नेपाल में हिंसा के बीच आ सकती है राजस्थान के लिए खुशखबरी, सीकर से है बड़ा कनेक्शन

नेपाल में राजशाही की वापसी की मांग के बीच सीकर के भांजे हृदयेंद्र शाह के नेपाल के शाही सिंहासन पर बैठने की संभावना को लेकर चर्चा तेज हो गई है।

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Nitin Kumar Bhal
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नेपाल में सियासी संकट और जनआंदोलन (Nepal Gen-Z Protest) के बीच एक नया मोड़ आया है। वहां राजशाही को पुन: स्थापित करने की मांग भी उठने लगी है। अगर ऐसा होता है तो इस घटनाक्रम का सीकर जिले पर गहरा असर पड़ सकता है। छात्र आंदोलनों, तख्तापलट और जेन जेड (Gen Z) द्वारा युवा नेतृत्व की मांग ने सीकर के भांजे हृदयेंद्र शाह को एक नया राजनीतिक चेहरा बना दिया है। नेपाल में शाही व्यवस्था की पुनर्स्थापना की मांग के बीच, सीकर के भांजे हृदयेंद्र शाह को लेकर उम्मीदें बढ़ रही हैं।

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हृदयेंद्र शाह की मां हिमानी शेखावत अपने पति पारस शाह के साथ। Photograph: (TheSootr)

हृदयेंद्र शाह का राजनीतिक परिप्रेक्ष्य

हृदयेंद्र शाह नेपाल के पूर्व सम्राट ज्ञानेंद्र शाह के पोते हैं। उनके पिता, नेपाल के शाही परिवार के सदस्य थे, और उनकी मां हिमानी शेखावत सीकर के पूर्व राजघराने से संबंधित हैं। सीकर के विक्रम सिंह और नेपाल के सम्राट त्रिभुवन देव के परिवार के बीच लंबा राजनीतिक नाता रहा है। इस परिवार की राजनीतिक विरासत सीकर के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, और अब हृदयेंद्र शाह के शाही सिंहासन पर बैठने की संभावना ने इस इलाके में हलचल मचा दी है।

सीकर का नेपाल के शाही परिवार से गहरा संबंध है। हृदयेंद्र शाह की मां हिमानी शेखावत सीकर के विक्रम सिंह की बेटी हैं, जो सीकर के अंतिम शासक राव राजा कल्याण सिंह के बेटे हरदयाल सिंह द्वारा गोद लिए गए थे। विक्रम सिंह की मां त्रेलोक्य राज लक्ष्मी नेपाल के पूर्व सम्राट त्रिभुवन देव की बेटी थीं। इस प्रकार, सीकर और नेपाल के बीच सियासी और पारिवारिक संबंधों का इतिहास बहुत पुराना और महत्वपूर्ण है।

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हृदयेंद्र शाह Photograph: (TheSootr)

नेपाल में राजशाही की वापसी की मांग

नेपाल में कई महीनों से यह आवाज़ उठ रही है कि राजशाही को वापस लाया जाए। “राजा वापस आओ, देश बचाओ” के नारे देश भर में सुनाई दे रहे हैं। हृदयेंद्र शाह के दादा, नेपाल के पूर्व सम्राट ज्ञानेंद्र शाह भी इस मुहिम में सक्रिय हो गए हैं। वे जनसभाओं में हिस्सा ले रहे हैं और पूरे घटनाक्रम पर अपनी निगाह बनाए हुए हैं। नेपाल में शाही व्यवस्था की पुनर्स्थापना की मांग में जोर पकड़ रहा है।

नेपाल में अंतरिम सरकार का गठन हुआ है, और यदि इस सरकार ने राजशाही की मांग को माना, तो हृदयेंद्र शाह के नेपाल नरेश बनने की संभावना बहुत अधिक बढ़ सकती है। लेकिन अगर देश लोकतंत्र की दिशा में ही आगे बढ़ता है, तो हृदयेंद्र शाह के शाही सिंहासन पर बैठने की संभावना खत्म हो सकती है।

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नेपाल में हिंसा क्यों हो रही है?

