NEW DELHI/BHOPAL. भारत में NEET यूजी के रिजल्ट पर हंगामा मचा हुआ है। इसमें कथित रूप से पेपर लीक के आरोप हैं। बड़ी-बड़ी बातें हो रही हैं। विपक्षी नेता आरोपों के तीर छोड़ रहे हैं। सत्तारूढ़ दल, परीक्षा एजेंसी और अफसर बचाव में बयान दे रहे हैं।
इन सबके बीच इन किरदारों का क्या वाकई भर्ती परीक्षाओं, प्रवेश परीक्षाओं और अन्य परीक्षाओं में होने वाली पेपर लीक जैसी घटनाओं पर सही मायनों में सरोकार होता है। क्या इन्हें करोड़ों युवाओं की चिंता है, इसका जवाब ना ही है...। कहीं-किसी राज्य में पेपर लीक का मामला सामने आता है और बस शुरू हो जाती है, राजनीति...राजनीति और राजनीति...। चंद दिन बाद सब भुला दिया जाता है।
किसी को कोई लेना-देना नहीं है कि मोमबत्तियों की रोशनी में, स्ट्रीट लाइट की झिलमिलाती लाइट में पढ़ने वाले बच्चों का क्या होता होगा? वे पूरी शिद्दत के साथ तैयारी करते हैं, फिर बस एक पेपर लीक और नतीजा शून्य। उनका नौकरी पाने का सपना चकनाचूर हो जाता है। हौसला टूट जाता है।
पेपर लीक में राजस्थान सबसे आगे
हमारे देश में बीते पांच वर्षों में 15 राज्यों में पेपर लीक की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इनमें 41 भर्ती परीक्षाओं में पेपर पहले ही बाजार में आ गया। चांद पर पहुंचने वाले इस देश में ये आंकड़े कितने दुर्भाग्यपूर्ण हैं। पांच वर्षों में पेपर लीक के सबसे ज्यादा 7 मामले राजस्थान में सामने आए हैं। ये पेपर लीक यहां 40 हजार 590 पोस्ट्स के लिए होने वाली भर्ती परीक्षा में हुए। इससे करीब 38 लाख अभ्यर्थियों के सीधे तौर पर प्रभावित होने की खबर है।
मध्यप्रदेश में पांच परीक्षाओं के पेपर लीक
आंकड़े देखें तो मध्यप्रदेश भी पेपर लीक में पीछे नहीं हैं। मध्यप्रदेश में पांच अलग-अलग तरह की परीक्षाओं के पेपर लीक हो चुके हैं। इन पांच परीक्षाओं में कुल 3 हजार 690 पदों पर आवेदन मांगे गए थे, इसमें 1 लाख 64 अभ्यर्थी परीक्षा में बैठने वाले थे। आरोप हैं कि पिछले दिनों ही इंदौर में कांग्रेस नेता अक्षय कांति बम की अगुआई में चलने वाले एक कॉलेज से पेपर लीक हुए थे। इस मामले में पुलिस ने कुछ गिरफ्तारियां भी की हैं।
एमपी में पेपर लीक के मामले
1. एमपी बोर्ड 10वीं और 12वीं: 2023 में इन परीक्षाओं के पेपर लीक होने से लाखों छात्र प्रभावित हुए थे।
2. व्यापमं परीक्षा: 2023 में इस भर्ती परीक्षा का पेपर लीक हुआ था, जिसके बाद इसे रद्द करना पड़ा था।
3. एमपी पुलिस भर्ती परीक्षा: 2023 में इस परीक्षा का पेपर भी लीक हुआ था, जिसके कारण परीक्षा में देरी हुई थी।
4. अन्य: इनके अलावा, सहायक ग्रेड 3 और व्यापमं ग्रुप 2 परीक्षाओं के पेपर भी पिछले 10 वर्षों में लीक हुए हैं।
(आंकड़े मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार)
फिर क्यों नहीं माना कि पेपर लीक हुआ?
मार्च 2023 में पेपर लीक के मामले में मध्यप्रदेश में छह केंद्राध्यक्ष, सात सहायक केंद्राध्यक्षों, पांच शिक्षकों और एक अन्य सहित 19 शिक्षकों को सस्पेंड किया गया था। उनके खिलाफ FIR दर्ज कर गिरफ्तारी की गई थी। इसके बावजूद सरकार ने ये नहीं माना था कि पेपर लीक हुए हैं।
नर्सिंग घोटाले का क्या...?
