वोट चोरी पर राहुल गांधी के आरोप को चुनाव आयोग ने बताया बेबुनियाद, बीजेपी ने भी उठाए सवाल

राहुल गांधी ने वोट चोरी और वोटरों के नाम हटाने का आरोप लगाया। चुनाव आयोग ने इन आरोपों को खारिज किया। जानिए इस विवाद के बारे में विस्तार से...

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Amresh Kushwaha
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लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने गुरुवार, 18 सितंबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर वोट चोरी के गंभीर आरोप लगाए। राहुल गांधी ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर वोट चोरों को बचाने का आरोप लगाया। साथ ही, कांग्रेस वोटरों के नाम भी डिलीट करने की बात कही। राहुल के इस आरोप के बाद चुनाव आयोग (Election Commission) ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और इसे बेबुनियाद करार दिया। वहीं राहुल गांधी के आरोपों के बाद बीजेपी नेता ने भी चुटकी ली और राहुल के आरोपों पर सवाल उठाए।

आयोग ने पोस्ट के जरिए कई बातें स्पष्ट की हैं -

आयोग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट शेयर करते हुए राहुल के आरोपों को झूठे और निराधार करार दिया।

  • कोई भी आम नागरिक ऑनलाइन वोट डिलीट नहीं कर सकता। राहुल गांधी ने इस मामले में गलत जानकारी दी।

  • वोट डिलीट करने से पहले संबंधित व्यक्ति को अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाता है।

  • 2023 में कर्नाटक के आलंद विधानसभा क्षेत्र में वोट डिलीट करने की एक असफल कोशिश हुई थी, जिसके बाद चुनाव आयोग ने स्वयं FIR दर्ज करवाई।

  • आलंद विधानसभा क्षेत्र में 2018 में बीजेपी के सुबध गुट्टेदार जीते थे, जबकि 2023 में कांग्रेस के बी.आर. पाटिल ने जीत हासिल की।

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बीजेपी नेता ने ली राहुल गांधी की चुटकी

राहुल गांधी के आरोपों के बाद बीजेपी नेता ने भी चुटकी ली। साथ ही, राहुल के आरोपों पर सवाल उठाए। बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा, राहुल गांधी को जब वोट नहीं मिलता तो वे आरोप लगाने लगते हैं। चुनाव आयोग ने साफ कर दिया है कि ऑनलाइन किसी का वोट डिलीट नहीं किया जा सकता। राहुल की निराशा और हताशा उनकी बातों में झलकती है। कांग्रेस पार्टी हमेशा चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था को बदनाम करने का काम करती है।

बीजेपी नेता ठाकुर ने आगे कहा, आलंद सीट से जुड़े मामले में चुनाव आयोग ने खुद एफआईआर दर्ज करवाई थी। कर्नाटक में इस पर सीआईडी ने जांच की। राहुल गांधी का आरोप सिर्फ एक फुलझड़ी की तरह था, जो हाइड्रोजन बम बनने का दावा करता है, लेकिन कोई बड़ा तथ्य सामने नहीं आया।

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राहुल गांधी के आरोप को आयोग ने बताया झूठा

  • राहुल गांधी ने 18 सितंबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव आयोग पर वोट चोरी के आरोप लगाए।

  • चुनाव आयोग ने तुरंत राहुल के आरोपों को झूठा और निराधार बताया और उसे खारिज कर दिया।

  • बीजेपी नेता ने राहुल के आरोपों पर सवाल उठाए, और इसे कांग्रेस की निराशा करार दिया।

  • राहुल गांधी ने कर्नाटक के आलंद में वोट चोरी का आरोप लगाया और मुख्य चुनाव आयुक्त से कार्रवाई की मांग की।

  • चुनाव आयोग ने स्पष्टीकरण दिया कि ऑनलाइन वोट डिलीट नहीं किया जा सकता और संबंधित व्यक्ति को पहले सुनवाई का अवसर मिलता है।

राहुल गांधी ने आयोग पर लगाए थे यह आरोप

पहला आरोप- वोट चोरों की रक्षा कर रहे ECI के चीफ

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, पिछली बार मैंने आपके सामने एडिशन की जानकारी दी थी, और आज डिलीशन की जानकारी दे रहा हूं। यह सब सेंट्रलीजेशन और कॉल सेंटर के इस्तेमाल से किया गया है। हम यह सब पुख्ता सबूतों के साथ सामने रख रहे हैं। चुनाव आयोग के चीफ ज्ञानेश कुमार वोट चोरों की रक्षा कर रहे हैं। इसके साफ सबूत हैं। इसमें कोई कन्फ्यूजन नहीं है।

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दूसरा आरोप- कर्नाटक के अलंद से 6018 वोट हटाए

लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा, कर्नाटक के अलंद निर्वाचन क्षेत्र में 6018 वोटों को हटाने का प्रयास किया गया था। हमें यह नहीं पता कि 2023 के चुनाव में अलंद में कुल कितने वोट हटाए गए, लेकिन यह संख्या 6018 से कहीं अधिक हो सकती है। हालांकि, उन 6018 वोटों को हटाते हुए एक व्यक्ति को पकड़ा गया, और यह एक संयोग था।

वहां के बूथ लेवल अधिकारी ने देखा कि उसके चाचा का वोट हटा दिया गया था। इस पर उसने यह जांच की कि उसके चाचा का वोट किसने हटाया, और उसने पाया कि यह काम एक पड़ोसी ने किया था। जब उसने पड़ोसी से पूछा, तो उन्होंने कहा कि उन्होंने कोई वोट नहीं हटाया था। न तो वोट हटाने वाले व्यक्ति को और न ही जिसे वोट से वंचित किया गया, उसे इस बात का पता था। इस प्रक्रिया को किसी अन्य ताकत ने हाईजैक कर लिया और वोट को हटा दिया।

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ECI के चीफ पर सीधे आरोप की वजह

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष Rahul Gandhi ने कहा, मैं ज्ञानेश कुमार पर सीधे आरोप क्यों लगा रहा हूं? कर्नाटक में इस मामले की जांच चल रही है। कर्नाटक CID ने पिछले 18 महीनों में चुनाव आयोग को 18 पत्र भेजे हैं, जिनमें कुछ बहुत ही बुनियादी तथ्यों की जानकारी मांगी गई है।

पहला, हमें उस डेस्टिनेशन IP का पता दीजिए, जिससे ये फॉर्म भरे गए।

दूसरा, हमें उन डिवाइस डेस्टिनेशन पोर्ट्स की जानकारी चाहिए, जिनसे ये आवेदन दाखिल किए गए।

तीसरा और सबसे जरूरी, OTP ट्रेल्स की जानकारी चाहिए, क्योंकि आवेदन दाखिल करने के लिए OTP की आवश्यकता होती है।

कर्नाटक CID ने 18 बार चुनाव आयोग से यह जानकारी मांगी, लेकिन ECI ने इसे नहीं दिया। ऐसा क्यों किया जा रहा है? क्योंकि इससे हमें यह पता चल जाएगा कि यह ऑपरेशन कहां से चल रहा है। हमें पूरा विश्वास है कि इससे हम उस जगह तक पहुंच जाएंगे।

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