीट पर अन्य सभी उम्मीदवारों ने सोमवार को अपना नामांकन वापस ले लिया, जिस कारण बीजेपी प्रत्याशी मुकेश दलाल निर्विरोध विजेता माना गया। हाल ही में अरुणाचल प्रदेश में हुए विधानसभा चुनावों में 10 भाजपा उम्मीदवार निर्विरोध जीते थे। 1951 में हुए पहले लोकसभा चुनाव से लेकर अब तक मुकेश दलाल सहित 35 उम्मीदवार ऐसे रहे हैं जिन्होंने बिना किसी चुनावी लड़ाई के संसदीय चुनाव जीते हैं। समाजवादी पार्टी की डिंपल यादव ने 2012 में कन्नौज लोकसभा उपचुनाव निर्विरोध जीता था।
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राहुल गांधी ने साधा बीजेपी पर निशाना
मुकेश दलाल के निर्विरोध सांसद चुने जाने पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बीजेपी पर लोकतंत्र को खतरे में डालने का आरोप लगाया। उन्होंने अपने X ( पूर्व में ट्विटर ) हैंडल से किए एक पोस्ट में लिखा, 'तानाशाह की असली सूरत एक बार फिर देश के सामने है। जनता से अपना नेता चुनने का अधिकार छीन लेना बाबा साहेब अंबेडकर के संविधान को खत्म करने की तरफ बढ़ाया एक और कदम है। मैं एक बार फिर कह रहा हूं- यह सिर्फ सरकार बनाने का चुनाव नहीं है, यह देश को बचाने का चुनाव है, संविधान की रक्षा का चुनाव है।
तानाशाह की असली 'सूरत’ एक बार फिर देश के सामने है!
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) April 22, 2024
जनता से अपना नेता चुनने का अधिकार छीन लेना बाबा साहेब अंबेडकर के संविधान को खत्म करने की तरफ बढ़ाया एक और कदम है।
मैं एक बार फिर कह रहा हूं - यह सिर्फ सरकार बनाने का चुनाव नहीं है, यह देश को बचाने का चुनाव है, संविधान की…
खजुराहो सीट भी है चर्चा पर
मध्य प्रदेश की हॉट सीटों में शामिल खजुराहो सुर्खियों में आ गई है। खजुराहो लोकसभा सीट से 'इंडिया' गठबंधन की उम्मीदवार मीरा यादव का नामांकन खारिज हो गया है। मीरा यादव, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के खिलाफ चुनाव लड़ रही थीं। मीरा यादव का नामांकन खारिज होने के बाद अब यहां से वीडी शर्मा को वॉक ओवर मिल गया है। वीडी शर्मा से पहले मध्य प्रदेश में 2009 में भी एक ऐसी ही घटना विदिशा लोकसभा सीट में हुई थी। तब कांग्रेस उम्मीदवार का नामांकन फॉर्म रिजेक्ट हुआ था।
सुषमा स्वराज चुनी गईं थीं निर्विरोध
कांग्रेस ने यहां से सुषमा स्वराज के खिलाफ बुदनी से पूर्व विधायक और दिग्विजय सिंह की कैबिनेट में मंत्री रहे दिग्गज नेता राजकुमार पटेल को उम्मीदवार बनाया था। राजकुमार पटेल नामांकन के साथ आवश्यक बी-फॉर्म जमा नहीं जमा किया था। जिस कारण से उनका नामांकन फॉर्म निरस्त हो गया था। कांग्रेस उम्मीदवार का नामांकन खारिज होने के बाद सुषमा स्वराज के खिलाफ विपक्ष को कोई मजबूत उम्मीदवार नहीं मिला था जिस कारण से उन्हें वॉक ओवर मिल गया था। हालांकि कांग्रेस ने तब राज्य में अच्छा प्रदर्शन किया था। मध्य प्रदेश की 29 में से 12 सीटों पर कांग्रेस को जीत हासिल हुई थी। विदिशा सीट पर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था। इस सीट पर कुल वोटिंग के 79 फीसदी वोट सुषमा स्वराज के पक्ष में पड़े थे। करीब चार लाख वोट से सुषमा स्वराज ने जीत हासिल की थी।
निर्विरोध चुनाव जीतने वालों में कांग्रेसी सबसे ज्यादा
यह सीट उनके पति अखिलेश यादव के उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद खाली हुई थी। संसदीय चुनाव में निर्विरोध जीत हासिल करने वाले अन्य प्रमुख नेताओं में वाईबी चव्हाण, फारूक अब्दुल्ला, हरे कृष्ण महताब, टीटी कृष्णामाचारी, पीएम सईद और एससी जमीर शामिल हैं। जो उम्मीदवार बिना किसी मुकाबले के लोकसभा में पहुंचे हैं, उनमें से सबसे ज्यादा कांग्रेस से हैं। सिक्किम और श्रीनगर निर्वाचन क्षेत्रों में दो बार ऐसे निर्विरोध चुनाव हुए हैं।
सबसे अधिक पेमा खांडू तीन बार निर्विरोध जीते
निर्वाचन आयोग ने जब 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों की घोषणा की थी, तो उसके दो हफ्ते बाद ही अरुणाचल प्रदेश विधानसभा के लिए 10 भाजपा उम्मीदवार चुनावों से पहले ही निर्विरोध चुन लिए गए। इनमें मुख्यमंत्री पेमा खांडू भी शामिल थे। इससे पहले खांडू 2014 के अरुणाचल प्रदेश विधान सभा चुनाव में भी निर्विरोध चुने गए थे। जून 2011 में भी पेमा खांडू ने कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में मुक्तो विधानसभा क्षेत्र से निर्विरोध उपचुनाव जीता था।
डिंपल यादव भी कन्नौज से निर्विरोध जीतीं
2012 में उत्तर प्रदेश की कन्नौज लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव निर्विरोध सांसद निर्वाचित हुई थीं। अखिलेख यादव के इस्तीफे के बाद खाली हुई इस सीट पर हुए उपचुनाव में डिंपल यादव के सामने किसी ने चुनाव नहीं लड़ा था। बीएसपी और कांग्रेस ने कोई प्रत्याशी खड़ा नहीं किया था। बीजेपी उम्मीदवार समय पर पर्चा दाखिल नहीं कर पाया और दो निर्दलीय उम्मीदवारों ने अपने नाम वापस ले लिए थे।
अब तक 28 सांसद निर्विरोध चुने गए
1952 के पहले लोकसभा चुनाव से लेकर अबतक 28 सांसद और 298 विधायक चुनाव लड़े बिना ही संसद या विधानसभा पहुंच चुके हैं। नागालैंड विधानसभा इस मामले में सबसे आगे है। यहां 77 विधायक निर्विरोध चुने जा चुके हैं। नागालैंड के जम्मू-कश्मीर में 63 और अरुणाचल प्रदेश में 40 विधायक निर्विरोध चुनाव जीतकर सदन में पहुंच चुके हैं। 1962 में हुए विधानसभा चुनावों में आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और जम्मू-कश्मीर से 47 विधायक बिना संघर्ष के ही नेता चुने लिए गए। इसके बाद 1998 में 45 और 1967 तथा 1972 में 33-33 विधायक चुने गए थे।