/sootr/media/media_files/2025/09/13/nepal-pm-sushila-karki-airplane-hijack-durga-prasad-2025-09-13-17-38-10.jpeg)
Photograph: (The Sootr)
शुक्रवार को सुशीला कार्की ने नेपाल के प्रधानमंत्री की शपथ लेते ही उनके बारे में लोग सर्च करने लगे। इस खोजबीन में सामने आई विमान अपहरण और विद्रोह के बीच पनपी प्रेम कहानी… आइए जानते हैं इस रोमांचक प्रेम कहानी के बारे में…
आज जब नेपाल की राजनीति में सुशीला कार्की का नाम इतिहास में दर्ज है, तब यह भूलना नामुमकिन है कि उनके साथी दुर्गा प्रसाद सुबेदी ने कभी लोकतंत्र की लौ जलाने के लिए जोखिम उठाया था। इतिहास की सबसे रंगीन घटनाएं, कभी-कभी एक मामूली सी उड़ान से शुरू होकर आंदोलन, प्रेम और सत्ता के चौराहे पर आकर ठहरती हैं। यह कहानी सिखाती है कि असाधारण फैसले और आम लोगों की हिम्मत अकसर इतिहास की चट्टान पर अमिट निशान छोड़ जाती है।
यह एक ऐसी दास्तान है जहां राजनीति में विद्रोह है, प्रेम की आंच और न्यायप्रियता की चिंगारी भी - एक विमान, उसमें बैठी माला सिन्हा जैसी अदाकारा, और गर्जना करती नई पीढ़ी का ज़ज्बा, जो आज भी नेपाल की फिजाओं, कहानियों और आंदोलन की आत्मा में धड़कता है।
10 जून 1973 की सुबह नेपाल के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हुई। यह दिन सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि एक ऐसी क्रांति और साहस की मिसाल बन गया, जिसने नेपाल की राजनीति, प्रेम और विद्रोह के मायनों को हमेशा के लिए बदल दिया। कहानी की शुरुआत होती है विराटनगर एयरपोर्ट से, जहां से एक ट्विन ओटर विमान काठमांडू की ओर उड़ान भरता है। इस विमान में जो कुछ हुआ, उसने न केवल देश की राजनीति को हिलाकर रख दिया, बल्कि एक नए युग की शुरुआत कर दी।
विमान में बगावत की हलचल
विमान का उड़ना कोई आम घटना नहीं थी। यह विमान रॉयल नेपाल एयरलाइंस का हिस्सा था। इसके अंदर नेपाल सरकार की 30 लाख रुपए की सरकारी धनराशि रखी थी। साथ ही विमान में 22 यात्री थे, जिनमें एक बेहद चर्चित नाम था- हिंदी सिनेमा की मशहूर अभिनेत्री माला सिन्हा।
इस विमान में बैठे तीन युवा, बसंत भट्टाराई, नागेंद्र धुंगेल और दुर्गा प्रसाद सुबेदी, केवल यात्रा करने नहीं, बल्कि एक राजनीतिक मिशन पर निकले थे। विमान के बादलों के बीच पहुंचते ही, इन तीनों ने अचानक हथियार निकाले और पायलट को धमकी दी: "विमान को फौरन फारबिसगंज, बिहार ले चलो!" पायलट घबराया, लेकिन इन हाइजैकर्स के दबाव के आगे उसे समझौता करना पड़ा। इस नेपाल विमान हाईजैक की वजह से नीचे नेपाल सरकार सांसत में आ गई। फारबिसगंज में पहले से गिरिजा प्रसाद कोइराला और सुशील कोइराला जैसे नेपाल के भविष्य के प्रधानमंत्री इंतजार कर रहे थे।
योजना और साजिश की खूबसूरती
विमान जैसे ही एक सुनसान खेत में उतरा, वहां पहले से तीन जीपें और हथियारबंद साथी खड़े थे। ये लोग नेपाल के राजनीतिक परिवर्तन के लिए संघर्ष कर रहे थे। विमान से कैश के बक्से बाहर निकाले गए और गाड़ियों में लाद दिए गए। माला सिन्हा और अन्य यात्री डर के साए में थे, लेकिन शुक्र था कि किसी को शारीरिक नुकसान नहीं हुआ।
ये भी पढ़ें... नेपाल की प्रधानमंत्री बनी सुशीला कार्की, राष्ट्रपति ने दिलाई पद और गोपनीयता की शपथ
बनारस में गिरफ्तार हुए थे हाइजैकर्स
जब हाइजैकर्स बक्सों के साथ फरार हो गए, तो कुछ ही दिनों बाद ये पैसे भारत होते हुए आंदोलनकारियों के हाथों में पहुंचे। नेपाल की राजशाही सकते में थी, क्योंकि यह केवल एक डकैती नहीं, बल्कि लोकतंत्र के लिए आवश्यक फंडिंग थी। हाइजैकर्स को बाद में बनारस में गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन दुर्गा प्रसाद सुबेदी, जो आगे चलकर सुशीला कार्की के पति बने, को दो साल बाद रिहा कर दिया गया।
