ये क्राइम करने वाले अपराधी सजा के रूप में सिर्फ 'समाज सेवा' कर भी हो सकते हैं बरी, पढ़ें 1 जुलाई से क्या-क्या बदल जाएगा

अब 1 जुलाई से देश में नए क्रिमिनल लॉ लागू हो जाएंगे। इंडियन पीनल कोड  के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता लागू हो जाएगा। कई नई धाराएं जोड़ी गई हैं, नए बीएनएस नियम क्या हैं? जानें- किन अपराधों में होगी ऐसी सजा

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The Sootr
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NEW DELHI. भारत में अंग्रेजों का बनाया कानून खत्म होने जा रहा है। 1860 में बनी इंडियन पीनल कोड (IPC) जगह अब भारतीय न्याय संहिता (BNS) ले लेगी। भारतीय न्याय संहिता को एक जुलाई से लागू किया जाएगा। इंडियन पीनल कोड की जगह भारतीय न्याय संहिता लाने को लेकर सरकार का कहना है कि बदलते वक्त के साथ सुधार होना चाहिए। सिस्टम में समस्याएं थीं, इसलिए बदलाव किया जा रहा है। 

भारतीय न्याय संहिता में 356 धाराएं

इंडियन पीनल कोड (IPC) में 511 धाराएं थीं, जबकि भारतीय न्याय संहिता में 356 धाराएं होंगी। कई सारी धाराओं को हटाया गया है, कई धाराओं में बदलाव किया गया है और कई धाराएं नई जोड़ी गई हैं। न्याय संहिता के लागू होते ही आपराधिक मामलों में मिलने न्याय प्रक्रिया में बड़ा बदलाव हो जाएगा। न्याय संहिता में कुछ अपराध जोड़े गए हैं तो कुछ खत्म कर दिए गए हैं, जैसे- पहली बार सजा के तौर पर कम्युनिटी सर्विस को जोड़ा गया है। वहीं, अब नकली नोट रखना अपराध के दायरे से बाहर होगा।

बता दें कि भारतीय न्याय संहिता (BNS) भारत का आधिकारिक आपराधिक संहिता है। ब्रिटिश भारत के समय से चली आ रही भारतीय दंड संहिता (IPC) को हटा कर BNS को दिसंबर 2023 में पेश किया गया था। यह 1 जुलाई 2024 से लागू होगी।

अब मिलेगी समाज सेवा की सजा

आईपीसी की धारा 53 के तहत पांच तरह की सजाएं दी जाती है। इनमें सजा-ए-मौत, उम्रकैद, कठोर या सामान्य कारावास, संपत्ति की जब्ती और जुर्माना शामिल हैं।  अब भारतीय न्याय संहिता में एक नई सजा 'कम्युनिटी सर्विस' भी जोड़ी गई है। बीएनएस की धारा 4(f) में 'कम्युनिटी सर्विस' यानी समाज सेवा की सजा जोड़ी गई है, इसे इसलिए जोड़ा गया है ताकि जेलों में कैदियों की संख्या कम की जा सके, इसलिए कम्युनिटी सर्विस की सजा को कानूनी दर्जा दिया गया है।

किसे मिलेगी इस प्रकार की सजा

इस प्रकार की सजा सामान्य अपराधों में दोषी पाए जाने पर दी जाएगी। आत्महत्या की कोशिश करना, सरकारी सेवक के काम में बाधा डालना, छोटी-मोटी चोरी, शराब पीकर हुड़दंग और मानहानि जैसे अपराधों में लोगों की सेवा करने की सजा मिल सकती है।

भारतीय न्याय संहिता की धारा 23 में कम्युनिटी सर्विस की सजा को परिभाषित किया गया है। इसमें लिखा है कि कोर्ट किसी दोषी को कम्युनिटी सर्विस की सजा भुगतने का आदेश दे सकती है, जिससे लोगों को फायदा है। इस सजा में दोषी को कोई मेहनताना नहीं मिलेगा। समाज सेवा करने की सजा के तहत किसी एनजीओ के लिए, सामुदायिक संस्था के साथ काम करना होगा। दोषी को साफ-सफाई करना होगा, ,पब्लिक प्लेस से कचरा उठाना या फिर कुछ ऐसा काम करना जिससे जनता की भलाई हो सके, शामिल होगा।

किन अपराधों में मिलेगी कम्युनिटी सर्विस की सजा?

