/sootr/media/media_files/2025/10/06/nobel-prize-2025-2-2025-10-06-19-39-21.jpg)
Photograph: (THESOOTR)
नोबेल पुरस्कार 2025 चिकित्सा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम साबित हुआ है। मैरी ई. ब्रंकॉ (Mary E. Brunkow), फ्रेड राम्सडेल (Fred Ramsdell), और शिमोन सकागुची (Shimon Sakaguchi) को उनके 'पेरिफेरल इम्यून टॉलरेंस' (Peripheral Immune Tolerance) की खोज के लिए नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया है। यह खोज उन चिकित्सा अनुसंधानों में से एक है जो ऑटोइम्यून बीमारियों (Autoimmune Diseases) जैसे रूमेटॉइड आर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis), टाइप-1 डायबिटीज (Type-1 Diabetes) और ल्यूपस (Lupus) के इलाज के लिए नया रास्ता खोलती है।
इम्यून टॉलरेंस: शरीर की रक्षा प्रणाली का रहस्य
इम्यून सिस्टम (Immune System) शरीर की रक्षा प्रणाली है, जो बाहरी आक्रमणों जैसे वायरस (Virus) और बैक्टीरिया (Bacteria) से लड़ने में मदद करती है। लेकिन कभी-कभी यह प्रणाली अपने ही अंगों पर हमला करने लगती है, जिसे ऑटोइम्यून बीमारियां (Autoimmune Diseases) कहते हैं। इस प्रकार की बीमारियों में इम्यून सिस्टम (Immune System) शरीर के स्वस्थ अंगों को पहचानने में गलती करता है और उन्हें नष्ट कर देता है।
सामान्यतः वैज्ञानिकों का मानना था कि इम्यून सेल्स (Immune Cells) केवल शरीर के अंदर "सहिष्णु" (Tolerant) बनती हैं, जिसे सेंट्रल इम्यून टॉलरेंस (Central Immune Tolerance) कहा जाता है। लेकिन, शिमोन सकागुची और उनके सहयोगियों ने यह साबित किया कि शरीर के बाहरी हिस्सों (पेरिफेरल) में भी एक तंत्र मौजूद है, जो इम्यून सिस्टम (Immune System) को नियंत्रित करता है, और इसके कमजोर होने पर ऑटोइम्यून बीमारियां (Autoimmune Diseases) उत्पन्न होती हैं।
ये खबर भी पढ़ें...
रेगुलेटरी टी-सेल्स (Tregs) की खोज
शिमोन सकागुची को रेगुलेटरी टी-सेल्स (Regulatory T-Cells, Tregs) की खोज के लिए जाना जाता है। इन कोशिकाओं का कार्य इम्यून सिस्टम (Immune System) को नियंत्रित रखना है। 1995 में उन्होंने यह दिखाया कि CD4+ CD25+ कोशिकाएं (CD4+ CD25+ Cells) इम्यून सिस्टम को दबाती हैं और शरीर को अपने ही ऊतकों से लड़ने से रोकती हैं। उनकी इस खोज ने ऑटोइम्यून बीमारियों (Autoimmune Diseases) की समझ में क्रांति ला दी। अब Tregs को इंजीनियर करके नई दवाएं बनाई जा रही हैं जो इन बीमारियों का इलाज कर सकती हैं।
ये खबर भी पढ़ें...
FOXP3 जीन की खोज
मैरी ई. ब्रंकॉ और फ्रेड राम्सडेल ने FOXP3 जीन (FOXP3 Gene) की खोज की, जो Tregs कोशिकाओं (Tregs Cells) का 'मास्टर स्विच' (Master Switch) है। 2001 में, उन्होंने पाया कि FOXP3 जीन में म्यूटेशन (Mutation) होने से एक दुर्लभ बीमारी IPEX सिंड्रोम (IPEX Syndrome) होती है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम (Immune System) अपने ही अंगों पर हमला करता है, जिससे बाल रोग, डायबिटीज (Diabetes), और आंतों की समस्याएं होती हैं। इस खोज ने ऑटोइम्यून बीमारियों (Autoimmune Diseases) के इलाज की दिशा में नए रास्ते खोले हैं।
ये खबर भी पढ़ें...
सहारा रिफंड नहीं मिला? तो अब मिलेगा! यहां से चेक करें स्टेटस
इम्यून टॉलरेंस का महत्व
यह खोज केवल ऑटोइम्यून बीमारियां (Autoimmune Diseases) ही नहीं, बल्कि कैंसर (Cancer), ट्रांसप्लांट रिजेक्शन (Transplant Rejection) और एलर्जी (Allergy) के इलाज में भी सहायक होगी। Tregs थेरेपी (Tregs Therapy) के माध्यम से इन बीमारियों में इम्यून सिस्टम (Immune System) को नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे इलाज की प्रक्रिया अधिक प्रभावी हो सकती है।
नई दवाओं का दौर
यह नोबेल पुरस्कार उन करोड़ों लोगों के लिए एक आशा का संकेत है, जो ऑटोइम्यून बीमारियों (Autoimmune Diseases) से पीड़ित हैं। Tregs थेरेपी (Tregs Therapy) से ट्रांसप्लांट रिजेक्शन (Transplant Rejection) को कम किया जा सकता है और कैंसर (Cancer) के इलाज में इम्यून सिस्टम (Immune System) को नियंत्रित करके इलाज को और प्रभावी बनाया जा सकता है।
ये खबर भी पढ़ें...
एमपी पुलिस भर्ती 2025: 500 पदों पर SI भर्ती, 7 अक्टूबर को आएगा डिटेल नोटिफिकेशन, 9 जनवरी को परीक्षा
नोबेल पुरस्कार का महत्व
नोबेल समिति ने कहा कि इस खोज से हमें यह समझने का तरीका मिला है कि इम्यून सिस्टम (Immune System) को कैसे नियंत्रित किया जा सकता है। यह खोज मेडिकल साइंस में नए उपचारों की शुरुआत करेगी, और भविष्य में ऑटोइम्यून बीमारियों (Autoimmune Diseases) के लिए प्रभावी उपचार उपलब्ध होंगे।