इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राहुल गांधी की नागरिकता के मामले को बंद कर दिया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया कि यदि नागरिकता से संबंधित रिपोर्ट मिलती है, तो उसे याचिकाकर्ता और कोर्ट में पेश किया जाए। यह मामला राहुल गांधी को ब्रिटिश नागरिक बताए जाने से जुड़ा था, जो लंबे समय से चर्चा में रहा है। हालांकि, केंद्र सरकार इस मामले में रिपोर्ट पेश करने में नाकाम रही है। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि केवल रिपोर्ट के इंतजार में याचिका को लंबित नहीं रखा जा सकता।
केंद्र सरकार की रिपोर्ट में देरी
केंद्र सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि यह मामला दो देशों के बीच की संवेदनशील जानकारी से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि यूके सरकार को कई रिमाइंडर भेजे गए हैं, लेकिन अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। इसके बावजूद, सरकार ने कोर्ट से और समय देने की अपील की। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर कोई रिपोर्ट मिलती है तो याचिकाकर्ता को उसकी एक प्रति दी जाए और उसे कोर्ट में भी प्रस्तुत किया जाए।
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पिछली सुनवाई में क्या हुआ था?
21 अप्रैल, 2024 को हुई सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र सरकार से स्थिति रिपोर्ट पेश करने को कहा था, लेकिन रिपोर्ट को अपर्याप्त मानते हुए कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की थी। कोर्ट ने केंद्र से सवाल किया था कि क्या राहुल गांधी भारतीय नागरिक हैं या नहीं? 10 दिन में इसका स्पष्ट जवाब दिया जाए। यह मामला राष्ट्रीय महत्व का माना गया था, इसलिए अदालत ने देरी पर नाराजगी जताई थी।
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राहुल गांधी पर याचिका
यह याचिका कर्नाटक के रहने वाले विग्नेश शिशिर ने दायर की थी, जिन्होंने आरोप लगाया था कि राहुल गांधी ने ब्रिटेन की एक कंपनी में डायरेक्टर रहते हुए खुद को ब्रिटिश नागरिक बताया था। याचिकाकर्ता ने यह दावा करते हुए भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 9(2) का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि यदि किसी व्यक्ति के पास दोहरी नागरिकता है तो वह चुनाव नहीं लड़ सकता।
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क्या है भारतीय नागरिकता अधिनियम
भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 9(2) के तहत कोई भी व्यक्ति जो भारत की नागरिकता को छोड़ने के बाद दूसरी नागरिकता प्राप्त करता है, वह भारतीय नागरिकता से वंचित हो सकता है। याचिकाकर्ता ने इसी आधार पर राहुल गांधी की नागरिकता रद्द करने की मांग की थी।
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केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया
केंद्र सरकार ने इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि यूके सरकार से जानकारी प्राप्त करना और रिपोर्ट पेश करना संवेदनशील मामला है, जिससे दोनों देशों के बीच कानूनी प्रक्रिया की जरूरत होती है। हालांकि, सरकार ने कोर्ट से और समय देने की अपील की थी ताकि रिपोर्ट तैयार की जा सके।
हाईकोर्ट का आदेश
कोर्ट ने कहा कि इस मामले में कोई और फोरम या कोर्ट नागरिकता से संबंधित याचिका दायर कर सकता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता को रिपोर्ट मिलने पर उसे तुरंत सूचित किया जाएगा। अदालत ने यह मामला बंद कर दिया और इसे एक स्पष्ट दिशा में चलने का निर्देश दिया।
देश दुनिया न्यूज