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भारत में संपत्ति खरीदने के बाद लोग अक्सर मानते हैं कि रजिस्ट्री करवा लेने से वे उस संपत्ति के कानूनी मालिक बन जाते हैं। हालांकि, अब यह धारणा गलत साबित हो चुकी है। संपत्ति पर वास्तविक मालिकाना हक हासिल करने के लिए सिर्फ रजिस्ट्री ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि इसके लिए कई अन्य कानूनी दस्तावेज और संपत्ति पर वास्तविक कब्जा भी जरूरी होते हैं।
जानें क्यों जरूरी हैं अन्य दस्तावेज...
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने प्रॉपर्टी के स्वामित्व के मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संपत्ति का पंजीकरण केवल एक कानूनी दावा का समर्थन कर सकता है, लेकिन यह संपत्ति पर वास्तविक कब्जे और स्वामित्व को साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर कोई व्यक्ति किसी संपत्ति को रजिस्टर करता है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह उस संपत्ति का कानूनी मालिक बन गया है। इस संदर्भ में कोर्ट ने यह भी कहा कि पंजीकरण प्रक्रिया का सिर्फ एक चरण है, स्वामित्व हासिल करने के लिए अन्य दस्तावेजों की आवश्यकता होती है।
फिर रजिस्ट्री का क्या मतलब है?
किसी संपत्ति का रजिस्ट्री करवा लेना केवल इस बात का प्रमाण है कि उस संपत्ति के बारे में एक लेन-देन हुआ है। पंजीकरण केवल संपत्ति के अधिकार का दावा करने का एक तरीका है। हालांकि, इस प्रक्रिया से संपत्ति का वास्तविक कब्जा या स्वामित्व साबित नहीं होता है। कानूनी नजरिए से यह केवल एक प्रक्रिया है। इससे उस संपत्ति पर किसी व्यक्ति का दावा दर्ज किया जाता है।
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कब्जा और स्वामित्व में क्या फर्क है?
रजिस्ट्री से संपत्ति आपके नाम पर हो सकती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आपने उस संपत्ति पर वास्तविक कब्जा कर लिया है। कब्जा एक ऐसी स्थिति है, जिसमें आप संपत्ति का वास्तविक उपयोग कर रहे होते हैं। उसे नियंत्रित कर रहे होते हैं। उसकी बिक्री के निर्णय पर आपको कानूनी अधिकार होता है। यदि किसी अन्य व्यक्ति के पास संपत्ति का कब्जा है, तो रजिस्ट्री का कोई भी दावा उतना मजबूत नहीं होता है।
मालिकाना हक के लिए जरूरी दस्तावेज
संपत्ति का कानूनी स्वामित्व साबित करने के लिए कुछ जरूरी दस्तावेज होते हैं। इनकी जानकारी होना अत्यंत जरूरी है। ये दस्तावेज न केवल संपत्ति की वैधता को साबित करते हैं, बल्कि यह सुनिश्चित करते हैं कि संपत्ति का लेन-देन कानूनी रूप से सही तरीके से हुआ है।
आइए जानते हैं ये दस्तावेज कौन से हैं...
1. सेल डीड (Sale Deed)
सेल डीड एक कानूनी दस्तावेज होता है, जो संपत्ति के ट्रांसफर के दौरान खरीदार और विक्रेता के बीच हस्ताक्षरित किया जाता है। यह दस्तावेज यह प्रमाणित करता है कि संपत्ति का स्वामित्व विक्रेता से खरीदार को ट्रांसफर किया गया है। यह एक जरूरी दस्तावेज है जब पहली बार किसी संपत्ति को खरीदा जाता है। बिना सेल डीड के संपत्ति का ट्रांसफर कानूनी रूप से मान्य नहीं होता है।
2. मदर डीड (Mother Deed)
मदर डीड वह मूल दस्तावेज होता है, जो किसी संपत्ति के स्वामित्व का इतिहास दर्शाता है। यह दस्तावेज विशेष रूप से जरूरी होता है जब संपत्ति के लेन-देन की बात आती है। जैसे कि अगर किसी संपत्ति को बेचा या हस्तांतरित किया गया हो। मदर डीड यह बताती है कि संपत्ति का पहले कौन मालिक था और उसके बाद यह कैसे एक से दूसरे के पास गई। यह स्वामित्व के सही चेन को साबित करता है।
3. सेल एंड पर्चेज एग्रीमेंट (Sale and Purchase Agreement)
यह दस्तावेज खरीदार और विक्रेता के बीच संपत्ति के ट्रांसफर के शर्तों को निर्धारित करता है। इसमें संपत्ति के मूल्य, भुगतान की शर्तें, संपत्ति की स्थिति, और अन्य संबंधित शर्तें स्पष्ट रूप से लिखी जाती हैं। यह दस्तावेज पूरी प्रक्रिया को कानूनी मान्यता देता है और संपत्ति के लेन-देन को वैध बनाता है।
4. भवन स्वीकृति योजना (Building Approval Plan)
