आज (24 जून) से 18वीं लोकसभा का पहला संसद सत्र शुरू हो गया है। 3 जून तक मानसून सत्र की कार्यवाही चलेगी। नए सांसद चुनकर आने के बाद हर सांसद की लोकसभा में अपनी तय जगह होती है। हर सेशन में सांसद इसी तय सीट पर बैठें दिखाई देते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि सदन में चुनकर आने के बाद हर सांसद की एक तय सीट होती है। जानिए कैसे सदन में सांसदों की कुर्सियां तय होती है-
सत्ता पक्ष और विपक्ष की सीट
भारत के संसद भवन में पार्टी की सीट संख्या के आधार पर सांसदों की सीट तय होती है। सबसे पहले सत्ता पक्ष और विपक्ष का बंटवारा होता है। स्पीकर के सीधे हाथ पर सत्ता पक्ष बैठता है। लेफ्ट हैंड की तरफ विपक्षी सांसदों की सीट होती है।
सत्ता पक्ष की ओर सबसे पहली कुर्सी सदन के नेता प्रधानमंत्री की होती है। यहां नरेंद्र मोदी बैठेंगे। जबकि विपक्ष की ओर सबसे पहली कुर्सी नेता प्रतिपक्ष की होती है। 18वीं लोकसभा में कांग्रेस पार्टी मुख्य विपक्षी दल है। इसके द्वारा चुना गया सांसद नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर बैठेगा। पिछले दो टर्म से लोकसभा में कोई नेता प्रतिपक्ष नहीं था। इसके बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष के अन्य नेताओं की सीट वरिष्ठता के आधार पर निर्धारित की जाती है।
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सीट संख्या के आधार पर मिलती है सीट
संसद भवन में हर सांसद की कुर्सी उसकी पार्टी की सीट संख्या के आधार पर तय होती है। जिस पार्टी के पास ज्यादा सांसद होते हैं, उन्हें आगे के ब्लॉक में जगह मिलती है। कम सीटों वाली पार्टियों को पीछे के ब्लॉक में जगह मिलती है। निर्दलीय सांसदों के लिए भी अलग से जगह होती है। इसके अलावा स्पीकर के लेफ्ट साइड में एक सीट डिप्टी स्पीकर के लिए तय होती है।
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सांसदों की सीट कौन तय करता है ?
लोकसभा में प्रक्रिया और संचालन के नियम 4 के क्लॉस 122 (a) के अनुसार सांसदों की सीट स्पीकर द्वारा तय की जाती है। स्पीकर द्वारा सदन में पार्टियों की सीट संख्या और नेताओं की वरिष्ठता के आधार पर सीट दी जाती है।
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लोकसभा में 543 सीटें
लोकसभा में कुल 543 सीटें हैं। इन सीटों के लिए हर पांच साल में सांसद चुनकर आते हैं। 18वीं लोकसभा में बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सत्ता में है। गठबंधन के पास 293 सीटें हैं। इसमें सबसे बड़ा दल भाजपा है। पार्टी के पास 240 सीटें हैं। हालांकि यह पिछले दो टर्म से कम है। इसके बाद टीडीपी के पास 16, जेडीयू के पास 12, शिवसेना (शिंदे) के पास 7 और चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी (आर) के पास 5 सीटें हैं।
दूसरी ओर पिछले दो टर्म से इस बार विपक्ष भी मजबूत स्थिति में है। इंडिया गठबंधन के पास कुल 233 सीटें हैं। इसमें से 99 सीटों के साथ कांग्रेस सबसे बड़ा दल है। समाजवादी पार्टी के पास 37, तृणमूल कांग्रेस के पास 29, डीएमके के पास 22 और शिवसेना (उद्धव) के पास 9 सीटें हैं।
सांसदों का सीटिंग अरेंजमेंट