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Photograph: (THESOOTR)
KOLKATA. के मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा में शनिवार को एक ऐतिहासिक घटना घटी, जब TMC से निलंबित विधायक हुमायूं कबीर ने बाबरी मस्जिद की तर्ज पर मस्जिद की नींव रखी।
कार्यक्रम के दौरान, 2 लाख से ज्यादा लोग जुटे, जिन्होंने ढोल-नगाड़ों के साथ इस पल का जश्न मनाया। यह घटना राजनीतिक रूप से संवेदनशील थी, क्योंकि यह बाबरी मस्जिद विध्वंस के 33 साल बाद हुई। सुरक्षा के कड़े इंतजामों के बीच यह कार्यक्रम हुआ, और हाईकोर्ट ने भी इसके आयोजन को मंजूरी दी थी।
बेलडांगा में मस्जिद की नींव का ऐतिहासिक दिन
पश्चिम बंगाल के बेलडांगा में शनिवार को एक ऐतिहासिक दिन देखा गया, जब निलंबित TMC विधायक हुमायूं कबीर ने मस्जिद की नींव रखी। इस मस्जिद का निर्माण अयोध्या की बाबरी मस्जिद की तर्ज पर किया जाएगा। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच, यह कार्यक्रम एक बड़े उत्सव का रूप धारण कर गया था। स्थानीय और आसपास के क्षेत्रों से लाखों लोग ईंट लेकर पहुंचे और इस आयोजन का हिस्सा बने।
सुरक्षा व्यवस्था और राजनीतिक विवाद
मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद को कार्यक्रम को लेकर बेलडांगा और आसपास के क्षेत्रों में हाई अलर्ट पर सुरक्षा बल तैनात किए गए थे। लगभग 3,000 जवानों ने सुरक्षा व्यवस्था संभाली, जिसमें बीएसएफ, रैपिड एक्शन फोर्स, और स्थानीय पुलिस शामिल थे। इसके बावजूद, भाजपा ने इस कार्यक्रम को मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति करार दिया और कहा कि यह राज्य की एकता के लिए खतरा हो सकता है।
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TMC और भाजपा के बीच राजनीतिक मतभेद
भाजपा नेता दिलीप घोष ने इस मस्जिद के शिलान्यास पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह मुस्लिम वोट बैंक खींचने के लिए किया जा रहा है। वहीं, सीनियर भाजपा नेता अमित मालवीय ने ममता बनर्जी पर आरोप लगाया कि वह मुस्लिम भावनाओं का ध्रुवीकरण करने के लिए हुमायूं कबीर का इस्तेमाल कर रही हैं।
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हुमायूं कबीर का बयान पर TMC का बयान
हुमायूं कबीर ने कार्यक्रम से पहले कहा था कि कुछ लोग हिंसा भड़काकर इसे बाधित करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वह मस्जिद की नींव रखकर रहेंगे। TMC ने हालांकि कबीर को पार्टी से सस्पेंड कर दिया था और इस विवाद से खुद को अलग कर लिया था। पार्टी ने कहा कि कबीर की यह घोषणा पार्टी की नीति के खिलाफ है।
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कोलकाता हाईकोर्ट ने दी थी कार्यक्रम की अनुमति
कोलकाता हाईकोर्ट ने शुक्रवार को मस्जिद निर्माण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था और राज्य सरकार को आदेश दिया कि वे शांति बनाए रखें। कोर्ट के आदेश के बाद हुमायूं कबीर ने शिलान्यास कार्यक्रम को सफलतापूर्वक संपन्न कराया। यह घटना बाबरी मस्जिद के विध्वंस के 33 साल बाद हुई।
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बाबरी मस्जिद विवाद की टाइमलाइन
बाबरी मस्जिद विवाद भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम रहा है। 1992 में बाबरी मस्जिद को ढहा दिया गया था। इसके बाद से यह विवाद लंबे समय तक अदालतों में चल रहा था, जिसमें 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि के पक्ष में फैसला दिया।
राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
इस कार्यक्रम का असर केवल पश्चिम बंगाल में नहीं, बल्कि पूरे देश में महसूस किया गया है। यह घटना न केवल धार्मिक बल्कि राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे समाज में विभाजन हो सकता है। कुछ लोग इसे समाज में एकता की दिशा में कदम मानते हैं, जबकि अन्य इसे समाज को बांटने की कोशिश के रूप में देखते हैं।
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