किसी भी संपत्ति पर घर बनाने से पहले नगर निगम या अन्य स्थानीय प्राधिकरण से भवन निर्माण की स्वीकृति प्राप्त करना जरूरी होता है। भवन स्वीकृति योजना यह प्रमाणित करती है कि संपत्ति पर निर्माण कार्य स्थानीय नियमों और कानूनों के अनुसार किया जा रहा है। यह दस्तावेज न केवल निर्माण के वैधता की पुष्टि करता है, बल्कि यह सुनिश्चित करता है कि निर्माण से जुड़े सभी कानूनी पहलुओं का पालन किया गया है।
5. कब्जा पत्र (Possession Letter)
कब्जा पत्र वह दस्तावेज है जो यह प्रमाणित करता है कि संपत्ति का वास्तविक कब्जा किसके पास है। यदि आपने संपत्ति खरीदी है और उस पर आपका कब्जा हो गया है, तो यह पत्र यह सुनिश्चित करता है कि आपको संपत्ति पर सभी अधिकार प्राप्त हैं। यह दस्तावेज संपत्ति के ट्रांसफर का एक अहम हिस्सा है, क्योंकि यह कब्जे का कानूनी प्रमाण है।
6. कंप्लीशन सर्टिफिकेट (Completion Certificate)
कंप्लीशन सर्टिफिकेट वह दस्तावेज होता है जो यह प्रमाणित करता है कि किसी भवन का निर्माण सभी स्थानीय नियमों और प्राधिकरणों द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार किया गया है। यह प्रमाणित करता है कि भवन निर्माण पूरा हो चुका है और इसे किसी भी कानूनी प्रक्रिया के लिए स्थानीय निकाय से मंजूरी प्राप्त है। यह दस्तावेज महत्वपूर्ण होता है, खासकर जब संपत्ति का उपयोग रेजिडेंशियल या कमर्शियल उद्देश्य के लिए किया जा रहा हो।
7. खाता प्रमाणपत्र (Account Certificate)
यह रेवेन्यू से संबंधित प्रमाणपत्र होता है, जो प्रॉपर्टी की पूरी जानकारी देता है। इसमें संपत्ति का आकार, स्थान, क्षेत्रफल आदि की जानकारी होती है। खाता प्रमाणपत्र यह सुनिश्चित करता है कि संपत्ति का रिकॉर्ड सरकारी रजिस्टर में सही तरीके से दर्ज है। यह टैक्स भुगतान करने के लिए भी महत्वपूर्ण होता है।
8. अलॉटमेंट लेटर (Allotment Letter)
यह दस्तावेज विशेष रूप से डेवलपर या विक्रेता द्वारा जारी किया जाता है जब किसी निर्माणाधीन प्रॉपर्टी को खरीदार को आवंटित किया जाता है। यह कानूनी दस्तावेज सुनिश्चित करता है कि आपको विशेष संपत्ति या फ्लैट का अधिकार दिया गया है और इसे अधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त है।
9. भार प्रमाण पत्र (Encumbrance Certificate)
यह प्रमाणपत्र यह दर्शाता है कि संपत्ति पर कोई भी देनदारी या बकाया नहीं है। इसके माध्यम से यह भी पता चलता है कि संपत्ति कानूनी विवादों से मुक्त है या नहीं। यह दस्तावेज संपत्ति के स्वामित्व को सुरक्षित रखने में मदद करता है। यह सुनिश्चित करता है कि संपत्ति पर कोई वित्तीय दायित्व नहीं है।
10. नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (No Objection Certificate - NOC)
यह दस्तावेज यह सुनिश्चित करता है कि संपत्ति पर कोई वित्तीय बकाया नहीं है, जैसे कि लोन का भुगतान या अन्य कोई देनदारी। जब संपत्ति पर कोई लोन चुकता किया जा चुका होता है, तो यह प्रमाणपत्र बैंक या लोन देने वाली संस्था से जारी किया जाता है।
11. पहचान और पते का प्रमाण (Identity and Address Proof)
जब भी आप किसी संपत्ति की खरीद करते हैं, तो यह सुनिश्चित करना जरूरी होता है कि आपके द्वारा प्रस्तुत पहचान प्रमाण जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड या पासपोर्ट की जानकारी सही हो। इसके अलावा, पते के प्रमाण के रूप में आपको अपनी पते से संबंधित दस्तावेज भी प्रदान करने होंगे, जैसे बिजली का बिल, बैंक स्टेटमेंट, आदि।
प्रॉपर्टी खरीदने से पहले ध्यान रखें ये बातें
- कानूनी दस्तावेजों की पूरी जांच करें - जब भी आप संपत्ति खरीदने का विचार करें, तो यह सुनिश्चित करें कि आपके पास सभी जरूरी कानूनी दस्तावेज मौजूद हैं। इसके अलावा, यह भी जांचें कि संपत्ति पर कब्जा किसके पास है। साथ ही यह भी देखें की संपत्ति पर कोई कानूनी विवाद तो नहीं है।
- प्रॉपर्टी का पृष्ठभूमि (आधार) जांचें - प्रॉपर्टी की बिक्री से पहले, उसकी पृष्ठभूमि और मालिकों के इतिहास को जांचना बहुत जरूरी है। यह आपको किसी भी भविष्य के संपत्ति विवाद से बचा सकता है।
- कब्जा और स्वामित्व सुनिश्चित करें - केवल रजिस्ट्री से ही स्वामित्व स्थापित नहीं होता। सुनिश्चित करें कि आप संपत्ति पर कब्जा कर रहे हैं और आपको उस पर सभी कानूनी अधिकार प्राप्त हैं।
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