NEW DELHI: आप युवा हैं और देश के आला नौकरशाह (administrator) बनना चाहते हैं तो यह खबर आपके लिए है। यह खबर उन मां-बाप के लिए भी है जो अपने लाड़लों को आईएएस ( IAS ) या आईपीएस ( IPS ) बनाने का सपना पाल रहे हैं। निष्कर्ष यह निकला है कि ऐसी नौकरी पाने के लिए युवा जितनी एनर्जी खर्च कर रहे हैं, वह असल में ‘बर्बादी’ है। अगर इतनी ही एनर्जी किसी और क्षेत्र में लगाई जाए तो परिणाम बहुत ही शानदार हो सकते हैं।
इतनी एनर्जी कहीं और लगाई जाए तो…
यह विचार हैं जाने माने अर्थशास्त्री, इतिहासकार और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के सदस्य संजीव सान्याल के। उन्होंने कहा कि अगर कोई युवा वाकई में प्रशासक बनना चाहता है, तब ही उसे यूपीएससी या ऐसी अन्य कठिन परीक्षाओं की तैयारी करनी चाहिए और उसे क्लियर करने के लिए मेहतन करनी चाहिए। ऐसे युवाओं को इसके लिए एक या दो अवसर ही ठीक रहेंगे। लेकिन इसके लिए 20 से 30 साल तक की उम्र लगा देना गलत है। इस नौकरी को लेकर सान्याल के अपने तर्क हैं और उनका मानना है कि इन परीक्षाओं को पास करने के लिए युवा जितनी एनर्जी खर्च कर रहे हैं, अगर उसे किसी और क्षेत्र में लगाया जाए तो आप सोचकर देखिए कि उसका क्या परिणाम मिलेगा।
बहुत वक्त लग रहा है इस परीक्षा में
अर्थशास्त्री संजीव सान्याल ने इस मसले पर सोशल मीडिया में एक पोस्ट लिखकर ठोस जानकारी देने का प्रयास किया है। उनका कहना है कि लाखों छात्रों के सिविल सेवा परीक्षा के लिए पांच से आठ वर्ष की तैयारी ’युवा ऊर्जा की बर्बादी’ है। समस्या यह है कि लाखों लोग ‘जीने के ढंग’ के रूप में इस परीक्षा की तैयारी या पास करने में 5-8 साल बिता रहे हैं। यह आश्चर्य की बात हो सकती है, लेकिन किसी समय परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले अधिकांश नौकरशाह भी यही मानते हैं। सान्याल ने कहा कि कोटा जैसा पूरा शहर एक परीक्षा देने के लिए समर्पित है। वह भी ऐसी परीक्षा जहां सिर्फ एक फीसदी से भी कम परीक्षार्थी ही सफल होंगे। ऐसा हर साल होता जा रहा है।
12th fail फिल्म में समस्या का बारीक चित्रण
गौरतलब है कि आज के युवा मल्टीनेशनल कंपनियों की नौकरियों को तरजीह दे रहे हैं। लेकिन देश का आज भी युवाओं का एक बड़ा वर्ग चाहता है कि वह यूपीएससी की परीक्षा पास कर आईएफएस, आईएएस या आईपीएम बन जाए। इसके लिए यूपीएससी चयन प्रक्रिया के तहत हर साल तीन चरणों में (प्रारंभिक, मुख्य और व्यक्तित्व साक्षात्कार) सिविल सेवा परीक्षा आयोजित करता है। इस परीक्षा को पास करने के लिए लाखों युवा विभिन्न शहरों में तैयारी करते हैं। अधिकतर तो इस परीक्षा का पास करने के लिए विभिन्न शहरों में कोचिंग भी लेते हैं और मोटी धनराशि भी खर्च करते हैं। लेकिन पास होने वाली युवाओं की संख्या बेहद सीमित है। इसी समस्या को लेकर अभी हाल ही में ‘12वीं फेल’ ( 12th fail ) फिल्म भी आई थी, जिसमें इस परीक्षा को लेकर युवाओं की कोशिशों, उनके तनाव और आर्थिक हालात का बारीकी से चित्रण किया गया है। इसके बावजूद देश में नौकरशाह बनने का क्रेज आज भी बना हुआ है।
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