मंगलवार (14 मई) को सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) ने पतंजलि भ्रामक विज्ञापन केस ( Patanjali Misleading Advertisement Case ) में अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों- बाबा रामदेव और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को फटकार भी लगाई।
IMA प्रेसिडेंट को लगाई फटकार
सुनवाई के दौरान जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने IMA प्रेसिडेंट डॉ अशोकन पर मीडिया में दिए गए अपने बयानों को लेकर फटकार लगाई। साथ ही मामले में उनकी माफी स्वीकारने से भी मना कर दिया। अपने एक इंटरव्यू में IMA चीफ कहा था- "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सुप्रीम कोर्ट ने IMA और निजी डॉक्टरों की प्रैक्टिस की आलोचना की।"
पीठ ने कहा- "आप बिलकुल वही कर रहे हैं जो पतंजलि ने किया था। आप आम आदमी नहीं हैं, क्या आप ऐसी चीजों के परिणामों को नहीं जानते हैं? आप अदालत के आदेश पर विलाप करते हुए अपने सोफे पर नहीं बैठ सकते।" इस मामले में IMA प्रेसिडेंट ने माफी मांगने की कोशिश पर सुप्रीम कोर्ट ने उसे ठुकरा दिया।
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बाबा रामदेव को अपने प्रभाव का सही इस्तेमाल करने की सलाह
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव ( Baba Ramdev ) को भी फटकार लगाई और अपने प्रभाव का सही इस्तेमाल करने की नसीहत दी। इसके अलावा सॉलिसिटर जनरल तुषार महता के बाबा रामदेव के योग के क्षेत्र में योगदान की बात की। जवाब में कोर्ट ने कहा- "योग की दिशा में जो भी कार्य किया गया वो अच्छा है, लेकिन पतंजलि प्रोडक्ट्स अलग विषय है।" हालांकि इस मामले में कोर्ट ने बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के एमडी आचार्य बालकृष्ण को कोर्ट में हाजिर होने से छूट दे दी है।
क्या है पूरा मामला?
पतंजलि पर साल 2022 में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भ्रामक विज्ञापन फैलाने और एलोपैथी दवाओं के बारे में दुष्प्रचार करने का केस किया। इस मामले में कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद के कई उत्पादों पर बैन लगाया है। साथ ही पतंजलि को अखबारों में माफीनामा छपवाने के निर्देश भी दिये थे। अब इस मामले में कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है।
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