धारा 202: कोई भी सरकारी सेवक किसी तरह के कारोबार में शामिल नहीं हो सकता। अगर वो ऐसा करते हुए दोषी पाया जाता है तो उसे 1 साल की जेल या जुर्माना या दोनों की सजा या फिर कम्युनिटी सर्विस करने की सजा मिल सकती है।

धारा 209: कोर्ट के समन पर अगर कोई आरोपी या व्यक्ति पेश नहीं होता है तो अदालत उसे तीन साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों की सजा या कम्युनिटी सर्विस की सजा सुना सकती है।

धारा 226: अगर कोई व्यक्ति किसी सरकारी सेवक की काम में बाधा डालने के मकसद से आत्महत्या की कोशिश करता है, तो एक साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों या फिर कम्युनिटी सर्विस की सजा दी जा सकती है।

धारा 303: 5 हजार रुपए से कम कीमत की संपत्ति की चोरी करने पर अगर किसी को पहली बार दोषी ठहराया जाता है तो संपत्ति लौटाने पर उसे कम्युनिटी सर्विस की सजा दी जा सकती है।

धारा 355: अगर कोई व्यक्ति नशे की हालत में सार्वजनिक स्थान पर हुड़दंग मचाता है तो ऐसा करने पर उसे 24 घंटे की जेल या एक हजार रुपए तक का जुर्माना या दोनों या फिर कम्युनिटी सर्विस की सजा मिल सकती है।

धारा 356: अगर कोई व्यक्ति बोलकर, लिखकर, इशारे से या किसी भी तरीके से दूसरे व्यक्ति की प्रतिष्ठा और सम्मान को ठेस पहुंचाता है तो मानहानि के कुछ मामलों में दोषी को 2 साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों या कम्युनिटी सर्विस की सजा दी जा सकती है।

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इस प्रकार की सजा में समय सीमा क्या होगी ? 

भारतीय न्याय संहिता के मुताबिक अगर किसी अपराध में जुर्माना या समाज सेवा की सजा का प्रावधान है तो जुर्माना न देने पर कम्युनिटी सर्विस की सजा दी जाएगी। अगर जुर्माने की रकम 5 हजार है तो 2 महीने सेवा करनी होगी। 10 हजार का जुर्माना होने पर 4 महीने कम्युनिटी सर्विस करना होगा। कुछ मामलों में एक साल तक कम्युनिटी सर्विस करने की सजा भी हो सकती है।

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सिर्फ नकली नोट रखना अपराध नहीं

अब नकली नोट रखना अपराध नहीं होगा। भारतीय न्याय संहिता में नकली नोट को सिर्फ रखने को अपराध के दायरे से बाहर कर दिया है। हालांकि, नकली नोट को असली की तरह इस्तेमाल करने पर सजा को सख्त कर दिया गया है। IPC की धारा 242 कहती थी कि अगर किसी व्यक्ति के पास से नकली नोट बरामद होते है तो दोषी पाए जाने पर तीन साल तक की कैद और जुर्माने की सजा का प्रावधान था। अब बीएनएस में एक नई धारा 178 जोड़ी गई है, जिसमें नकली करंसी को सिर्फ रखना अपराध नहीं माना जाएगा। 

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हालांकि, बीएनएस की धारा 180 कहती है कि अगर कोई व्यक्ति नकली करंसी को असली की तरह इस्तेमाल करने की मंशा रखता है तो दोषी पाए जाने पर 7 साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।

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