अब नेपाल भी नहीं खाएगा MDH की देगी मिर्च, मसालों पर लगाया प्रतिबंध

स्पाइस बोर्ड के अंदर 52 मसाले आते हैं। बढ़ती चिंताओं के बीच स्पाइस बोर्ड ऑफ इंडिया ने निर्यातकों के लिए अपनी गाइडलाइन्स को अपडेट किया है। इसका मकसद देश-दुनिया के सामने भारतीय मसालों की शुद्धता को बनाए रखना है।

Advertisment
author-image
Aparajita Priyadarshini
New Update
MDH MASALA

अब नेपाल भी नहीं खाएगा MDH की देगी मिर्च

Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

भारतीय मसालों में पेस्टिसाइड की मौजूदगी को लेकर चल रहे विवाद के बीच नेपाल ने भी बड़ा कदम उठाया है। नेपाल के खाद्य प्रौद्योगिकी विभाग के प्रवक्ता मोहन कृष्णा महाराजन ने एवरेस्ट और एमडीएच (MDH) ब्रांड के मसालों के आयात पर बैन लगा दिया है। मसालों में हानिकारक रसायन एथिलीन ऑक्साइड (ईटीओ) होने की खबर मिलने के बाद ये कदम उठाया गया है।

सिंगापुर और हॉन्ग कॉन्ग ने भी लगाया था बैन 


नेपाल और ब्रिटेन के पहले हॉन्ग कॉन्ग और सिंगापुर की फूड एजेंसी ने भी एवरेस्ट के फिश करी मसाला पर रोक लगा दी थी ( MDH spices and Everest spices banned in Hong Kong )। सिंगापुर ने एथिलीन ऑक्साइड की मात्रा अधिक होने से एवरेस्ट के फिश करी मसाला के ऑर्डर को रिटर्न कर दिया था। 

एजेंसी फूड सेफ़्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने क्या कहा?

भारत की सरकारी एजेंसी फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने बताया है कि जब सिंगापुर, मालदीव,हांगकांग, और ऑस्ट्रेलिया के अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने भारत से आने वाले MDH और एवरेस्ट जैसे टॉप ब्रैंड्स के मसालों में कैंसर कारक पदार्थ ईटीओ की अस्वीकार्य मात्रा पाई है,तो एफएसएसएआई ने फौरन कार्रवाई की एफएसएसएआई ने कहा है भारत में बेचे जाने वाले मसालों में एथिलीन ऑक्साइड का इस्तेमाल नहीं किया जाता। 

ये खबर भी पढ़िए....

देश के सभी ज्योर्तिलिंग उज्जैन में ही बनेंगे, सिंहस्थ को लेकर सरकार कर रही बड़ी तैयारी

क्या है ये एथिलीन ऑक्साइड?

एथिलीन ऑक्साइड रूम टेम्परेचर पर मीठी सी गंध आती है। यह ज्वलनशील रंगहीन गैस है जिसका उपयोग मुख्य रूप से किसी चीज को फ्रीज होने से रोकने समेत अन्य रसायनों के उत्पादन के लिए किया जाता है। कम मात्रा में एथिलीन ऑक्साइड का इस्तेमाल कीटनाशक और स्टरलाइजिंग एजेंट के रूप में किया जाता है। नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के मुताबिक इसका इस्तेमाल टेक्सटाइल, सॉल्वेंट्स,  फोम, दवाएं, एडहेसिव और डिटर्जेंट बनाने में भी होता है।

ये भी पढ़िए...

नगर निगम फर्जी बिल घोटाला- 6000 करोड़ रुपए का भुगतान जांच के दायरे में आया, सभी फर्म की होगी जांच

भारत के एक्सपोर्ट बिजनेस और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव


सदियों से मसाले भारत की अर्थव्यवस्था और संस्कृति के केंद्र में रहे हैं। भारतीय मसालों का एक्सपोर्ट मार्केट महत्वपूर्ण है। मौसम की विविधता ने भारत को मसालों के उत्पादन में एक प्रमुख केंद्र बना दिया है। पुर्तगाल,ब्रिटेन, मिडिल ईस्ट के लोगों को भारतीय मसाले ने हमेशा अपनी तरफ आकर्षित किया है। काली मिर्च, इलायची, दालचीनी और लौंग जैसे प्रमुख मसालों ने भारत को यूरोप, अफ्रीका और पूर्वी एशिया से जोड़ा। इस वजह से सांस्कृतिक आदान-प्रदान और मसालों के कारोबार के लिहाज से भारत एक वैश्विक केंद्र बन गया।
स्पाइसेज़ बोर्ड ऑफ इंडिया के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारतीय मसालों का निर्यात बढ़कर 14,04,357 टन पर पहुंच गया। इससे भारत को 31,761 करोड़ रुपए आमदनी भी हुई थी।

ये भी पढ़िए...

देवकीनंदन के बोल- हर हिंदू पांच-पांच बच्चे पैदा करे, तभी रहेंगे सुरक्षित

भारतीय रेग्यूलेटरी एजेंसियां ने क्या कहा?


संसद के एक्ट के तहत स्पाइस बोर्ड के अंदर 52 मसाले आते हैं। बढ़ती चिंताओं के बीच स्पाइस बोर्ड ऑफ इंडिया ने निर्यातकों के लिए अपनी गाइडलाइन्स को अपडेट किया है। इसका मकसद दुनिया के सामने भारतीय मसालों की शुद्धता को बनाए रखना है और ससप्लाई चेन से एथिलीन ऑक्साइड को पूरी तरह से हटाना है।

लेकिन सवाल ये भा उठ रहे हैं कि जो मसाले विदेशों में अप्रूव नहीं हो रहे हैं, उन्हें भारत में कैसे अप्रूव किया जा रहा है।
अमेरिका और भारत में फूड प्रोडक्ट में मिलाए जाने वाले सामान के बारे में नियम अलग-अलग हैं। इनमें से कई चीजें जो यूरोप और अमेरिका में प्रतिबंधित हैं लेकिन भारत में उनके इस्तेमाल की अनुमति है। विकसित देशों में लोग काफी जागरूक हैं, वे छोटे-मोटे उल्लंघन के लिए भी कंपनी पर मुकदमा कर सकते हैं। भारत में ऐसा नहीं होता हैं।

ये भी पढ़िए...

Char Dham Yatra पर सरकार का बड़ा फैसला, अब नो सेल्फी, नो वीडियो, VIP ट्रीटमेंट भी बंद

MDH spices and Everest spices banned in Hong Kong MDH spices and Everest spices फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया एथिलीन ऑक्साइड