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देश दुनिया न्यूज। नेपाल में जारी विरोध प्रदर्शन के कारण सोशल मीडिया पर बैन फिर से एक बड़ी चर्चा का विषय बन गया। दरअसल सरकार ने 3 सितंबर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर बैन लगा दिया था, जिसके बाद से नेपाल में राजनीतिक तनाव बढ़ गया। युवाओं ने इस बैन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया, और इसके परिणामस्वरूप अब तक 18 लोगों की मौत हो चुकी है और 200 से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं।
सोशल मीडिया पर बैन
नेपाल सरकार ने सोशल मीडिया पर बैन लगाने का फैसला सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर लिया था। सरकार का कहना था कि बिना रजिस्ट्रेशन के ये प्लेटफॉर्म्स नेपाल में गलत सूचना, साइबर क्राइम और नफरत फैलाने का कारण बन रहे थे। 28 अगस्त को सरकार ने इन प्लेटफॉर्म्स को रजिस्ट्रेशन के लिए 7 दिन का समय दिया था, जो 2 सितंबर को खत्म हो गया।
बड़ी सोशल मीडिया कंपनियां, जैसे फेसबुक और यूट्यूब, ने समय पर रजिस्ट्रेशन नहीं कराया। इसके कारण 4 सितंबर को 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगा दिया गया। हालांकि, टिकटॉक और वाइबर ने समय पर रजिस्ट्रेशन कर लिया, इसलिए उन पर बैन नहीं लगा।
संसद भवन में घुसपैठ
सोशल मीडिया बैन और सरकार के अन्य भ्रष्टाचार से जुड़ी नीतियों के खिलाफ 18 से 30 साल की जनरेशन (Gen-Z) के युवा सड़कों पर उतर आए। सोमवार सुबह 12,000 से ज्यादा प्रदर्शनकारी संसद भवन में घुस गए, और वहां घेराबंदी कर दी।
यह नेपाल के इतिहास में पहला मौका था जब प्रदर्शनकारी संसद भवन में घुसे थे। इसके बाद सेना ने कई राउंड फायरिंग की, जिसमें अब तक 18 लोगों की मौत हो चुकी है और 200 से ज्यादा लोग घायल हैं।
प्रदर्शनकारियों ने संसद के गेट नंबर 1 और 2 पर कब्जा कर लिया था, और इसके बाद काठमांडू में कर्फ्यू लागू कर दिया गया। प्रशासन ने तोड़फोड़ करने वालों को गोली मारने के आदेश भी जारी कर दिए थे।
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सरकार का रजिस्ट्रेशन आदेश
सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों से रजिस्ट्रेशन के लिए आदेश दिया। इस आदेश में कंपनियों को नेपाल में लोकल ऑफिस खोलने और गलत कंटेंट हटाने के लिए लोकल अधिकारी नियुक्त करने की शर्तें रखी गईं। इसके अलावा, कंपनियों को यूजर डेटा नेपाल सरकार के साथ साझा करना अनिवार्य था।
ये शर्तें कंपनियों के लिए कठिन थीं, खासकर छोटे देशों में, जहां यूजर बेस छोटा होता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, इन शर्तों का पालन करना पश्चिमी देशों की कंपनियों के लिए महंगा और कठिन हो सकता था। यही कारण था कि इन कंपनियों ने नेपाल सरकार की शर्तों को नहीं माना।
भ्रष्टाचार और सरकार के निर्णयों से बढ़ा गुस्सा
विरोध प्रदर्शन में मुख्य रूप से भ्रष्टाचार के खिलाफ और सरकार के मनमाने निर्णयों के खिलाफ गुस्सा देखने को मिला। नेपाल के पूर्व वित्त सचिव रामेश्वर खनाल ने कहा कि सरकार के गलत फैसलों और बिगड़ते शासन के कारण युवा पीढ़ी में गुस्सा बढ़ा है।
पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' ने भी सरकार से अपील की कि वह युवाओं की मांगों को समझे और स्थिति को और बिगड़ने से रोके। प्रचंड ने पुलिस फायरिंग में मारे गए युवाओं को श्रद्धांजलि भी अर्पित की।
नेपाल में सोशल मीडिया फिर से शुरू
इन सभी घटनाओं के बीच नेपाल में सोशल मीडिया फिर से शुरू कर दिया गया है। मीडिया के अनुसार, 3:15 बजे के बाद नेपाल में बिना VPN के सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स चलने लगे।