ये तो हुई परीक्षाओं की बात। व्यावसायिक परीक्षा मंडल यानी व्यापमं का कांड तो जगजाहिर है। हाल ही में सामने आया नर्सिंग घोटाला भी बड़े सिंडिकेट की ओर इशारा कर रहा है। जांच करने वाले ही इसमें मौज कर रहे थे। इस घोटाले के तार भी व्यापमं कांड से जुड़ रहे हैं। क्या है कि व्यापमं मामले में राज्य पुलिस ने पूरे मामले में साक्ष्य जुटाए थे। बाद में केस सीबीआइ के पाले में गया। वर्ष 2017 में इंस्पेक्टर राहुल राज मुख्य किरदार बन गया। कई आरोपियों को क्लीनचिट मिल गई। इसके बाद सीबीआइ ने क्लोजर रिपोर्ट फाइल कर दी। ऐसे में सवाल खड़े हो रहे हैं कि जिस सीबीआई अधिकारी राहुल राज ने नर्सिंग कॉलेजों की जांच में धांधली की, उसने व्यापमं में कैसे जांच की होगी? कहीं रुपए लेकर तो आरोपियों को क्लीन चिट नहीं दी गई। बताया जा रहा है कि इंस्पेक्टर राहुल राज के बड़े लोगों से कनेक्शन हैं। उसका अफसरों पर गहरा प्रभाव था।
पांच वर्षों में राज्यों में हुए पेपर लीक के मामले
राज्य | पेपर लीक | पोस्ट | अभ्यर्थी |
जम्मू कश्मीर | 3 | 2,330 | 2,49,000 |
हरियाणा | 2 | 6,980 | 8,41,000 |
उत्तराखंड | 4 | 1,800 | 2,37,000 |
अरुणाचल प्रदेश | 1 | 30 | 4,000 |
उत्तर प्रदेश | 1 | 3,330 | 19,00,000 |
असम | 1 | 590 | 66,000 |
राजस्थान | 7 | 40,590 | 38,41,000 |
मध्य प्रदेश | 5 | 3,690 | 1,00,064 |
गुजरात | 3 | 5,260 | 16,41,000 |
महाराष्ट्र | 2 | 6,560 | 11,25,000 |
कर्नाटक | 2 | 1,660 | 3,34,000 |
तेलंगाना | 5 | 3,770 | 6,74,000 |
ओडिशा | 1 | 1000 | 5000 |
झारखंड | 1 | 2,010 | 6,50,000 |
बिहार | 3 | 24,380 | 22,87,000 |
16 करोड़ युवा कर रहे नौकरी की तैयारी
थोड़े और पीछे चलें तो आंकड़े देखें तो सात सालों में पेपर लीक की 70 से ज्यादा घटनाएं सामने आई हैं और इससे डेढ़ करोड़ अभ्यर्थियों के सपने चकनाचूर हुए हैं। पिछले 20 वर्षों में देश में हुईं भर्ती परीक्षाओं में हुए पेपर लीक से हर बार औसत 8 लाख अभ्यर्थियों के सपने टूटे हैं। एक रिसर्च के मुताबिक, आज हमारे देश में 18 से 35 साल के करीब 46 करोड़ युवा हैं। इनमें से औसत 16 करोड़ युवा ऐसे हैं, जो सरकारी नौकरियों की तैयारी कर रहे हैं।
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हर पद के लिए युवाओं की लंबी कतार
दावा किया जाता है कि केंद्र सरकार ने पिछले 8 वर्षों में 7 लाख 22 हजार नौकरियां निकालीं, जिनके लिए 22 करोड़ से ज्यादा उम्मीदवारों ने आवेदन किए थे। राज्य सरकारें भी अपने स्तर पर युवाओं को नौकरियां देती हैं। इस तरह देश में कुल 1 करोड़ 60 लाख सरकारी नौकरियां हैं। इनमें से भी करीब 40 लाख सरकारी नौकरियां केंद्र सरकार की हैं, जबकि 1 करोड़ 20 लाख जॉब्स विभिन्न राज्यों की हैं। इनके लिए कतार बेहद लंबी है।
सरकार लोकसभा में ला चुकी बिल
देश के विभिन्न हिस्सों में होने वाली पेपर लीक की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने लोकसभा में नया बिल पेश किया था। इसका मुख्य उद्देश्य पेपर में नकल को कम करने का लेकर है। बिल के मुताबिक, यदि कोई दोषी पाया जाता है तो उसे 3 से 5 लाख का जुर्माना और 1 से 10 साल तक की सजा हो सकती है। बिल को लोक परीक्षा (अनुचित साधन रोकथाम) विधेयक, 2024 नाम दिया गया है। अब इसका कितना असर होगा, यह तो आने वाले वक्त में पता चलेगा, लेकिन फिलहाल तो देश में नीट यूजी को लेकर हल्ला मचा हुआ है।
सुलगते सवाल...?
- हर घटना पर सरकार मुआवजा का डोज देकर इतिश्री कर लेती है। पेपर लीक की घटनाओं पर क्या छात्रों को मुआवजा नहीं दिया जाना चाहिए?
- भविष्य संवारने के लिए युवा दिन-रात एक करते हैं, पैसा खर्च करते हैं, समय खपाते हैं, फिर पेपर लीक सब पर पानी फेर देती है? क्या लापरवाह अधिकारियों को सख्त से सख्त सजा नहीं मिलनी चाहिए?
- जब प्रवेश परीक्षाओं में ही ऐसी धांधलियां होती हैं तो जरा सोचिए कि जब ऐसे अभ्यर्थी चुनकर सरकारी अमले में पहुंचते होंगे तो क्या होता है?
- सरकार बातें दुनियाभर की करती है, क्या युवा उम्मीदवारों का भर्ती परीक्षाओं को पास करने के लिए खर्च किया गया समय और सपनों को वह लौटा सकती है? इन सब सवालों के जवाब ना ही हैं।
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