रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार देश के पीएम को तौर पर शपथ ली ( pm narendra modi oath )। उनके साथ 72 केंद्रीय मंत्रियों ने भी पद और गोपनीयता की शपथ ली।
यह मंत्रिमंडल भाजपा और एनडीए ने अपने नए और कोर वोटर वर्ग को ध्यान में रखते हुए बनाया है। मोदी मंत्रिमंडल में 27 ओबीसी, 2 ईबीसी, 28 सामान्य, 10 एससी और 5 एसटी मंत्री है। ईसाई समुदाय से भी एक मंत्री बनाया गया है। जानिए जातिगत आधार पर कैबिनेट बंटवारे के क्या मायने हैं-
कोर वोटर्स को खुश रखना चाहती है बीजेपी
सामान्य वर्ग बीजेपी का कोर वोटर माना जाता है। इस वर्ग से पार्टी ने 28 मंत्री बनाए हैं। इसमें भी सबसे ज्यादा 8 ब्राह्मण मंत्री है। तीन मंत्री राजपूत समाज के हैं। इसके अलावा, भूमिहार, यादव, जाट, मराठा, कुर्मी, सिख और वोक्कालिगा वर्ग से 2-2 मंत्री बनाए गए हैं।
पश्चिम बंगाल में प्रभावी मतुआ, अहीर, गुर्जर, बनिया और खटीक वर्ग से भी 1-1 नेता को मंत्रिमंडल में जगह मिली है। कर्नाटक में प्रभावशाली माने जाने वाले लिंगायत समाज, निषाद, महादलित वर्ग और लोधी जाति से भी 1-1 कैबिनेट मंत्री बने हैं।
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उत्तर प्रदेश से सबसे ज्यादा मंत्री
उत्तर प्रदेश में भाजपा का प्रदर्शन इस बार बिगड़ा है। इसके बावजूद सबसे बड़ा राज्य होने के नाते, सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश से कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं ( cabinet ministers from up )। यूपी से कुल 10 नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है। इसमें राजनाथ सिंह, पंकज चौधरी, जितिन प्रसाद, कमलेश पासवान, बीएल शर्मा, एसपी सिंह बघेल, कीर्तिवर्धन सिंह, आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी और अपना दल प्रमुख अनुप्रिया पटेल शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश के बाद बिहार से 8 मंत्री बनाए गए हैं ( cabinet ministers from bihar )। इसमें भाजपा के चार नेता- गिरिराज सिंह, नित्यानंद राय, सतीश चंद्र दुबे और राजभूषण चौधरी शामिल है। वहीं जेडीयू के नेताओं- ललन सिंह और भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर के बेटे रामनाथ ठाकुर को मंत्री बनाया गया है। इसके अलावा एलजेपी से चिराग पासवान और हम पार्टी से जीतन राम मांझी को भी मोदी कैबिनेट में जगह दी गई है।
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