राइट टू डिस्कनेक्ट बिल संसद में पेश, पास हुआ तो कर्मचारियों को मिलेंगी ये राहत

राइट टू डिस्कनेक्ट बिल 2025 कर्मचारियों को कॉल, ईमेल या डिजिटल संदेशों का जवाब देने से मुक्त करेगा। कंपनियों को इसका पालन न करने पर जुर्माना होगा। इसका उद्देश्य कर्मचारियों के वर्क-लाइफ बैलेंस को सुधारना है।

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Sandeep Kumar
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NEW DELHI. काम के घंटे खत्म होने के बाद कर्मचारी तनाव में रहते हैं। वे बॉस के कॉल या ईमेल को लेकर चिंता करते हैं। राइट टू डिस्कनेक्ट बिल 2025 इसी तनाव को देखते हुए पेश किया गया है। अगर यह बिल पास हो गया तो कर्मचारियों को ऑफिस टाइम के बाद काम से संबंधित सवालों का जवाब देने से रोका जा सकेगा।

उन्हें कॉल, ईमेल या अन्य डिजिटल माध्यम से काम के सवालों का जवाब देने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा। सांसद सुप्रिया सुले ने लोकसभा में निजी सदस्य विधेयक पेश किया। इसका उद्देश्य भारत में कर्मचारियों के वर्क-लाइफ बैलेंस को बेहतर बनाना है।

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डिजिटल वर्क कल्चर से तनाव कम करना

विधेयक में प्रस्ताव है कि कर्मचारियों को डिजिटल संदेशों से छुट्टी लेने का अधिकार मिले। अगर कोई कंपनी इसका पालन नहीं करती, तो उसे जुर्माना देना होगा। जुर्माना कर्मचारियों के वेतन का 1% होगा। सुप्रिया सुले ने कहा कि इसका उद्देश्य डिजिटल वर्क कल्चर से तनाव कम करना है। इससे कर्मचारी अपने निजी जीवन और काम में संतुलन बना सकेंगे।

विधेयक में कहा गया है कि ऑफिस से काम के कॉल, ईमेल या मैसेज का दबाव होता है। इससे नींद की कमी, मानसिक तनाव और थकान बढ़ रही है। लगातार ऑनलाइन रहने की आदत मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाती है। कई बार वर्क-लाइफ बैलेंस बिगड़ जाता है।

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सुले ने अन्य विधेयक पेश किए

राइट टू डिस्कनेक्ट बिल के अलावा, सुले ने अन्य विधेयक पेश किए। उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर पोस्ट किया। सुले ने पितृत्व और पितृत्व लाभ विधेयक, 2025 पेश किया। इस विधेयक में पिता को बच्चों के विकास के लिए अवकाश का प्रस्ताव है। उन्होंने सामाजिक सुरक्षा (संशोधन) विधेयक, 2025 भी पेश किया। इसमें गिग वर्कर्स को न्यूनतम वेतन, सुरक्षा और उचित कार्य शर्तें सुनिश्चित करने का प्रस्ताव है।

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डिजिटल टेक्नोलॉजी फ्लेक्सिबिलिटी देती: सूले

सांसद ने एक्स पर लिखा कि इसका मकसद बर्नआउट कम करना है। यह बेहतर क्वालिटी ऑफ लाइफ और हेल्दी वर्क-लाइफ बैलेंस को बढ़ावा देगा। इस कानून में कर्मचारियों को वर्किंग आवर्स के बाद कॉल और ईमेल को मना करने का अधिकार मिलेगा। सुले ने प्राइवेट बिल में कहा कि डिजिटल टेक्नोलॉजी (digital technology) फ्लेक्सिबिलिटी देती है, लेकिन यह पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ की लाइन को धुंधला करती है।

क्या है राइट टू डिस्कनेक्ट बिल में ?

बिल में प्रावधान है कि नॉन-कम्प्लायंस पर कंपनियों को जुर्माना लगे। जुर्माना एम्प्लॉयज की कुल सैलरी का 1% होगा। यह बिल कर्मचारियों को काम से जुड़े इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन से डिस्कनेक्ट होने का अधिकार देता है। कर्मचारी ऑफिस टाइम के बाद बॉस के फोन या ईमेल से मुक्त रहेंगे।

लोकसभा ईमेल सांसद सुप्रिया सुले digital technology राइट टू डिस्कनेक्ट बिल 2025
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