  • सोशल मीडिया बैन और विरोध

    • नेपाल सरकार ने फेसबुक, वॉट्सऐप और इंस्टाग्राम समेत सभी सोशल मीडिया ऐप्स को रजिस्ट्रेशन करवाने का आदेश दिया।

    • एक हफ्ते बाद इन ऐप्स पर बैन लगा दिया गया, जिसके खिलाफ हजारों युवा सड़कों पर उतर आए।

    • प्रदर्शन के दौरान नेपाल की संसद पर हमला किया गया, और पुलिस की जवाबी कार्रवाई में 19 लोग मारे गए और कई घायल हुए।

    • इसके बाद नेपाल में प्रदर्शन और हिंसा बढ़ी, जिससे प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और अन्य नेताओं को भागना पड़ा।

  • नेपोटिज़्म और भाई-भतीजावाद

    • नेपाल सरकार पर लगातार नेपोटिज़्म का आरोप लगता रहा है। नेताओं और उनके परिवारों की शाही जीवनशैली सोशल मीडिया पर उजागर हो रही थी।

    • 'नेपो बेबी' अभियान नेपाल के सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगा, जिससे युवाओं की नाराजगी साफ दिखाई दे रही थी।

  • भ्रष्टाचार के आरोप

    • नेपाल सरकार पर कई बड़े घोटालों का आरोप लगा है, जिनमें गिरि बंधु भूमि स्वैप घोटाला, ओरिएंटल कॉरपोरेटिव घोटाला और कॉरपोरेटिव घोटाला शामिल हैं।

    • इन घोटालों का पर्दाफाश होने के बाद युवाओं का गुस्सा और बढ़ गया।

  • बेरोजगारी और आर्थिक स्थिति

    • नेपाल में बेरोजगारी दर लगातार बढ़ रही है। वर्तमान में नेपाल के 10.71 प्रतिशत युवा बेरोजगार हैं।

    • महंगाई दर 5.2 प्रतिशत है, और केवल 20 प्रतिशत लोग देश की 56 प्रतिशत संपत्ति के मालिक हैं, जिनमें नेता भी शामिल हैं।

  • भारत से दूरी और चीन से नजदीकी

    • 2024 में केपी ओली की सरकार के बाद नेपाल का रुझान चीन की ओर बढ़ने लगा।

    • नेपाल ने भारत के साथ सीमा विवाद को उठाया, जिससे नेपाल पर आर्थिक दबाव बढ़ा।

    • इस बदलाव को लेकर नेपाली नागरिकों में नाराजगी थी, जो हिंसा के रूप में सामने आई।

  • राजशाही की वापसी की मांग

    • नेपाल में लोकतंत्र के खिलाफ राजशाही की वापसी की मांग उठ रही है, खासकर भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच।

    • पिछले 5 सालों में नेपाल में तीन बार सरकारें बदल चुकी हैं, और अब भड़की हिंसा के बाद सत्ता परिवर्तन की संभावना जताई जा रही है।

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हृदयेंद्र शाह की संभावना पर सीकरवासियों की दिलचस्पी

सीकरवासियों के लिए यह खबर किसी राजनीतिक चमत्कार से कम नहीं है। हृदयेंद्र शाह के शाही सिंहासन पर बैठने की संभावना ने यहां के लोगों में एक नई उम्मीद और उत्सुकता पैदा कर दी है। इस प्रकार, सीकर के लिए यह एक ऐतिहासिक मोड़ हो सकता है, क्योंकि नेपाल के शाही परिवार के सदस्य का सीकर से ननिहाल का नाता है।

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देखना होगा सुशीला कार्की का रुख

भारत के प्रतिष्ठित संस्थान बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में पढ़ी नेपाल की न्यायाधीश सुशीला कार्की को हाल ही में अंतिम सरकार का मुखिया बनाया गया है। उनके कार्यकाल में यह देखा जाएगा कि नेपाल में लोकतंत्र की दिशा में आगे बढ़ने की प्रक्रिया कितनी मजबूत होगी या फिर राजशाही की ओर वापसी होगी।

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नेपाल के राजनीतिक घटनाक्रम का अंतरराष्ट्रीय प्रभाव

नेपाल में राजनीतिक बदलावों (Gen Z आंदोलन नेपाल) का न केवल देश के भीतर, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रभाव पड़ सकता है। विशेष रूप से भारत और नेपाल के रिश्तों पर इसका असर हो सकता है, क्योंकि दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध हैं। नेपाल में राजशाही की वापसी या लोकतंत्र के प्रति मजबूत कदम दोनों देशों के रिश्तों में नए मोड़ों का कारण बन सकते हैं।

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