माला सिन्हा की भूमिका
इस ऐतिहासिक घटना में माला सिन्हा की उपस्थिति भी महत्वपूर्ण थी। वह उस समय बॉलीवुड की सबसे बड़ी अभिनेत्रियों में से एक थीं। उनके लिए यह एक बिल्कुल नया और डरावना अनुभव था। जब माला सिन्हा ने विमान में सवार होकर अपने देश के भविष्य का डर देखा, तो वह सिनेमा से बाहर की सच्चाई थी। इस घटना ने उन्हें यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि सिनेमा और असलियत में कितनी गहरी खाई है। माला सिन्हा के लिए यह न केवल एक डरावना अनुभव था, बल्कि एक गहरी समझ का पल था।
ये भी पढ़ें... नेपाल में हिंसा के बीच आ सकती है राजस्थान के लिए खुशखबरी, सीकर से है बड़ा कनेक्शन
नेपाल का पहला विमान हाईजैक: 10 जून 1973- 10 जून 1973 को, काठमांडू-स्थित रॉयल नेपाल एयरलाइंस का ट्विन ओटर विमान सुप्रबंधन के बीच बिराटनगर से राजधानी के लिए उड़ान भरा। |
प्यार, प्रतिरोध और राजनीति
इधर, इस क्रांतिकारी कहानी में एक प्रेम कहानी भी छिपी हुई है। दुर्गा प्रसाद सुबेदी, जो उस दिन हाइजैक के केंद्र में थे, बीएचयू में पढ़ाई के दौरान सुशीला कार्की से मिले थे। सुशीला, एक मजबूत इच्छाशक्ति वाली महिला, खुद नेपाल सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनीं और Gen Z क्रांति के बाद 12 सितंबर 2025 को नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री बनीं। उनका जीवन एक संघर्ष और सिद्धांत की मिसाल है। सुशीला का संघर्ष नेपाल की दबी आवाज़ों और लोकतांत्रिक बदलाव के लिए संघर्ष कर रहे लोगों की कहानी है।
किताब लिखी गई- ‘विमान विद्रोह’
जेल से रिहा होने के बाद, दुर्गा प्रसाद सुबेदी ने अपनी आत्मकथा विमान विद्राह लिखी, जिसमें उन्होंने उन दिनों की सच्चाई, जेल की यातनाओं और लोकतांत्रिक आंदोलन की सांझी विरासत को साझा किया। यह किताब केवल एक आत्मकथा नहीं, बल्कि नेपाल के राजनीतिक इतिहास और संघर्षों का एक गवाह है। इसमें उन्होंने उन नैतिक दुविधाओं, सहयोगियों की बेचैनी और लोकतंत्र के लिए की गई जद्दोजहद को उकेरा है।
ये भी पढ़ें... नेपाल में उबाल मार रहा Gen Z आंदोलन, भारत में है Gen Z की की सबसे बड़ी जनसंख्या
राजनीतिक विचारधारा और बवंडर
यह घटना केवल राजशाही के खिलाफ आंदोलन नहीं थी, बल्कि यह युवाओं के विद्रोह और एक नए फंडिंग मॉडल वाली क्रांति का प्रतीक बन गई। दुर्गा प्रसाद सुबेदी की पहल ने न केवल नेपाल के छात्रों के संघर्ष को सामने रखा, बल्कि नेपाली कांग्रेस के भीतर के उथल-पुथल को भी उजागर किया। यह घटना महज एक अपराध नहीं, बल्कि एक आइकन बन गई, जो आज भी नेपाल के राजनीतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में याद की जाती है।
ये भी पढ़ें... नेपाल के Gen Z आंदोलन का चेहरा बने सुदन गुरूंग: बेटे को खोया, एक्टिविस्ट बने और अब सत्ता को दी चुनौती
राजनीतिक असंतोष के क्रांति में बदलने का कोई फॉर्मूला नहीं
प्रोफेसर दीपक मलिक (BHU, गांधीवादी अध्ययन):
"राजनीतिक असंतोष जब क्रांति में बदलता है तो उसका कोई फॉर्मूला नहीं- नेपाल का हाईजैक एपिसोड इसका सबूत है। ये युवाओं का विद्रोह और वैचारिक क्रांति थी, न कि सिर्फ क्रिमिनल घटना।"
डॉ. बाबुराम भट्टराई (पूर्व पीएम, नेपाली समाजशास्त्र विशेषज्ञ):
"1973 का हाईजैक आंदोलन शाही दमन और लोकशक्ति के बीच उच्चतम टकराव के तौर पर देखा जाता है, जिसने नेपाली राजनीति को नई दिशा दी।"
वरिष्ठ पत्रकार शंकर पंडित:
"इस घटना ने न सिर्फ सुरक्षा पर, बल्कि राजनीतिक नेतृत्व की नीयत और लक्ष्य पर भी सवाल खड़े हुए”