NCERT ने ‘राम जन्मभूमि' से जुड़े कुछ विचारों में किया बदलाव

NCERT ने अयोध्या- बाबरी विवाद मसले ( Ayodhya-babri issue ) को लेकर 12वीं क्लास की राजनीति विज्ञान की पुस्तक में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। इसके तहत कुछ शब्दों और वाक्यों में बदलाव किए गए है। परिषद के अनुसार यह बदलाव पूर्व संस्करण से बेहतर (updated) हैं।

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Dr Rameshwar Dayal
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NEW DELHI: स्कूली पुस्तकों को तैयार करने वाले राष्ट्रीय शैक्षिक एवं अनुसंधान परिषद ( NCERT ) ने अयोध्या- बाबरी विवाद मसले ( Ayodhya-babri issue ) को लेकर 12वीं क्लास की राजनीति विज्ञान की पुस्तक में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। इसके तहत कुछ शब्दों और वाक्यों में बदलाव किए गए है। परिषद के अनुसार यह बदलाव पूर्व संस्करण से बेहतर (updated) हैं। परिषद ने इसके अलावा गुजरात दंगे ( gujarat riots ) से जुड़े कुछ विषयों में भी बदलाव किया है। बदली गई पुस्तकों का यह रूप इसी सत्र यानी 2024-25 से लागू कर दिया जाएगा। स्कूली शिक्षा को लेकर देश में NCERT का रोल बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि उसके पाठ्क्रम को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) से सम्बद्ध देश भर के 30 हजार से अधिक स्कूलों में लागू किया जाता है।

विवादित शब्दों व संदर्भों को हटाया गया

NCERT ने इस कन्टेंट को बदलने की जानकारी अपनी वेबसाइट ncert.nic.in पर दी है। परिषद के अनुसार कक्षा 12 के ‘भारतीय राजनीति: नए अध्याय’ विषय के आठवें अध्याय में वर्तमान भारतीय राजनीति के नए संदर्भों के तहत बाबरी मस्जिद के कुछ रेफरेंस हटाए गए हैं और राम जन्मभूमि के पुराने विवरण में संशोधन किए गए हैं। अध्याय के ‘अयोध्या विध्वंस’ के संदर्भ को हटाया है और ‘राजनीतिक लामबंदी की प्रकृति के लिए राम जन्मभूमि आंदोलन और अयोध्या विध्वंस की विरासत क्या है?’ को बदलकर ‘राम जन्मभूमि आंदोलन की विरासत क्या है?’ कर दिया गया है। परिषद द्वारा ये बदलाव इस अध्याय से सम्बन्धित प्रश्नों में नवीनता लाने के उद्देश्य से किया गया है। इसके अलावा परिषद ने इसी अध्याय में ‘बाबरी मस्जिद’ और ‘हिंदुत्व की राजनीति’ के संदर्भ को भी हटाया है। कंटेट में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के फैसले के बाद अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण किया गया। 

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद बदलाव जरूरी माना गया

परिषद ने पुराने व नए विवरणों की जानकारी देते हुए बताया है कि पुरानी पुस्तक की पृष्ठ संख्या 139 में लिखा गया था कि ‘... दिसंबर 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचे (बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता है) के विध्वंस में कई घटनाओं का समापन हुआ। इस घटना से देश की राजनीति में कई बदलाव हुए। भारतीय राष्ट्रवाद और धर्मनिरपेक्षता की प्रकृति के बारे में बहस तेज हो गई। ये विकास भाजपा के उदय और 'हिंदुत्व' की राजनीति से जुड़े हैं।’ नया बदलाव इस प्रकार है कि ‘... अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर को लेकर सदियों पुराना कानूनी और राजनीतिक विवाद भारत की राजनीति को प्रभावित करने लगा, जिसने विभिन्न राजनीतिक परिवर्तनों को जन्म दिया। राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन एक केंद्रीय मुद्दा बनकर, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र पर चर्चा की दिशा बदल दी। इन परिवर्तनों का समापन सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के फैसले (जो 9 नवंबर, 2019 को घोषित किया गया था) के बाद अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के साथ हुआ।’ इसी के तहत पहले ‘राजनीतिक लामबंदी की प्रकृति के लिए राम जन्मभूमि आंदोलन और अयोध्या विध्वंस की विरासत क्या है?’ को बदल दिया गया है। नए संदर्भ में ‘राम जन्मभूमि आंदोलन की विरासत क्या है?’ कर दिया गया।

गुजरात दंगों के कुछ मसले हटा दिए गए

दूसरी तरफ ‘लोकतांत्रिक अधिकार’ नाम के 5वें अध्याय में गुजरात दंगों का संदर्भ दिया गया था, जिसे अब हटा दिया गया है। इसके पक्ष में परिषद ने कहा कि यह घटना 20 वर्ष पुरानी है और इसे न्यायिक प्रक्रिया के अंतर्गत सुलझाया जा चुका है। इसी अध्याय में कुछ शब्दों व वाक्यांशों में बदलाव किए गए हैं, जैसे पहले लिखा गया था कि ‘2011 की जनगणना के अनुसार, मुसलमान भारत की आबादी का 14.2% हैं और आज उन्हें भारत में हाशिए पर रहने वाला समुदाय माना जाता है क्योंकि अन्य समुदायों की तुलना में, वे वर्षों से सामाजिक लाभों से वंचित हैं।’ नए बदलाव के अनुसार ‘2011 की जनगणना के अनुसार, मुस्लिम भारत की आबादी का 14.2% हैं और सामाजिक-आर्थिक विकास की तुलनात्मक रूप से कम स्थिति के कारण उन्हें हाशिए पर रहने वाला समुदाय माना जाता है।’

दंगों में धर्म विशेष की जानकारी बदली गई

इसी तरह लिंग, धर्म और जाति नामक अध्याय में एक पंक्ति में कहा गया है कि ‘हमारे देश में मानवाधिकार समूह इस बात पर सहमत हैं कि हमारे देश में सांप्रदायिक दंगों के अधिकांश पीड़ित धार्मिक अल्पसंख्यक वर्ग के लोग हैं। उन्होंने मांग की है कि सरकार धार्मिक अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए विशेष कदम उठाएं।’ को बदलकर ‘हमारे देश में मानवाधिकार समूहों ने मांग की है कि सरकार को सांप्रदायिक दंगों को रोकने और धार्मिक अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए विशेष कदम उठाना चाहिएं।’ इसी के तहत ‘धर्मनिरपेक्षता’शीर्षक वाले एक अन्य अध्याय में वाक्यांश को बदल दिया। पहले यह कहा गया था कि ‘2002 में गुजरात में गोधरा के बाद हुए दंगों के दौरान 1,000 से अधिक लोगों, जिनमें ज्यादातर मुस्लिम थे, की हत्या कर दी गई थी’ को बदलकर ‘2002 में गुजरात में गोधरा के बाद हुए दंगों के दौरान 1,000 से अधिक लोगों की हत्या कर दी गई थी।’

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