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Photograph: (TheSootr)
नेपाल में सियासी संकट और जनआंदोलन (Nepal Gen-Z Protest) के बीच एक नया मोड़ आया है। वहां राजशाही को पुन: स्थापित करने की मांग भी उठने लगी है। अगर ऐसा होता है तो इस घटनाक्रम का सीकर जिले पर गहरा असर पड़ सकता है। छात्र आंदोलनों, तख्तापलट और जेन जेड (Gen Z) द्वारा युवा नेतृत्व की मांग ने सीकर के भांजे हृदयेंद्र शाह को एक नया राजनीतिक चेहरा बना दिया है। नेपाल में शाही व्यवस्था की पुनर्स्थापना की मांग के बीच, सीकर के भांजे हृदयेंद्र शाह को लेकर उम्मीदें बढ़ रही हैं।
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हृदयेंद्र शाह का राजनीतिक परिप्रेक्ष्य
हृदयेंद्र शाह नेपाल के पूर्व सम्राट ज्ञानेंद्र शाह के पोते हैं। उनके पिता, नेपाल के शाही परिवार के सदस्य थे, और उनकी मां हिमानी शेखावत सीकर के पूर्व राजघराने से संबंधित हैं। सीकर के विक्रम सिंह और नेपाल के सम्राट त्रिभुवन देव के परिवार के बीच लंबा राजनीतिक नाता रहा है। इस परिवार की राजनीतिक विरासत सीकर के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, और अब हृदयेंद्र शाह के शाही सिंहासन पर बैठने की संभावना ने इस इलाके में हलचल मचा दी है।
सीकर का नेपाल के शाही परिवार से गहरा संबंध है। हृदयेंद्र शाह की मां हिमानी शेखावत सीकर के विक्रम सिंह की बेटी हैं, जो सीकर के अंतिम शासक राव राजा कल्याण सिंह के बेटे हरदयाल सिंह द्वारा गोद लिए गए थे। विक्रम सिंह की मां त्रेलोक्य राज लक्ष्मी नेपाल के पूर्व सम्राट त्रिभुवन देव की बेटी थीं। इस प्रकार, सीकर और नेपाल के बीच सियासी और पारिवारिक संबंधों का इतिहास बहुत पुराना और महत्वपूर्ण है।
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नेपाल में राजशाही की वापसी की मांग
नेपाल में कई महीनों से यह आवाज़ उठ रही है कि राजशाही को वापस लाया जाए। “राजा वापस आओ, देश बचाओ” के नारे देश भर में सुनाई दे रहे हैं। हृदयेंद्र शाह के दादा, नेपाल के पूर्व सम्राट ज्ञानेंद्र शाह भी इस मुहिम में सक्रिय हो गए हैं। वे जनसभाओं में हिस्सा ले रहे हैं और पूरे घटनाक्रम पर अपनी निगाह बनाए हुए हैं। नेपाल में शाही व्यवस्था की पुनर्स्थापना की मांग में जोर पकड़ रहा है।
नेपाल में अंतरिम सरकार का गठन हुआ है, और यदि इस सरकार ने राजशाही की मांग को माना, तो हृदयेंद्र शाह के नेपाल नरेश बनने की संभावना बहुत अधिक बढ़ सकती है। लेकिन अगर देश लोकतंत्र की दिशा में ही आगे बढ़ता है, तो हृदयेंद्र शाह के शाही सिंहासन पर बैठने की संभावना खत्म हो सकती है।
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हृदयेंद्र शाह की संभावना पर सीकरवासियों की दिलचस्पी
सीकरवासियों के लिए यह खबर किसी राजनीतिक चमत्कार से कम नहीं है। हृदयेंद्र शाह के शाही सिंहासन पर बैठने की संभावना ने यहां के लोगों में एक नई उम्मीद और उत्सुकता पैदा कर दी है। इस प्रकार, सीकर के लिए यह एक ऐतिहासिक मोड़ हो सकता है, क्योंकि नेपाल के शाही परिवार के सदस्य का सीकर से ननिहाल का नाता है।
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देखना होगा सुशीला कार्की का रुख
भारत के प्रतिष्ठित संस्थान बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में पढ़ी नेपाल की न्यायाधीश सुशीला कार्की को हाल ही में अंतिम सरकार का मुखिया बनाया गया है। उनके कार्यकाल में यह देखा जाएगा कि नेपाल में लोकतंत्र की दिशा में आगे बढ़ने की प्रक्रिया कितनी मजबूत होगी या फिर राजशाही की ओर वापसी होगी।
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नेपाल के राजनीतिक घटनाक्रम का अंतरराष्ट्रीय प्रभाव
नेपाल में राजनीतिक बदलावों (Gen Z आंदोलन नेपाल) का न केवल देश के भीतर, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रभाव पड़ सकता है। विशेष रूप से भारत और नेपाल के रिश्तों पर इसका असर हो सकता है, क्योंकि दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध हैं। नेपाल में राजशाही की वापसी या लोकतंत्र के प्रति मजबूत कदम दोनों देशों के रिश्तों में नए मोड़ों का कारण बन सकते हैं।